हरियाणा में 12 घंटे में दूसरा भूकंप: रोहतक के बाद अब झज्जर में भी कांपा धरती

हरियाणा के झज्जर में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
हरियाणा में भूकंप के झटकों का सिलसिला जारी है। गुरुवार दोपहर 12:34 बजे झज्जर जिले के दुल्हेड़ा गांव के पास 2.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। यह पिछले 12 घंटों में दूसरा झटका है, जिसने लोगों को दहशत में डाल दिया है।
इससे पहले, बुधवार-गुरुवार की आधी रात 12:46 बजे रोहतक के भालौठ गांव के पास 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था। गनीमत है कि दोनों ही झटकों से किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लगातार कंपन से लोगों में डर का माहौल है। पिछले 20 दिनों में हरियाणा में यह पांचवां भूकंप का झटका है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, हरियाणा के 12 जिले - जिनमें रोहतक, झज्जर, गुरुग्राम और सोनीपत जैसे शहर शामिल हैं - भूकंप के प्रति संवेदनशील माने जाते हैं। प्रशासन लोगों से सतर्क रहने की अपील कर रहा है।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology - NCS) के अनुसार, रोहतक में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 थी। इसका केंद्र रोहतक के भालौठ गांव के निकट, जमीन से लगभग 10 किलोमीटर नीचे था। यह पिछले 20 दिनों में हरियाणा में महसूस किया गया चौथा भूकंप का झटका है।
हरियाणा के भूकंप-संवेदनशील क्षेत्र
भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, हरियाणा के कई जिले भूकंप के प्रति संवेदनशील माने जाते हैं। इनमें रोहतक, पानीपत, करनाल, महेंद्रगढ़, पंचकूला, अंबाला, सोनीपत, गुरुग्राम, झज्जर, नूंह, पलवल और फरीदाबाद शामिल हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों के लिए भूकंप सुरक्षा उपायों और आपातकालीन योजनाओं के बारे में जानकारी रखना महत्वपूर्ण है।
हाल के भूकंपों पर एक नजर
पिछले कुछ हफ्तों में हरियाणा में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
• 27 जून: महेंद्रगढ़ जिले में शाम को 2.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई 5 किलोमीटर थी।
• 10 जुलाई: सुबह 9 बजकर 5 मिनट पर झज्जर में 4.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। इसके झटके गुरुग्राम, रोहतक, पानीपत, झज्जर, हिसार और रेवाड़ी सहित कई जिलों में महसूस हुए थे।
• 11 जुलाई: इसी क्रम में अगले दिन, शाम 7 बजकर 49 मिनट पर झज्जर में फिर से 3.7 तीव्रता का भूकंप आया। इसका असर गुरुग्राम, रोहतक, जींद, रेवाड़ी, सोनीपत और झज्जर में देखा गया।
• 17-18 जुलाई: और अब, रात 12:46 बजे रोहतक में 3.6 तीव्रता का झटका आया।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि हरियाणा में भूकंपीय गतिविधि बढ़ी है, और यह चिंता का विषय है।
इसलिए आते हैं भूकंप
हमारी पृथ्वी की ऊपरी परत, जिसे लिथोस्फीयर कहते हैं, कई विशाल खंडों या टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेटें लगातार धीमी गति से खिसकती रहती हैं। जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं, एक-दूसरे से दूर जाती हैं या एक-दूसरे के पास से गुजरती हैं, तो जमीन के अंदर अत्यधिक दबाव बनता है। यह दबाव जब अपनी सीमा पार कर जाता है, तो ऊर्जा अचानक मुक्त होती है और पृथ्वी की सतह पर कंपन पैदा करती है, जिसे हम भूकंप कहते हैं।
हरियाणा में बार-बार भूकंप आने का कारण
भूकंप विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, हरियाणा में लगातार भूकंप के झटकों का एक प्रमुख कारण उत्तराखंड के देहरादून से लेकर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले तक फैली एक भूमिगत फॉल्ट लाइन (भ्रंश रेखा) है। जब इस फॉल्ट लाइन के पास टेक्टोनिक प्लेटों में गतिविधि होती है और वे आपस में टकराती हैं, तो कंपन उत्पन्न होता है। यही कंपन हरियाणा और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के रूप में महसूस होता है। यह भौगोलिक स्थिति ही राज्य में भूकंप की घटनाओं में वृद्धि का कारण बन रही है।
भूकंप आने पर क्या करें और क्या न करें
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा के दौरान सुरक्षित रहना सबसे महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।
क्या करें
• 'ड्रॉप, कवर और होल्ड ऑन' (Drop, Cover, and Hold On) सिद्धांत का पालन करें: तुरंत नीचे झुकें, किसी मजबूत मेज या फर्नीचर के नीचे छिपें, और उसे कसकर पकड़ें जब तक कंपन बंद न हो जाए।
• यदि आप घर के अंदर हैं, तो खिड़कियों, बाहरी दरवाजों और दीवारों, या किसी भी ऐसी चीज से दूर रहें जो गिर सकती है।
• यदि आप बाहर हैं, तो खुली जगह पर जाएं और इमारतों, पेड़ों, बिजली के खंभों और तारों से दूर रहें।
• यदि आप गाड़ी चला रहे हैं, तो धीरे-धीरे किसी सुरक्षित स्थान पर रुकें और गाड़ी के अंदर ही रहें।
क्या न करें
• घबराएं नहीं। शांत रहने की कोशिश करें।
• भागने या लिफ्ट का उपयोग करने की कोशिश न करें।
• माचिस या लाइटर न जलाएं, क्योंकि गैस लीक होने का खतरा हो सकता है।
• क्षतिग्रस्त इमारतों या ढही हुई संरचनाओं के पास न जाएं।
इन दिशानिर्देशों का पालन करके, आप भूकंप के दौरान अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। भूकंप एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन सही जानकारी और तैयारी से हम इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं।
