रोहतक के लाल की बहादुरी: पाकिस्तानी पोस्ट उड़ाने पर मिलेगा मेडल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी डटा रहा

पाकिस्तानी पोस्ट उड़ाने पर मिलेगा मेडल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी डटा रहा
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रोहतक के गांव गांधरा में BSF जवान दिनेश मलिक को आशीर्वाद देती महिला। 

बीएसएफ जवान ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, 8 मई की रात को पाकिस्तानी फायरिंग का जवाब देते हुए दिनेश और उनकी टीम ने उस पाकिस्तानी पोस्ट को ही नष्ट कर दिया जहां से गोलाबारी की जा रही थी।

हरियाणा के रोहतक जिले के गांव गांधरा के जांबाज बीएसएफ जवान दिनेश मलिक ने पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का करारा जवाब दिया है। 8 मई की रात को पाकिस्तान की ओर से की गई भारी फायरिंग के जवाब में, दिनेश और उनकी टीम ने उस पाकिस्तानी पोस्ट को ही नष्ट कर दिया, जहां से गोलाबारी की जा रही थी। यह वीरतापूर्ण कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद हुई, जब सीमा पर तनाव अपने चरम पर था। इस असाधारण वीरता के लिए दिनेश मलिक को बीएसएफ की ओर से मेडल से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। जब दिनेश अपने पैतृक गांव लौटे तो ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें खुली कार में पूरे गांव में घुमाया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर जवानों की मुस्तैदी

दिनेश मलिक ने बताया कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद से ही सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ था। बीएसएफ के जवान 24 घंटे अलर्ट पर थे। छुट्टी पर गए जवानों को भी तुरंत वापस बुला लिया गया था, कई जवानों ने अपनी अधूरी छुट्टियां छोड़कर देश सेवा में वापसी की। दिनेश ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तानी हमले के दौरान हर जवान के मन में केवल एक ही बात थी- पाकिस्तान को जड़ से मिटा दिया जाए।

सांबा बॉर्डर पर पाकिस्तान की दो चौकियां ध्वस्त

दिनेश ने आगे बताया कि सेना के हर जवान को किसी भी कीमत पर अपनी पोस्ट न छोड़ने के सख्त निर्देश थे, क्योंकि एयर स्ट्राइक के बाद लगातार तनाव बढ़ रहा था। 8 मई को पाकिस्तानी पोस्ट की ओर से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। इसके बाद भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इस दौरान सांबा बॉर्डर से पाकिस्तान की दो चौकियों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया। दिनेश मलिक की टीम, जिसमें कुल सात जांबाज सैनिक शामिल थे, करीब 10 दिनों तक ज़मीन पर लेटकर सीमा की रक्षा करती रही। उन्होंने बताया कि सेना ने अलग-अलग टीमों को अलग-अलग पोस्ट की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। जब युद्धविराम (सीजफायर) हुआ, तब जाकर सीमा पर शांति बहाल हुई। दिनेश ने गर्व से कहा अब भारतीय सेना हर हमले का जवाब उसी की भाषा में देना जानती है।

पहलवान से फौजी बने दिनेश मलिक का सफर

रोहतक जिले के गांधरा गांव में जन्में दिनेश मलिक एक किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता जयकवार किसान हैं और मां निर्मला गृहिणी हैं। दिनेश को बचपन से ही कुश्ती का शौक था और उनके पिता उन्हें एक सफल पहलवान बनाना चाहते थे। अपने चाचा सुनील से प्रेरणा लेकर, दिनेश ने महज 10 साल की उम्र में कुश्ती सीखना शुरू कर दिया था। महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से बीए की पढ़ाई करने वाले दिनेश एक कुशल कुश्ती खिलाड़ी हैं। उन्होंने 19वीं मिलिट्री चैंपियनशिप में 97 किलोग्राम भार वर्ग में अपने प्रतिद्वंद्वी को हराकर चैंपियनशिप जीती। इससे पहले भी वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में हरियाणा के लिए कई रजत पदक जीत चुके हैं।

खेल कोटे से बीएसएफ में भर्ती और देश की सेवा

दिनेश मलिक खेल कोटे से ही 2018 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। इस दौरान उनकी कई जगहों पर पोस्टिंग हुई। वर्तमान में दिनेश जम्मू-कश्मीर के सांबा बॉर्डर पर तैनात हैं, जहां वे पूरी निष्ठा से देश की सेवा कर रहे हैं। दिनेश का मानना है कि बुलंद हौसलों वाली भारतीय सेना जैसी विश्व में कोई सेना नहीं है। गांव गांधरा पहुंचने पर दिनेश मलिक का उनके गांव वालों ने दिल खोलकर स्वागत किया। ग्रामीण विकास, संजय, अमित, जयवंत, सुनील और दीपक ने उन्हें फूलों की माला पहनाई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

शहीदों के सम्मान में पोस्ट के नामकरण का प्रस्ताव

दो दिन पहले बीएसएफ के आईजी जम्मू शशांक आनंद ने ऑपरेशन सिंदूर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान बीएसएफ की महिला कर्मियों ने भी अग्रिम ड्यूटी चौकियों पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी। आनंद ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से बीएसएफ चौकियों पर ड्रोन हमलों और गोलाबारी में हमने बीएसएफ के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज, कॉन्स्टेबल दीपक कुमार और भारतीय सेना के नायक सुनील कुमार को खो दिया। बीएसएफ अब अपनी दो पोस्ट का नाम खोए हुए कर्मियों के नाम पर रखने का प्रस्ताव भेज रही है और एक पोस्ट का नाम 'सिंदूर' रखने का प्रस्ताव भी भेजा है।

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