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हरियाणा के रोहतक में रामलीला की तैयारियों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया। 2 अक्टूबर से शुरू होने वाली रामलीला में इस बार राम ही राष्ट्र व राष्ट्र ही राम का संदेश दिया जाएगा। साथ ही रामलीला के लिए मैदान उपलब्ध करवाने की मांग की गई।

रोहतक: विधानसभा चुनावों के बीच रामलीला की तैयारियों ने भी जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। रामलीला के लिए जगह-जगह तैयारियां आरंभ हो गई है, वहीं रोहतक में होने वाली सबसे बड़ी रामलीला का मंच भी सजने लगा है। 2 अक्टूबर से शुरू होने वाली रामलीला में इस बार राम ही राष्ट्र और राष्ट्र ही राम का संदेश दिया जाएगा। साथ ही रामलीला उत्सव कमेटी के पदाधिकारियों ने आगामी सरकार से रामलीला मैदान उपलब्ध करवाने की मांग की, ताकि रामलीला का मंचन सुचारू रूप से हो सके।

रामलीला में दिखेगा जीवन का सार

रामलीला उत्सव कमेटी के संरक्षक राजेश जैन ने बताया कि रामलीला में जीवन का पूरा सार दिखाई देता है। कैसे भाई भरत व लक्ष्मण ने त्याग करते हुए राम के साथ वन की राह चुनी। लक्ष्मण राम के साथ गए तो भरत भी अयोध्या में कुटिया बनाकर रहे। कैसे उर्मिला ने 14 वर्ष अपने पति की नींद को धारण किया। राम ने कैसे पिता के वचनों का मान रखते हुए वन जाना स्वीकार किया। पति के साथ सीता ने भी वन जाने का निर्णय कर नारी शक्ति को महानता का दर्जा दिलवाया। कैसे सत्य की राह पर चलते हुए अधर्म व अत्याचार को राम ने समाप्त किया, यह सभी रामायण में देखने को मिलेगा।

दाढ़ी में सफेद बाल आ जाए तो राज छोड़ दो

राजेश जैन ने बताया कि रामायण में जब राजा दशरथ की दाढ़ी में एक सफेद बाल दिखा तो उन्होंने राज त्यागने का निर्णय कर लिया। लेकिन आज की राजनीति में ऐसा नहीं हो रहा। 80 से 90 साल के लोग भी विधायक व सांसद बनने के ख्वाब देख रहे हैं, जबकि उन्हें युवा पीढ़ी को आगे लाना चाहिए। रामायण हमें शिक्षा देती है कि ढलती उम्र के साथ हम अपने युवाओं को राजनीति में आगे लाए ताकि देश का विकास तेजी से हो सके।

दिखावे की दुनिया से निकले बाहर

रामलीला कमेटी के प्रधान सुभाष तायल ने कहा कि हमें दिखावे की दुनिया से बाहर आना चाहिए। राम, लक्ष्मण व सीता, तीनों को पता था कि सोने का हिरण नहीं होता, फिर भी हिरण के दिखावे के चक्कर में वह फंस गए। ऐसे ही वर्तमान समय में हो रहा है। होता कुछ है और दिखाते कुछ है। हमें दिखावे में नहीं फंसना चाहिए, बल्कि वास्तविकता को पहचानना चाहिए।

रामलीला की जगह के लिए खाने पड़ते हैं धक्के

रोहतक के साधु समाज ने मांग उठाई कि रामलीला के लिए रोहतक में कोई निश्चित स्थान नहीं है। आने वाले समय में जिस भी पार्टी की सरकार बने, वह रामलीला के लिए दो से तीन एकड़ का मैदान उपलब्ध करवाए, ताकि वहां रामलीला का भव्य मंच सज सके और लोगों को भी सुविधा मिले सके। वहीं, राजेश जैन ने कहा कि राजनेता वायदे तो करते है, लेकिन उन्हें पूरा भी करना चाहिए। रामलीला मैदान के लिए कई बार वायदे किए गए, लेकिन पूरा नहीं हुआ। अब जो भी उम्मीदवार मैदान में है, वह अपने चुनावी घोषणा पत्र में रामलीला मैदान देने की घोषणा भी करें।

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