जानलेवा पेन किलर्स: 51 लीटर गंगाजल की कांवड़ लाने वाले कांवड़िये की एक गलती ने ली जान

kawad yatra 2025
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सोनीपत के गांव पुरखास राठी का शिवभक्त जतिन। फाइल फोटो

हरियाणा के सोनीपत का 20 वर्षीय शिवभक्त जतिन 51 लीटर की कांवड़ लेकर चला। रास्ते में कुछ ऐसा हुआ, जिससे उसके पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

जानलेवा पेन किलर्स : हरियाणा के सोनीपत के शिवभक्त कांवड़िये की भक्ति तो जीत गई, लेकिन शक्ति हार गई। गांव पुरखास राठी का 20 वर्षीय जतिन कांवड़ में 51 लीटर गंगाजल उठाकर हरिद्वार से लौटा, लेकिन कुछ दिन बाद ही जिंदगी की लड़ाई हार गया। श्रद्धा की होड़ में उसने 51 लीटर गंगाजल की कांवड़ उठाई, जिससे उसके कंधे की मांसपेशियां फट गईं। भयंकर दर्द के बावजूद उसने कांवड़ नहीं छोड़ी। दर्द में वह शिविरों से पेन किलर लेता रहा। इन दवाइयों का भयानक असर देखने को मिला।

शामली के पास फटी मांसपेशी

चाचा राजेश राठी ने बताया कि जतिन की मांसपेशी यूपी के शामली के पास फट गई थी। उन्होंने रोकने की कोशिश की, लेकिन जतिन ने इसे मामूली चोट मानकर पेन किलर ली और आगे चलता रहा। 22 जुलाई को वह शेखपुरा शिविर में रुका, जहां चाचा भी उसके साथ रातभर रहे। जतिन ने 23 जुलाई को शिव मंदिर में जल चढ़ाया और घर पहुंचा। इस दौरान उसने खाना-पीना भी काफी कम कर दिया था।

तीन दिन अस्पताल में रहा संघर्ष

घर पहुंचने के बाद जतिन की तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई। पहले उसे सोनीपत के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां पता चला कि कंधे की मांसपेशी फट चुकी है और अंदर पानी भरने से इन्फेक्शन फैल चुका है। दो दिन में यह इन्फेक्शन लीवर और किडनी तक पहुंच गया। हालत बिगड़ती देख परिजन उसे पानीपत ले गए, लेकिन शुक्रवार रात उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।

आस्ट्रेलिया जाना था, नवंबर में बहन की शादी

जतिन के पिता देवेंद्र और दोनों चाचा शिक्षक हैं। जतिन ने हाल ही में 12वीं की पढ़ाई पूरी की थी और विदेश जाने की तैयारी कर रहा था। पहले न्यूजीलैंड और फिर ऑस्ट्रेलिया जाना चाहता था। वहीं, नवंबर में बहन की शादी थी, जिसकी वह कई दिनों से प्लानिंग कर रहा था। पर अब घर में सन्नाटा है।

दादा के लिए लाया था गंगाजल

जतिन अपने 85 वर्षीय दादा व पूर्व सैनिक अतर सिंह से बेहद जुड़ाव रखता था। वह उन्हें हरिद्वार का गंगाजल लाकर स्रान कराना चाहता था। पिछली बार वह 31 लीटर गंगाजल लाया था, इस बार श्रद्धा में बढ़ोतरी मानते हुए 51 लीटर उठा लिया। यह श्रद्धा अब पूरे परिवार के लिए एक भारी दुख बन गई।

श्रद्धा रखें, लेकिन शरीर की सीमा को समझें

जतिन के चाचा राजेश राठी ने कहा कि हमने अपना होनहार बेटा खो दिया। वह तो बस श्रद्धा में गंगाजल उठा लाया था। मैं युवाओं से हाथ जोड़कर कहना चाहता हूं कि श्रद्धा जरूरी है, लेकिन शरीर की सीमा को समझें। सच्चे मन से लाया गया एक लीटर गंगाजल भी उतना ही पवित्र होता है जितना 50 लीटर। पेन किलर कभी डाक्टर की सलाह के बिना न लें। जतिन चला गया, लेकिन अगर समाज ने सीख ली तो शायद कोई और बच जाए।

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