SYL नहर विवाद: केंद्र भी हरियाणा व पंजाब में नहीं बंटवा सका SYL का पानी, सीएम मान ने बदले में मांगा रावी व चिनाब में हिस्सा

नई दिल्ली में केंद्रीय जल मंत्री के साथ बैठक में मौजूद हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्री।
SYL नहर विवाद : दशकों से चले आ रहे सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर हरियाणा और पंजाब के बीच दिल्ली में हुई एक और अहम बैठक बेनतीजा रही। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री आर पाटिल की अध्यक्षता में हुई इस बातचीत में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद समाधान नहीं निकल सका। अब यह मुद्दा 5 अगस्त को दोबारा चर्चा के लिए केंद्र की मध्यस्थता में पेश किया जाएगा ताकि 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।
पंजाब के सीएम ने कहा- SYL नहर का निर्माण नहीं होगा
बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि SYL नहर का निर्माण नहीं होगा, लेकिन उन्होंने पानी साझा करने को लेकर नरम रुख दिखाया। मान ने कहा कि हरियाणा हमारा दुश्मन नहीं है, लेकिन जब तक हमें रावी और चिनाब से पानी नहीं मिलेगा, हम आगे पानी नहीं दे सकते। बता दें कि इन दोनों ही नदियों का पानी हिमाचल से पंजाब के रास्ते पाकिस्तान जाता है।
सीएम सैनी ने कहा- सार्थक रही बैठक
मुख्यमंत्री श्री @NayabSainiBJP ने आज दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री @CRPaatil की अध्यक्षता में हुई एस.वाई.एल. (SYL) नहर निर्माण संबंधी उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया।
— DPR Haryana (@DiprHaryana) July 9, 2025
बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान सहित हरियाणा और पंजाब, दोनों राज्यों के वरिष्ठ प्रशासनिक… pic.twitter.com/grC2XykiTH
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बैठक को सार्थक बताया और कहा कि अब वक्त है कि यह पुराना विवाद खत्म हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोनों राज्य किसी समाधान को निकालने के लिए बैठक कर रहे हैं।
पंजाब के दो फैसले ठुकरा चुका है सुप्रीम कोर्ट
जल समझौता रद्द करने का कानून : पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा के साथ हुआ जल समझौता रद्द करने के लिए बनाया गया कानून सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जमीन लौटाने का फैसला : SYL नहर के लिए अधिगृहित की गई जमीन किसानों को लौटाने के पंजाब सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है और रिसीवर भी नियुक्त किया है।
हुड्डा ने पंजाब के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करने की दी सलाह
SYL नहर विवाद को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि अब इन बैठकों से आगे बढ़कर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करवाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करे। हुड्डा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला सुना चुका है और केंद्र सरकार को SYL के पानी के बंटवारे की जिम्मेदारी दी गई थी। हरियाणा और केंद्र दोनों में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद हरियाणा को उसका हक नहीं मिला। ये बीजेपी की हरियाणा विरोधी मानसिकता का नतीजा है। वहीं, इनेलो विधायक अर्जुन चौटाला ने भी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भगवंत मान को होश में आकर बैठक में शामिल होना चाहिए, न कि शराब के नशे में बयान देना। वो कहते हैं SYL पंजाब का पानी है, लेकिन क्या वो इसे किसी कुएं से निकालकर लाए हैं? SYL का पानी तो सियाचिन ग्लेशियर से आता है, ये पूरे देश का प्राकृतिक संसाधन है, किसी राज्य की बपौती नहीं।
क्या है SYL नहर विवाद
पंजाब से टूटकर अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी मांगा था। इस पर 1979 में 214 किलोमीटर लंबी SYL नहर के निर्माण की बात बनी। इसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में पंजाब में इसके निर्माण की शुरुआत की। हरियाणा ने तो अपना हिस्सा पूरा कर लिया, जबकि पंजाब ने इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। 2024 में पंजाब विधानसभा ने जल समझौते को समाप्त करने वाला कानून पास किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया। पंजाब ने अपने हिस्से में बनी हुई नहर को भी पाटने का काम किया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अगली सुनवाई 13 अगस्त को तय है।
