स्टडी वीजा पर रूस गए हरियाणवी युवा संकट में: रूसी सेना ने थमाए हथियार, माता-पिता की बेटों को बचाने की गुहार

रूस की आर्मी की तरफ से तैनात संदीप।
हरियाणा के कई युवाओं का भविष्य आज रूस-यूक्रेन युद्ध के खतरनाक दलदल में फंस गया है। फतेहाबाद के दो युवकों का मामला सामने आने के बाद अब रोहतक के संदीप समेत तीन और युवकों के जबरन रूसी सेना में भर्ती होने की कहानी सामने आई है। ये युवक बेहतर शिक्षा और भविष्य के सपने लेकर रूस गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें बंदूकें थमाकर युद्ध की 'जीरो लाइन' पर धकेल दिया गया है।
रोहतक के जेठपुर (तैमूरपुर) गांव के 29 वर्षीय संदीप ने अपने परिजनों को एक वीडियो संदेश भेजा है, जिसमें उन्होंने अपनी भयावह स्थिति की जानकारी दी और वतन वापसी की गुहार लगाई है। संदीप, जो स्टडी वीजी पर 23 सितंबर 2024 को रूस पहुंचा था और एक रेस्टोरेंट में नौकरी कर रहा था, उसे आर्मी में कुक की नौकरी का लालच दिया गया। मगर, कुछ ही समय बाद उनके हाथ में हथियार थमा दिए गए और उन्हें यूक्रेन के कब्जाए क्षेत्र में भेज दिया गया है, जहां से शहर केवल ढाई किलोमीटर दूर है। संदीप के साथ सोनीपत, अंबाला और उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य युवक भी फंसे हुए हैं।
कर्ज लेकर भेजा था बेटा, अब फंसा मौत के मुहाने पर
संदीप के पिता बक्शे राम ने बताया कि उनके घर की आर्थिक हालत बेहद खराब है। संदीप पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा है और बीए पास है। घर की माली हालत सुधारने की आस में उन्होंने गहने बेचकर और कर्ज लेकर लगभग 6 लाख रुपये एक एजेंट को दिए थे ताकि संदीप रूस जा सके।
बक्शे राम ने भावुक होते हुए बताया कि उनका घर जर्जर हालत में पहुंच गया है। उन्होंने उम्मीद की थी कि संदीप जल्द ही पैसा भेजेगा, जिससे वे कर्ज चुका पाएंगे। इसी मजबूरी के कारण संदीप ने आर्मी में कुक की नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। पिता खुद कई ऑपरेशन करवा चुके हैं और मां का भी ऑपरेशन हुआ है, इसलिए वे काम करने में असमर्थ हैं। उनका अब बस यही कहना है कि उन्हें उनका बेटा वापस चाहिए।
संदीप के मामा श्रीभगवान ने बताया कि उनके भांजे को हथियार थमा दिए गए हैं। संदीप वीडियो कॉल पर बताता है कि उन्हें बंकरों में रहना पड़ रहा है और खाने के नाम पर एक वक्त सिर्फ दलिया मिलता है। आग जलाने की भी इजाजत नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि रात को जो गैर-रूसी सैनिक हैं, उन्हें गश्त के लिए बाहर निकाला जाता है, जहां उन पर हमला होने का खतरा रहता है।
फतेहाबाद के अंकित और विजय को भी युद्ध में झोंका
रोहतक के संदीप की तरह ही फतेहाबाद जिले के कुम्हारिया गांव के अंकित जांगड़ा और विजय पुनिया को भी जबरन रूसी सेना में भर्ती किया गया है। उन्हें 'जीरो लाइन' यानी सीधे युद्ध क्षेत्र में भेजा जा चुका है। पिछले करीब 25 दिनों से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। उनके परिजन दिल्ली और चंडीगढ़ के चक्कर काट रहे हैं।
अंकित और विजय के परिजनों ने बताया कि रूस के मॉस्को शहर में रेलवे स्टेशन पर उन्हें एक महिला मिली, जिसने उन्हें सिक्योरिटी गार्ड या ड्राइवर की नौकरी का झांसा दिया। उन्हें बताया गया कि तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद 15 से 20 लाख रुपये और फिर हर महीने डेढ़ से दो लाख रुपए मिलेंगे। अच्छी कमाई की उम्मीद में, अंकित और विजय ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
लेकिन, उस महिला ने धोखे से उन्हें रूसी सेना में जबरन भर्ती करवा दिया और एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करवा लिए। इसके बाद उन्हें बंद कंटेनर में भरकर रूस से यूक्रेन के शहर सोलीडेव के जंगलों में ले जाया गया, जहां उन्हें बंकर जैसे कमरे में छोड़ दिया गया। अंकित जांगड़ा ने यूक्रेन से एक वीडियो जारी कर कहा था कि यह उनका अंतिम वीडियो हो सकता है।
लालच देकर फंसाता है अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
रूस से लौटे फतेहाबाद के ही रमेश ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनका कहना है कि रूस में एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है जो पैसे का लालच देकर भारत ही नहीं, बल्कि श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान जैसे कई देशों के युवाओं को फंसाता है। वे युवाओं को शानदार जीवनशैली और बड़ी रकम का सपना दिखाते हैं। रमेश ने बताया कि सेना में भर्ती के बाद ट्रेनिंग के नाम पर भी महज 10 दिन तक गन चलाना सिखाते हैं, और फिर उन्हें युद्ध में मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। ऐसे युवाओं के सामने 'मर जाओ या सामने वाले को मार दो' की ही दो स्थितियां बचती हैं। उज्बेकिस्तान और किर्गीस्तान के लोगों को रशियन भाषा आती है, इसलिए वे उनके बहकावे में नहीं आते।
भारत सरकार की पहल से जगी उम्मीद
संदीप और अन्य युवकों को वापस लाने के लिए परिजनों ने विदेश मंत्रालय, दूतावास और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ ने भी विदेश मंत्री को इस विषय में पत्र भेजा है।
राहत की बात यह है कि विदेश मंत्रालय ने हाल ही में 27 नए लोगों की लिस्ट जारी की है, जो रूसी सेना में भर्ती करके यूक्रेन युद्ध में धकेले जा चुके हैं। इस लिस्ट में फतेहाबाद के अंकित और विजय का नाम भी शामिल है। भारत सरकार अब इस गंभीर मामले में रूसी सरकार से बात कर रही है। इस सरकारी पहल के बाद सभी फंसे हुए युवकों के परिवारों को उनकी सुरक्षित वापसी की एक नई उम्मीद बंधी है।
अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें और हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए [haribhoomi.com] के साथ।
