cyber fraud: पूर्व फौजी को 11 दिन साइबर ठगों ने रखा डिजिटल अरेस्ट, पांच लाख ठगे

पूर्व फौजी को 11 दिन साइबर ठगों ने रखा डिजिटल अरेस्ट, पांच लाख ठगे
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यमुनानगर के पूर्व फौजी को डिजिटल अरेस्ट कर पांच लाख की हुई ठगी। 
हरियाणा के यमुनानगर जिले में साइबर ठगों ने पूरे 11 दिन तक पूर्व फौजी को उनके ही घर में डिजिटल अरेस्ट बनाकर रखा। उन्हें इतना डरा दिया कि वह पांच लाख रुपये देने को मजबूर हो गया। जानें क्या था मामला।

cyber fraud : हरियाणा के यमुनानगर जिले में साबइर ठगों ने थाना साढौरा क्षेत्र के गांव नौशहरा निवासी सेवानिवृत्त फौजी कर्म सिंह को डिजिटल अरेस्ट कर पांच लाख रुपये ठग लिए। आरोपियों ने खुद को मुंबई से सीबीआई अधिकारी बताया। पहले आरोपियों ने सेवानिवृत्त फौजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाने और बाद में फौज में तैनात उनके बेटे का कोर्ट मार्शल होने का भय दिखाकर ठगी को अंजाम दिया। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी।

लड़की ने व्हाट्सएप कॉल कर फंसाया

गांव नौशहरा निवासी कर्म सिंह ने साइबर क्राइम थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह फौज से सेवानिवृत्त हैं। उनके पास 19 जुलाई को एक लड़की की व्हाट्सएप कॉल आई। लड़की ने खुद को टेलीकॉम डिपार्टमेंट से बताया और कहा कि मुंबई में आपके ऊपर मामला दर्ज हो रहा है। इस बारे में बात करने के लिए लड़की ने एक नंबर दिया और कहा कि यह मुंबई के अधिकारी का है। उस नंबर पर कॉल करने पर सामने से बोल रहे शख्स ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया। आरोपी ने कहा कि उनका नाम एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में है।

11 दिन तक डिजिटल अरेस्ट का खेल खेलते रहे

फर्जी सीबीआई अधिकारी ने पूर्व फौजी को बातों में उलझाकर कहा कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है। पहले उन्हें घर के एक कमरे में बंद रहने के लिए कहा गया। फिर बताया कि हर दो घंटे बाद वह क्या कर रहा है, यह बताना होगा। इस तरह वह 19 से 29 जुलाई तक डिजिटल अरेस्ट हो गया। वह आरोपियों को हर दो घंटे बाद व्हाट्सएप पर कॉल व मैसेज भेजकर उन्हें अपने बारे में बताता रहा। इस बीच आरोपियों ने उससे घर, परिवार, जमीन और संपत्ति की पूरी जानकारी हासिल कर ली। आरोपियों ने फौज में तैनात उनके बेटे का कोर्ट मार्शल होने का भी डर दिखाया।

केस से बचने के लिए पांच लाख रुपये दिए

आरोपियों ने पूर्व फौजी से दोनों केस से बचाने के लिए पांच लाख रुपये मांगे। उन्होंने 22 जुलाई को बैंक जाकर आरोपियों द्वारा बताए गए बैंक खाते में आरटीजीएस करवा दी। उन्होंने इस बारे में अपने साथी को पूरा मामला बताया। बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी हुई है। जब उन्होंने आरोपियों के नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया तो वह बंद मिले। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ साइबर क्राइम थाना पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद अज्ञात साठबर ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी।

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