रोहतक नगर निगम की पहल: गोशाला में गोबर से बनेंगे दीये और गोकाष्ट, महिलाओं को भी मिलेगा रोजगार

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रोहतक में गोशाला के अंदर गोबर से उत्पाद बनाने वाली मशीन को शुरू करते कमिश्नर आनंद कुमार। 

हरियाणा के रोहतक में नगर निगम ने सरकारी गोशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गोबर से उत्पाद बनाने की पहल की है। इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी दीये, गोकाष्ट व वर्मी कंपोस्ट बनाकर रोजगार हासिल करेंगी। एक पंथ दो काज होंगे।

रोहतक नगर निगम की पहल : हरियाणा के रोहतक जिले के गांव पहरावर स्थित नगर निगम की गोशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवाचार किया जा रहा है। यहां गाय के गोबर से दीये, गोकाष्ट (लकड़ी जैसे ब्लॉक) और वर्मी कम्पोस्ट तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए गोशाला में विशेष मशीनें लगाई गई हैं, जिनकी मदद से रोजाना निकलने वाले हजारों किलो गोबर का सही तरीके से उपयोग किया जाएगा।

गोबर से मिलेगा महिलाओं को रोजगार

नगर निगम कमिश्नर डॉ. आनंद कुमार ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य न केवल गोबर का सही निस्तारण करना है, बल्कि इसे आमदनी और रोजगार का जरिया बनाना भी है। उन्होंने कहा कि गोशाला को मॉडल प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इस कार्य में स्वयं सहायता समूह SHG की महिलाएं जुड़ी रहेंगी, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।

दीये और लकड़ी जैसे ब्लॉक बाजार तक

नगर निगम की गोशाला में अब तक गोबर से केवल खाद और वर्मी कम्पोस्ट तैयार होता था। लेकिन अब एक कदम आगे बढ़ते हुए गोबर से दीये और गोकाष्ट भी बनाए जाएंगे। दीये बनाने के लिए जो मशीन इस्तेमाल हो रही है, वह गोशाला को दान के रूप में मिली है। निगम का लक्ष्य है कि त्योहारी सीजन और धार्मिक आयोजनों में इन दीयों को बाजार में उतारा जाए। इसी तरह लकड़ी जैसे ब्लॉक घरेलू और औद्योगिक स्तर पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किए जा सकेंगे।

महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण

परियोजना से जुड़ी खास बात यह है कि इसमें स्थानीय महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्हें प्रशिक्षण देकर गोबर से उत्पाद बनाने का कार्य सौंपा जाएगा। इस तरह न केवल गोबर का प्रबंधन होगा बल्कि महिलाओं के लिए रोजगार और आय का नया स्रोत भी तैयार होगा।

गोशाला में 2500 गोवंश, 12 हजार किलो गोबर

नगर निगम की इस गोशाला में फिलहाल लगभग 2500 गोवंश हैं। इनके कारण प्रतिदिन लगभग 12 हजार किलोग्राम गोबर निकलता है। पहले इस गोबर के निस्तारण को लेकर निगम के सामने बड़ी चुनौती थी। अब इन मशीनों के जरिए गोबर को उपयोगी उत्पाद में बदलकर बाजार तक पहुंचाया जाएगा। इससे गोशाला भी आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेगी।

ब्लॉक बनाने की अतिरिक्त मशीन भी लगेगी

कमिश्नर ने बताया कि वर्मी कम्पोस्टिंग और दीया निर्माण के साथ-साथ गोबर से लकड़ी जैसे ब्लॉक बनाने के लिए एक और अतिरिक्त मशीन स्थापित की जाएगी। इससे बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हो सकेगा और निगम की आमदनी भी बढ़ेगी। यदि यह मॉडल सफल होता है तो इसे अन्य सरकारी गोशालाओं में भी लागू किया जा सकेगा।

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