रोहतक में 3 निजी स्कूल सील : शिक्षा विभाग ने जारी की 70 स्कूलों की सूची, जानें लोगों ने क्या किया

Education department team sealing the school in Sundarpur village of Rohtak.
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रोहतक के गांव सुंदरपुर में स्कूल को सील करती शिक्षा विभाग की टीम।
रोहतक में शिक्षा विभाग ने 70 गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की लिस्ट जारी की, जिसमें से 3 स्कूलों को सील किया गया। एसोसिएशन और ग्रामीणों का विरोध जारी।

3 private schools sealed in Rohtak : रोहतक जिले में शिक्षा विभाग ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। शिक्षा निदेशालय के निर्देशों पर 70 स्कूलों की लिस्ट जारी की गई थी, जिसके बाद इस लिस्ट के आधार पर विभाग ने गांव सुंदरपुर में स्थित तीन प्राइवेट स्कूलों को सील कर दिया। हालांकि, इन स्कूलों को सील करने को लेकर स्थानीय लोगों और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की तरफ से विरोध जताया जा रहा है।

गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही

रोहतक जिले में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यही कारण है कि शिक्षा विभाग ने इस पर कार्रवाई करने का फैसला लिया। विभाग ने 70 स्कूलों की सूची जारी की है, जिनमें से कुछ को अब सील किया जा रहा है। शिक्षा विभाग का मानना है कि इन स्कूलों की मान्यता प्राप्त नहीं है और ये बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

ये स्कूल सील किए गए

गांव सुंदरपुर के तीन स्कूलों को सील किया गया है। इनमें से एक स्कूल तो सिर्फ एक ट्यूशन सेंटर था, जिसका ताला तो पहले ही लगा हुआ था, और विभाग ने उस पर महज मोहर लगा दी। वहीं, दो अन्य स्कूलों को भी सील किया गया, जिनके बारे में ग्रामीणों का कहना है कि ये गलत तरीके से सील किए गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इन स्कूलों के प्रति प्रशासन का रवैया न्यायपूर्ण नहीं है। उनका यह भी कहना था कि सरकारी स्कूलों का माहौल बेहद खराब है और वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजेंगे।

स्कूल संचालकों और ग्रामीणों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी

जिन स्कूलों को सील किया गया है, उनके संचालकों और ग्रामीणों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के फैसले से बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, और ऐसे में बच्चों को उचित शिक्षा मिलने का मौका नहीं मिलेगा। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि अगर प्रशासन सच में सख्त कार्रवाई करना चाहता है तो वह शराब के ठेकों को क्यों नहीं बंद करवाता। उनका मानना है कि प्रशासन की प्राथमिकताएं गलत हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।

पुलिस की मदद ली जा रही

दूसरी तरफ, जिला शिक्षा अधिकारी मंजीत मलिक ने बताया कि अब तक 3 स्कूलों को सील किया गया है, लेकिन अन्य स्कूलों को सील करने के लिए पुलिस की मदद ली जा रही है। मलिक का कहना है कि जब भी प्रशासन किसी स्कूल को सील करने जाता है, तो विरोध की संभावना रहती है, इसलिए पुलिस की मदद ली जा रही है। उनका यह भी कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी है और इसका उद्देश्य केवल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।

एसोसिएशन ने विरोध कर उठाए सवाल

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इस मामले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। एसोसिएशन का कहना है कि जिन 70 स्कूलों की सूची जारी की गई है, उनमें कई स्कूल ऐसे हैं जिनके पास पहले से मान्यता है और कुछ स्कूलों की फाइल शिक्षा विभाग में विचाराधीन है। इसके अलावा, एसोसिएशन का आरोप है कि विभाग ने जानबूझकर उन स्कूलों को लिस्ट में शामिल किया है जिनका मान्यता प्राप्त नहीं है, जबकि कुछ मान्यता प्राप्त स्कूलों को इस सूची से बाहर रखा गया है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र नांदल का कहना है कि 250 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त स्कूल जिले में हैं, लेकिन केवल 70 स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनका आरोप है कि शिक्षा विभाग ने पिक एंड चूज का तरीका अपनाया है और कुछ स्कूलों के नाम जानबूझकर लिस्ट से हटा दिए हैं।

शिक्षा विभाग बोला, स्कूल शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं

शिक्षा विभाग ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा है कि यह सभी स्कूल शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं हैं और इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक था। विभाग का मानना है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इसी दिशा में यह कदम उठाया गया है। विभाग का यह भी कहना है कि अगर किसी स्कूल के पास मान्यता नहीं है, तो वह किसी भी स्थिति में बच्चों के लिए सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल प्रदान नहीं कर सकता।

कार्रवाई का विरोध बढ़ने पर सरकार ने इस मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया

शिक्षा विभाग की कार्रवाई के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने इस मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि शिक्षा विभाग को अपनी कार्रवाई के दौरान उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और किसी भी स्कूल को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाना चाहिए। सरकार का यह भी कहना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा और जल्द ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।

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