यौन उत्पीड़न मामले में फरार CMO की मौत: अग्रिम जमानत की तैयारी में थे, यमुनानगर में पड़ा हार्ट अटैक

CMO Manjit Singh
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सीएमओ मनजीत सिंह। 

20 सितंबर को सिविल अस्पताल की महिला डॉक्टर ने डॉ. सिंह पर वॉट्सऐप कॉल पर अश्लील बातें करने और संबंध बनाने की मांग करने का आरोप लगाया। पीड़िता ने 3 मिनट 26 सेकंड की कॉल रिकॉर्डिंग सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपी।

हरियाणा के यमुनानगर जिले में यौन शोषण के आरोपों से घिरे चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) डॉ. मंजीत सिंह की मौत हो गई है। एक महिला डॉक्टर की ओर से लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद से फरार चल रहे डॉ. मंजीत सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक आना बताया जा रहा है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।

यौन उत्पीड़न और जातिसूचक टिप्पणियों का आरोप

यह गंभीर मामला 20 सितंबर को शुरू हुआ जब यमुनानगर सिविल अस्पताल में कार्यरत एक लेडी डॉक्टर (कंसल्टेंट) ने CMO डॉ. मंजीत सिंह पर यौन उत्पीड़न और जातिसूचक टिप्पणियों के गंभीर आरोप लगाए। पीड़िता का आरोप था कि डॉ. सिंह उन्हें वॉट्सऐप कॉल पर अश्लील बातें करते थे और बार-बार अवैध संबंध बनाने की मांग करते थे। महिला डॉक्टर ने अपनी मां की सलाह पर डॉ. सिंह और उनके बीच हुई पूरी बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया था। यह 3 मिनट 26 सेकंड की रिकॉर्डिंग अब इस केस का मुख्य सबूत है।

रिकॉर्डिंग में अश्लील और अपमानजनक भाषा

सामने आई रिकॉर्डिंग के अनुसार डॉ. सिंह ने कथित तौर पर महिला डॉक्टर से कहा था 10 मिनट में तैयार हो जाओ, तेरे साथ संबंध बनाना चाहता हूं। यौन उत्पीड़न के साथ ही डॉ. सिंह पर जातिसूचक टिप्पणियां करने का भी आरोप लगा। उन्होंने पीड़िता की जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा था तुम लोगों को नौकरी भी बड़ी आसानी से मिल जाती है, इसे बचा कर रखो। यह टिप्पणी SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज होने का आधार बनी।

पीड़िता की शिकायत पर 22 सितंबर को महिला थाना यमुनानगर में FIR दर्ज की गई। FIR में BNS की धारा 75(2) और 78 (यौन उत्पीड़न और अश्लीलता से संबंधित) के साथ-साथ SC/ST एक्ट 1989 की धारा 3(1)(1) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। कोर्ट ने रिकॉर्डिंग सुनने के बाद इसे "अत्यंत अश्लील भाषा" करार दिया और आरोपी CMO की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश दिया था।

संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी पुलिस

FIR दर्ज होने और कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी के आदेश के बाद CMO डॉ. मंजीत सिंह फरार हो गए थे। पुलिस लगातार उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आ पाए थे।

फरारी के दौरान, डॉ. सिंह अपने वकीलों के माध्यम से जमानत पाने की कोशिशों में जुटे थे। सैशन कोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी थी, जिसके बाद वह पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की तैयारी कर रहे थे।

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