Women World Cup: चैंपियन भारतीय टीम की हीरो बनी रोहतक की बेटी शेफाली, 87 रन बनाकर 2 विकेट भी चटकाए

World Cup Champion
विमेंस वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर इतिहास रच दिया। यह पहली बार है जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वनडे वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की है। इस ऐतिहासिक जीत में रोहतक की रहने वाली युवा विस्फोटक बल्लेबाज शेफाली वर्मा ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के लिए सबसे ज्यादा 87 रनों की पारी खेली और साथ ही 2 महत्वपूर्ण विकेट भी झटके। उनके इस शानदार ऑलराउंड परफॉर्मेंस के लिए उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया।
शेफाली ने जीत के बाद अपने परिवार और भाई को खेल में उनका साथ देने और लगातार मोटिवेट करने के लिए धन्यवाद दिया। इस जीत के बाद से रोहतक में उनके घर और मोहल्ले में जश्न का माहौल है, जहां ढोल-नगाड़ों के साथ रात भर डांस किया गया।
शुरुआती मायूसी से अब ऐतिहासिक सफर
शेफाली वर्मा का वर्ल्ड कप में सफर थोड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनके दादा संत लाल ने बताया कि टूर्नामेंट के शुरुआती मुकाबले शेफाली नहीं खेल पाई थीं। इससे परिवार को थोड़ी निराशा और मायूसी जरूर हुई थी, क्योंकि वे अपनी पोती को मैदान पर देखना चाहते थे।
मां ने कहा- शेफाली की यह पारी किसी शतक से कम नहीं
टीम की जीत के बाद रोहतक में शेफाली के घर का माहौल देखने लायक था। उनकी मां, पिता, दादा और ताई सभी बेहद भावुक और खुश थे। बेटी का शतक पूरा न होने पर भी मां प्रवीण बाला को कोई दुख नहीं है। उन्होंने कहा मेरी बेटी ने 87 रन बनाए हैं। मैं इसके लिए बेहद खुश हूं। शेफाली की यह पारी किसी शतक से कम नहीं है।
पिता संजीव वर्मा ने बताया कि वह मैच के दौरान परमात्मा से लगातार प्रार्थना कर रहे थे कि बेटी अच्छा खेले और टीम कप जीते। उन्होंने टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर को भी धन्यवाद दिया कि उन्होंने शेफाली को टीम में लिया और उन्हें गेंदबाजी में भी मौका दिया। ताई सुदेश देवी ने कहा कि जब शेफाली ने खेलना शुरू किया, तभी उन्हें लग गया था कि एक दिन वह नाम रोशन करेगी। उन्होंने खुशी जताई कि शेफाली ने मैच में लड़कों की तरह शॉट लगाए। शेफाली के कोच बिजेंद्र शर्मा ने 87 रन की पारी पर खुशी व्यक्त की और कहा कि उन्होंने हमेशा शेफाली को नेचुरल गेम खेलने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने माना कि शेफाली ने भारतीय टीम को एक अच्छी शुरुआत दी और टीम को दबाव से बाहर निकाला।
शेफाली ने सचिन को देखकर लिया बड़ा फैसला
शेफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 को रोहतक में हुआ था। वह फिलहाल रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से ग्रेजुएशन कर रही हैं। लेकिन उनकी क्रिकेटर बनने की कहानी प्रेरणादायक और संघर्ष भरी है। शेफाली वर्मा ने साल 2013 में रोहतक के लाहली ग्राउंड पर रणजी ट्रॉफी का एक मैच देखा था, जिसमें सचिन तेंदुलकर बैटिंग करने आए थे। भीड़ को 'सचिन-सचिन' चिल्लाते देखकर ही शेफाली ने क्रिकेटर बनने की ठान ली। जब उनके पिता संजीव को बेटी में क्रिकेट के प्रति यह गहरा लगाव दिखा, तो उन्होंने घर पर ही उसे ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया।
एडमिशन के लिए बॉय कटिंग कराई
शेफाली के पिता ने जब उन्हें क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन दिलाने की कोशिश की, तो लड़की होने की वजह से उन्हें एडमिशन नहीं मिला। इस चुनौती को देखते हुए पिता ने शेफाली की बॉय कटिंग करा दी ताकि वह लड़कों की एकेडमी में खेल सके। 12 साल की उम्र में उन्होंने एकेडमी में प्रोफेशनली खेलना शुरू कर दिया।
15 वर्ष में किया इंटरनेशनल डेब्यू
सिर्फ 15 वर्ष की आयु में, 2019 के टी-20 वर्ल्ड कप से पहले, शेफाली वर्मा ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंटरनेशनल मैच में डेब्यू किया। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला शतक जड़कर वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनीं और उन्होंने सचिन तेंदुलकर का 30 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। इसके अलावा, जून 2021 में वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी20) में सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी बन गईं। 2023 में तो उनकी कप्तानी में ही भारत की अंडर 19 टीम विश्व कप जीती थी।
शेफाली वर्मा की यह ऐतिहासिक पारी और भारत की वर्ल्ड कप जीत, महिला क्रिकेट के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित करती है और रोहतक के इस छोटे से शहर की बेटी ने पूरे देश का नाम रोशन किया है।
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