फर्जी शादियों का भंडाफोड़: हरियाणा-राजस्थान और पंजाब में किराए की दुल्हनें, दिहाड़ी पर माता-पिता, मास्टरमाइंड गिरफ्तार

सिरसा में फर्जी शादी को रुकवाती पुलिस।
हरियाणा के सिरसा में चल रहे एक बड़े फर्जी शादी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसका जाल राजस्थान और पंजाब तक फैला हुआ है। पुलिस ने खुलासा किया है कि यह गिरोह 10 हजार रुपये में दुल्हन का इंतजाम करता था, लड़के वालों से लाखों रुपये वसूलता था और शादी करवा देता था। इस धोखाधड़ी में फर्जी माता-पिता और रिश्तेदार भी शामिल होते थे, जिन्हें दिहाड़ी पर लाया जाता था।
मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी और चौंकाने वाले खुलासे
इस गिरोह का मास्टरमाइंड रेशम सिंह है, जिसे 1 मई को डबवाली में डेरा सच्चा सौदा कैंटीन पर फर्जी शादी करवाते हुए राजस्थान की बीकानेर पुलिस ने रंगे हाथ पकड़ा। इस गिरफ्तारी के बाद एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस के अनुसार, रेशम सिंह ऐसी 12 शादियां करवा चुका है और सभी मामलों में दुल्हनें एक हफ्ते के भीतर गहने लेकर फरार हो चुकी हैं। यह गिरोह दुल्हन बनने वाली लड़कियों से लेकर माता-पिता और रिश्तेदारों तक सभी को उनके रोल के अनुसार तय दरों पर दिहाड़ी पर रखता था।
ऐसे बिछाया जाता था धोखाधड़ी का जाल
1. टारगेट ढूंढने के साथ शुरू होता था खेल : पुलिस के मुताबिक रेशम सिंह फर्जी शादी गिरोह का सरगना है, जिसमें उसकी पत्नी भी शामिल है। रेशम सिंह की टीम पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में सक्रिय थी। उनका पहला काम ऐसे लड़कों को ढूंढना होता था जिनकी शादी नहीं हो पा रही हो, जिनमें दिव्यांग और ज्यादा उम्र के व्यक्ति मुख्य होते थे। ऐसे लड़कों की जानकारी रेशम सिंह तक पहुंचाई जाती थी, जिसके बाद वह खुद संपर्क कर शादी करवाने का झांसा देता था।
2. पैसों की डील और फिर लड़की फाइनल : ठगी का शिकार हुए दूल्हों के अनुसार रेशम सिंह पहले पैसों की डील करता था। पार्टी देखकर 5 से 6 लाख रुपये से बात शुरू होती थी और 2 से 3 लाख रुपये तक में डील फाइनल हो जाती थी। इसी हिसाब से रेशम सिंह 10 से 20 हजार रुपये तक में लड़की और रिश्तेदारों का इंतजाम करता था।
3. जाली डॉक्यूमेंट का खेल : छानबीन में पता चला है कि दुल्हन बनने वाली लड़की और उसके रिश्तेदारों को राजी करने के बाद उनके जाली डॉक्यूमेंट बनाए जाते थे। आधार कार्ड से लेकर सभी आईडी कार्ड पर गलत एड्रेस लिखवाए जाते थे, ताकि जब दुल्हन भाग जाए तो दस्तावेजों के पते पर तलाश करने पर भी पकड़ी न जा सकें।
4. मंदिर या गुरुद्वारों में शादी ताकि किसी को पता न चले : पुलिस के अनुसार, शादी के लिए ज्यादातर मंदिर या गुरुद्वारों को ही चुना जाता था, क्योंकि यहां डॉक्यूमेंट की वेरिफिकेशन करने का कोई साधन नहीं होता। इन स्थानों पर आरोपी लोगों की नजरों से बचकर शादी करवा देते थे।
5. कोर्ट मैरिज में पहली बार हुआ फर्जी डॉक्यूमेंट का खुलासा : 27 मार्च, 2024 को बीकानेर के 2 भाइयों की शादी में जब परिजनों को शक हुआ तो उन्होंने कोर्ट मैरिज की बात कही। इस पर आरोपी ने कोर्ट में भी जाली डॉक्यूमेंट लगा दिए, जो बाद में वेरिफिकेशन पर फर्जी पाए गए। पहली बार इनके फर्जी डॉक्यूमेंट का तभी पता चला। इनके बताए एड्रेस पर कोई नहीं मिला, न ही दिए गए मोबाइल नंबर मिले।
मास्टरमाइंड के पास मिली 3 फर्जी ID
पुलिस के हत्थे चढ़े गिरोह के मास्टरमाइंड रेशम सिंह की खुद की 3-3 फर्जी आईडी मिली हैं। उसकी ओरिजिनल आईडी में नाम रेशम सिंह है, जबकि डुप्लीकेट में लक्ष्मण सिंह और दर्शन सिंह है। बीकानेर में दर्शन सिंह और सिरसा के डबवाली में होने वाली शादी में रेशम सिंह के नाम से आईडी दी गई थी। सिरसा में शादी करवाते पकड़ा गया मास्टरमाइंड फर्जी शादियों को करवाने वाले मास्टरमाइंड रेशम सिंह को 1 जून को सिरसा के डबवाली में सच कैंटीन से राजस्थान की बीकानेर पुलिस ने पकड़ा। इस दौरान भी यह शादी करवा रहा था। दुल्हन तैयार थी, दूल्हा भी मंच पर बैठा था। पुलिस ने उन्हें बताया कि रेशम सिंह के खिलाफ राजस्थान के बीकानेर जिले के कोलायत थाने में 27 मार्च 2024 को मुकदमा दर्ज हुआ था। वह 1 साल से फरार है। इस दौरान पुलिस ने जब लड़की के माता-पिता से लड़की का नाम पूछा तो वे नाम नहीं बता पाए। इसके बाद पुलिस ने इस फर्जी शादी को रुकवा दिया।
बीकानेर की फर्जी शादियों की कहानी
बीकानेर से लड़के पक्ष के गिरि स्वामी ने बताया कि उनके परिवार में 2 शादियां हुई थीं। उनके एक जानकार ने रेशम सिंह का नंबर दिया था। रेशम सिंह को फोन किया तो उसने लड़की देखने हनुमानगढ़ बुलाया। परिवार गाड़ी लेकर गया। वहां दोनों लड़कियां देखीं और शादी के लिए 3-3 लाख यानी कुल 6 लाख रुपये में डील हुई। गिरि स्वामी बताते हैं हमसे 3 लाख रुपये एडवांस ले लिए और 3 लाख शादी के बाद दिए। पहले मंदिर में शादी कराई, बाद में कोर्ट मैरिज के लिए दस्तावेज जमा कराए। बाद में पता चला कि जो कागज दुल्हन बनी लड़कियों और उनके माता-पिता ने दिए थे, वे एक माह पहले ही बनवाए थे और नकली थे।
उन्होंने बताया दोनों लड़कियां हमारे घर पर रहीं। इनकी सूचना बीकानेर के कोलायत थाने दी गई और दोनों लड़कियों को पकड़वा दिया। वर्ना वे गहने लेकर भागने की तैयारी में थीं। हमें उनकी हरकतों पर शक हो गया था। हमने लड़कियों से पूछा था तो बताया कि उन्हें 20-20 हजार रुपये मिले हैं। बाकी मुख्य आरोपियों ने खुद रख लिए। गिरि स्वामी ने कहा कि अभी तक उनके 6 लाख रुपये नहीं मिले हैं। लड़कियों ने आधार कार्ड में सीता-गीता नाम लिखवाया था और असली नाम कुछ और था। जो पिता बना था उसका नाम आधार कार्ड में दर्शन सिंह था, जबकि असल में वह मास्टरमाइंड रेशम सिंह ही था। लड़की की मां बनी महिला भी रेशम सिंह की पत्नी बताई जा रही है।
सिरसा में पीड़ित बचा धोखाधड़ी से
इस गैंग का शिकार हुए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की संगरिया तहसील के गांव संतपुरा के रहने वाले एक परिजन ने बताया है कि उनके पास कुछ दिन से पंजाब के मुक्तसर के सिंघेवाला गांव की निवासी बीरपाल कौर नाम की महिला का बार-बार फोन आ रहा था। परिजन ने बताया मेरी साली का लड़का दिव्यांग है, जो पंजाब के मोगा में रहता है। जिस महिला का फोन आ रहा था, उसने कहा कि आपका लड़का दिव्यांग है। इसकी शादी तो हो जाएगी, लेकिन 2 लाख रुपये लगेंगे। हमने लड़की दिखाने के लिए कहा तो हमें हरियाणा के सिरसा जिले के डबवाली में लड़की दिखाने के लिए बुलाया।
परिजन बताते हैं कि डबवाली आने पर पहले हरियाणा चौक पर बुलाया। बाद में गुरुघर में आने को कहा। वहां लड़की से मिलवाया जो हमें पसंद आ गई। उस दौरान बीरपाल कौर के साथ 1 लाख में बात पक्की हो गई। हमें बताया गया कि लड़की सिरसा के रोड़ी की रहने वाली है। महिला हमें लड़की के घर भी ले गई थी। इसके बाद सच कैंटीन पर शादी होना तय हुई। पीड़ित ने बताया कि 1 जून को हम बारात लेकर डबवाली आए। हालांकि इस बीच पुलिस आने से असलियत सामने आ गई और हम बच गए। पुलिस ने इस मामले में आगे की जांच शुरू कर दी है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। यह घटना उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो शादी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।
