Sheikh Chilli Tomb: आगरा में ही नहीं, हरियाणा के इस जिले में भी है 'ताजमहल', खूबसूरती बेमिसाल, इतिहास जान रह जाएंगे हैरान

Tomb of Chilli Sheikh in Haryana
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हरियाणा में चिल्ली शेख का मकबरा

Sheikh Chilli Tomb: हरियाण के कुरुक्षेत्र में शेख चिल्ली का मकबरा स्थित है। यह 373 साल पुराना बताया जाता है। इसे ताजमहल की तर्ज पर बनाया गया है।

Sheikh Chilli Tomb History: कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर में शेख चिल्ली का मकबरा स्थित है। इसे हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है। इस मकबरे को सूफी संत शेख चिल्ली की याद में बनवाया गया था। इसके वेस्ट पार्ट में जलालुद्दीन साबरी की दरगाह भी है।

यह मकबरा टूरिस्ट्स के लिए आकर्षण का है। इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से कुरुक्षेत्र पहुंचते हैं। यह एक ऐतिहासिक इमारत है। जिसे इतिहास के पन्नों में 'हरियाणा के ताजमहल' के नाम से जाना जाता है।

हरियाणा का ताजमहल

हरियाणा के इस मकबरे से कुछ किस्से और कहानियां जुड़ी हुई हैं, जिनसे लोग आज भी अनजान हैं। इस इमारत का इतिहास जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। बता दें कि मकबरा वास्तव में एक सूफी संत की मजार है।

क्यों कहते हैं ताजमहल

इस मकबरे को ताजमहल इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका निर्माण उसी पत्थर से करवाया गया है, जिससे आगरा का ताजमहल बना है। इसके अलावा इसकी बनावट भी ताजमहल से मिलती जुलती है। इसी वजह से इसे ताजमहल कहा गया है।

1650 ई. में हुआ मकबरे का निर्माण

इस महल का निर्माण प्रसिद्ध सूफी संत शेख चिल्ली की याद में दाराशिकोह द्वारा लगभग 1650 ई. में करवाया गया था। इतिहासकारों की मानें, तो यह मकबरा दाराशिकोह के पठन-पाठन और आध्यात्मिक ज्ञान का भौतिक प्रतीक माना जाता था। यह 373 साल पुराना है।

इतिहासकारों का कहना है कि जब ईरानी शेख चिल्ली भारत घूमने के लिए आया था, तो उसको पता चला कि कुरुक्षेत्र में जलालुद्दीन साहब साबरी नाम का एक विद्वान रहता है। शेख, जलालुद्दीन से मिलना चाहता था। जलाल से मिलने के लिए शेख चिल्ली यहां आया। शेख इस जगह और जलाल के लिए लगाव महसूस करने लगा, जिसके चलते वह वापस ईरान नहीं गया और यहीं पर बस गया।

कुछ समय बाद जलालुद्दीन का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद जलालुद्दीन के शिष्य ने इस मकबरे को बनवाया। समय के साथ-साथ इसकी बनावट को सुधारा गया। जिससे इसे नई पहचान मिली। इसकी खूबसूरती और आकर्षण के कारण इसे पुरातत्व विभाग के अंतर्गत लिया गया और इस खूबसूरत इमारत को पुनर्जीवित किया गया।

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