Action on farmers: फतेहाबाद, जींद और कुरुक्षेत्र में पराली जलाने पर किसानों पर केस दर्ज

हरियाणा में पराली जलाने पर तीन किसानों पर एफआईआर हुई।
पराली जलाने पर सख्ती : हरियाणा सरकार ने पराली जलाने को लेकर सख्ती शुरू कर दी है। इस सीजन में अब तक फतेहाबाद, जींद और कुरुक्षेत्र जिलों से पराली जलाने के तीन मामले सामने आए हैं। सभी मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है और संबंधित किसानों के भू-अभिलेखों में रेड एंट्री की गई है। इसके अलावा, पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भी लगाया गया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसे किसी भी मामले में सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा सरकार ने धान कटाई के पीक सीजन से पहले ही पराली जलाने की रोकथाम के लिए अपनी मुहिम तेज कर दी है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए राज्य कार्य योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा हेतु उच्चस्तरीय बैठक हुई।
हरियाणा में 39.33 लाख एकड़ धान का रकबा
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक पराली जलाने का मामला जा चुका है। मुख्य सचिव ने कहा कि वायु गुणवत्ता की रक्षा हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे एनसीआर के लिए अनिवार्य है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में 39.33 लाख एकड़ धान क्षेत्र है और 5.65 लाख किसानों ने पराली प्रबंधन हेतु पंजीकरण कराया है।
करनाल में 4.69 लाख एकड़, कैथल में 4.34 लाख एकड़, सिरसा में 3.70 लाख एकड़, फतेहाबाद में 3.61 लाख एकड़ और जींद में 3.56 लाख एकड़ रकबा पंजीकृत है।
1200 रुपये प्रति एकड़ मिलता है प्रोत्साहन
इस वर्ष 471.96 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन स्वीकृत किए गए हैं। इससे किसानों को स्थायी अवशेष प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रति एकड़ 1200 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने निर्देश दिए कि सभी गांवों में हर खेत का मानचित्रण किया जाए ताकि पराली प्रबंधन के विशिष्ट तरीके चाहे वह फसल विविधीकरण हो, स्थानीय स्तर पर समावेशन हो, चारे के रूप में बाहरी उपयोग हो या उद्योगों को आपूर्ति हो उचित रूप से निर्धारित और कार्यान्वित किए जा सकें।
पराली से निपटने को मशीन खरीद पर सब्सिडी
अनुराग रस्तोगी ने कहा कि हरियाणा न केवल फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनों की खरीद पर सब्सिडी दे रहा है, बल्कि कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को उपलब्ध भी करा रहा है। मुख्य सचिव ने किसानों को बायोमास संयंत्रों, ब्रिकेटिंग यूनिट्स जैसे उद्योगों और हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम से जोड़कर एक मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने के महत्व पर बल दिया। सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए किसानों को औद्योगिक खरीदारों से सीधे जोड़ने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग भी किया जा रहा है।
50 से 100 किसानों पर एक अधिकारी नियुक्त
बैठक में बताया गया कि पराली प्रबंधन के लिए नोडल अधिकारियों को किसानों के समूह सौंपे गए हैं। इनमें से प्रत्येक अधिकारी की रेड और येलो जोन में अधिकतम 50 किसानों और ग्रीन जोन में 100 किसानों की जिम्मेदारी है। इस संरचना से सघन निगरानी, समय पर सलाह और प्रभावी मार्गदर्शन मिलता है। जिलास्तरीय प्रगति पर नजर रखने और किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने के लिए एक समर्पित परियोजना निगरानी इकाई भी स्थापित की गई है।
पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक राजनारायण कौशिक ने बताया कि कई जिलों में एक बहु-विभागीय पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया गया है। इस टास्क फोर्स में पुलिसकर्मी, कृषि अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जो खेतों की निगरानी करेंगे और पराली जलाने से रोकेंगे।
उन्होंने बताया कि कुछ किसान उपग्रह की निगरानी से बचने के लिए देर रात पराली जलाने की कोशिश करते हैं, इसलिए शाम की गश्त पर खास ध्यान दिया गया है। सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से शिकायतों को प्राप्त करने और उनका समाधान करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए गए हैं।
पराली भंडारण को 249 एकड़ भूमि
राज्य ने पराली की गांठों के भंडारण के लिए प्रमुख जिलों में 249 एकड़ पंचायती भूमि की पहचान की है। ये डिपो आग के खतरों से होने वाले नुकसान को रोकेंगे और औद्योगिक उपयोग के लिए निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे। बैठक में पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, नगर एवं ग्राम आयोजना तथा शहरी संपदा विभाग के प्रधान सचिव एके सिंह, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग, हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक साकेत कुमार तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
