आध्यात्मिक पथ: साध्वी बनने में बचे हैं बस कुछ घंटे, रोहतक की लब्धि जैन की आध्यात्मिक यात्रा पहुंची अहम पड़ाव पर

साध्वी बनने में बचे हैं बस कुछ घंटे, रोहतक की लब्धि जैन की आध्यात्मिक यात्रा पहुंची अहम पड़ाव पर
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रोहतक में लब्धि जैन को आशीर्वाद देती जैन साध्वियां। 

सुबह मंगल तिलक के साथ उनकी यह यात्रा शुरू हुई। दुल्हन के पारंपरिक लाल जोड़े में रथ पर सवार होकर वह आयोजन स्थल के लिए निकलीं, जहां अब कुछ ही घंटों में उन्हें दीक्षा मंत्र मिलेंगे। साध्वी बनने से पहले वह मुनि द्वारा अभिमंत्रित वस्त्र धारण करेंगी।

हरियाणा के रोहतक में लब्धि जैन के साध्वी बनने की आध्यात्मिक यात्रा अपने अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच चुकी है। आज सुबह मंगल तिलक के साथ ही लब्धि जैन के साध्वी रूप में परिवर्तित होने में अब कुछ ही घंटे शेष हैं। आयोजन स्थल पर सभी आवश्यक तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं, जहाँ दीक्षा मंत्रों के साथ लब्धि जैन को एक नई पहचान और एक नया नाम मिलेगा, जो उनके नए आध्यात्मिक जीवन का प्रतीक होगा।

दुल्हन के लिबास में निकली अंतिम रथ यात्रा

आज सुबह लब्धि जैन की तिलक रस्म पूरी हुई, जिसमें उनके सभी भाई, भाभी और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। इस पवित्र रस्म के बाद, मंगल कलश और भव्य रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। रथ पर सवार लब्धि, एक दुल्हन के पारंपरिक लाल जोड़े में निकलीं। यह अंतिम अवसर था जब लब्धि पारंपरिक वैवाहिक वेशभूषा में नजर आ रही थीं, क्योंकि इसके बाद वे सांसारिक बंधनों को त्यागकर आध्यात्मिकता के मार्ग पर अग्रसर हो जाएंगी। यह क्षण उनके परिवार और श्रद्धालुओं के लिए भावुक कर देने वाला था, जहां एक कन्या अपने सांसारिक जीवन को अलविदा कहकर आत्म-कल्याण के मार्ग को चुन रही थी।

साध्वी बनने के लिए अभिमंत्रित वस्त्रों का धारण

लब्धि जैन साध्वी बनने से पूर्व जैन मुनि द्वारा अभिमंत्रित किए गए पवित्र वस्त्रों को धारण करेंगी। इन वस्त्रों में से आधे पर केसर का प्रिंट करवाया गया है, जो आध्यात्मिकता और त्याग का प्रतीक है। दीक्षा मंत्र के दौरान अष्टमंगल कलश वाला विशेष वस्त्र लब्धि को दिया जाएगा। इसी के साथ उन्हें एक नई पहचान और एक नया नाम भी मिलेगा, जिससे उन्हें भविष्य में साध्वी के रूप में जाना जाएगा। यह वस्त्र और नया नाम उनके पिछले जीवन के त्याग और नए आध्यात्मिक जीवन के आरंभ का संकेत होगा।

बेटी से गुरु महाराज के रूप में परिवर्तित होंगी लब्धि

लब्धि जैन की मां, सेंजल जी का कहना है कि अब तक लब्धि उनकी बेटी थी, लेकिन साध्वी बनने के बाद वे लब्धि में अपने गुरु के दर्शन करेंगी। उनके लिए लब्धि भी वैसे ही पूजनीय हो जाएंगी, जैसे अन्य साधु और साध्वियां होती हैं। उन्होंने भावुक होकर कहा कि लब्धि के साध्वी बनने के बाद वह उनका भी गुरुओं की भांति ही आशीर्वाद लेंगी। यह मां की असीम श्रद्धा और अपने बच्चे के आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की स्वीकृति को दर्शाता है।

गाजे-बाजे के साथ निकली भव्य रथ यात्रा

लब्धि जैन की सुबह तिलक रस्म के बाद, गाजे-बाजे के साथ एक भव्य कलश यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जैन स्थानक से लेकर आयोजन स्थल तक, पूरे रास्ते श्रद्धालु नाचते-गाते हुए चले और लब्धि जैन को एक कन्या रूप में लोगों ने आशीर्वाद दिया। वहीं, साध्वी बनने के बाद जैन समाज के लोगों ने उनके नए आध्यात्मिक स्वरूप में आशीर्वाद लिया। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान थी, बल्कि पूरे जैन समाज के लिए उत्सव का क्षण भी था, जो एक नई साध्वी के आगमन का स्वागत कर रहा था।

मोह-माया का त्याग कर अपनाया संयम का रास्ता

लब्धि जैन ने साध्वी बनने से पहले सभी मोह-माया का त्याग कर दिया है। उन्होंने अपने सभी सांसारिक रिश्ते-नाते पीछे छोड़ दिए हैं, और एक साध्वी के रूप में उनका नया जीवन शुरू होने जा रहा है। उनका यह जीवन पूर्ण रूप से दूसरों की भलाई के लिए तपस्या के रूप में समर्पित होगा। वे समाज में जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करेंगी और संयम व अहिंसा के सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए एक अनुशासित जीवन जिएंगी। यह त्याग और समर्पण की भावना लब्धि जैन को एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व बनाती है, जो आध्यात्मिकता के मार्ग पर दृढ़ता से अग्रसर हैं।

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