कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 पर रार: संसद के बाहर रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा का हल्लाबोल, बोले- हरियाणा को-होस्ट बनाया जाए

संसद के बाहर धरने के बाद पत्रकारों से बात करते सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा।
भारतीय राजनीति और खेल जगत के गलियारों में उस समय हलचल तेज हो गई, जब रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संसद भवन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। दीपेंद्र हुड्डा का यह विरोध प्रदर्शन वर्ष 2030 में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) की मेजबानी को लेकर है। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर हरियाणा के हितों की बलि देने और प्रदेश के खिलाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का गंभीर आरोप लगाया है।
अहमदाबाद का चयन और हरियाणा की उपेक्षा
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने धरने के दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि आज वह दिन था जब इन प्रतिष्ठित खेलों के लिए मेजबान राज्य का फैसला होना था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने राजनीतिक झुकाव के चलते गुजरात के अहमदाबाद को इस आयोजन के लिए चुन लिया है। हुड्डा का तर्क है कि हरियाणा, जो देश की 'खेल राजधानी' माना जाता है, उसे इस रेस से पूरी तरह बाहर रखना प्रदेश की प्रतिभा का अपमान है। उन्होंने मांग की है कि यदि हरियाणा को मुख्य मेजबान नहीं बनाया जा सकता, तो कम से कम इसे 'को-होस्ट' (सह-मेजबान) का दर्जा दिया जाना चाहिए।
बोले- मेडल ला रहे हरियाणा के खिलाड़ी और बजट मिल रहा गुजरात को
दीपेंद्र हुड्डा ने आंकड़ों के साथ अपनी बात रखते हुए कहा कि ओलंपिक, एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को मिलने वाले कुल पदकों में से लगभग 50 प्रतिशत अकेले हरियाणा के जांबाज खिलाड़ी लाते हैं। इसके बावजूद, केंद्र सरकार खेल बजट के आवंटन में हरियाणा को सबसे निचले पायदान पर रखती है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि जो राज्य देश की झोली में सबसे ज्यादा पदक डालता है, उसे आधारभूत सुविधाओं और बजट के मामले में तरसाया जा रहा है, जबकि सारा पैसा गुजरात में निवेश किया जा रहा है।
हरियाणा के खेल बुनियादी ढांचे की बदहाली
सांसद ने प्रदेश के मौजूदा खेल ढांचे पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हरियाणा के स्टेडियम और ट्रेनिंग सेंटर रखरखाव के अभाव में बदहाल हो चुके हैं। बजट की कमी के कारण खिलाड़ियों को आधुनिक उपकरण और सही कोचिंग नहीं मिल पा रही है। उन्होंने 'खेलो इंडिया' अभियान का जिक्र कर कहा कि इसमें भी हरियाणा को देश में सबसे कम वित्तीय सहायता दी गई। हुड्डा के अनुसार यदि कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे बड़े आयोजन का कुछ हिस्सा हरियाणा में होता, तो यहां विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होता, जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को मिलता।
खिलाड़ियों के मनोबल पर पड़ेगा असर
हुड्डा ने चेतावनी दी कि सरकार के इस प्रकार के भेदभावपूर्ण रवैये से खिलाड़ियों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। जब खिलाड़ी देखते हैं कि उनके पसीने और मेहनत की कद्र करने के बजाय निवेश कहीं और किया जा रहा है, तो उनमें निराशा का भाव पैदा होता है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि खेल नीति में सुधार किया जाए और योग्यता के आधार पर राज्यों को संसाधन आवंटित किए जाएं।
सांसद ने कहा हरियाणा को कम से कम को-होस्ट बनाया जाए
धरने के अंत में दीपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई हरियाणा के खिलाड़ियों के हक की है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि हरियाणा को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 का को-होस्ट घोषित किया जाए। खेल बजट का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा के ग्रामीण अंचलों में खेल नर्सरी विकसित करने के लिए दिया जाए। मेजबानी मिलने से होने वाले निवेश को हरियाणा की खेल सुविधाओं को आधुनिक बनाने में इस्तेमाल किया जाए। सांसद ने संकल्प दोहराया कि वे संसद से लेकर सड़क तक हरियाणा के खिलाड़ियों की आवाज बुलंद करते रहेंगे और प्रदेश की इस अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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