किसानों के लिए बड़ी खबर: हरियाणा में मधुमक्खी पालन 'भावांतर भरपाई योजना' में शामिल, जानिए कैसे मिलेगा लाभ

मधुमक्खी पालकों के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी।
हरियाणा सरकार ने किसानों की आय को सुरक्षित करने और उन्हें बाजार की अनिश्चितताओं से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब मधुमक्खी पालन (शहद उत्पादन) को भी भावांतर भरपाई योजना (Bhavantar Bharpai Yojana - BBY) के तहत शामिल कर लिया गया है। इस फैसले से मधुमक्खी पालकों को उनकी उपज (शहद) का उचित बाजार मूल्य न मिलने की स्थिति में नुकसान की भरपाई सुनिश्चित होगी।
इस फैसले की जानकारी देते हुए करनाल के उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया कि सरकार ने यह निर्णय मधुमक्खी पालकों को संकट के समय सहायता देने और उनकी आय में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया है।
क्या है भावांतर भरपाई योजना
'भावांतर भरपाई योजना' का उद्देश्य किसानों को बाजार में फसलों के गिरते दामों से होने वाले नुकसान से बचाना है। यदि बाजार में किसी उपज का मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित आरक्षित मूल्य (Reserve Price) से कम हो जाता है, तो सरकार आरक्षित मूल्य और बिक्री मूल्य के अंतर की राशि (भावांतर) का भुगतान सीधे किसान के खाते में करती है। अब शहद को भी इसी सुरक्षा कवच के दायरे में लाया गया है।
इन्हें मिलेगा योजना का लाभ
इस योजना का लाभ लेने के लिए मधुमक्खी पालकों को कुछ आवश्यक शर्तों और प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। लाभ लेने की पात्रता निम्न हैं।
- मधुमक्खी पालक का 'मधु क्रांति पोर्टल' पर पंजीकृत होना अनिवार्य है।
- लाभार्थी का पंजीकरण जिला अधिकारियों द्वारा सत्यापित होना चाहिए।
- पालक के पास वैध परिवार पहचान पत्र (PPP) होना चाहिए।
- शहद की बिक्री हनी ट्रेड सेंटर (HTC) प्लेटफॉर्म पर निर्धारित समय-सीमा के भीतर की गई हो।
- बिक्री का प्रमाण एचटीसी सिस्टम द्वारा उत्पन्न चालान के रूप में होना चाहिए।
- पंजीकरण और सत्यापन की अवधि
- पालक इस योजना के तहत 1 दिसंबर से 31 मई तक पंजीकरण करवा सकते हैं।
- मधुमक्खी बॉक्स का सत्यापन विभाग द्वारा जनवरी से जून के बीच केवल एक बार किया जाता है।
अधिकतम लाभ और महत्वपूर्ण निर्देश
सरकार ने योजना के तहत लाभ की सीमा भी निर्धारित की है, ताकि छोटे और मध्यम दोनों तरह के पालकों को फायदा मिल सके।
- एक मधुमक्खी पालक अधिकतम 1,000 बॉक्स (प्रति बॉक्स 30 किग्रा) यानी 30,000 किग्रा शहद प्रति वर्ष तक का लाभ उठा सकता है।
- लाभ लेने के लिए मधुपालकों को अपने बॉक्स पर पहचान हेतु परिवार पहचान पत्र के अंतिम 4 अंक और क्रम संख्या खुदवाना अनिवार्य है।
- शहद की बिक्री अवधि 1 जनवरी से 30 जून तक निर्धारित है।
शहद की बिक्री प्रक्रिया और भुगतान
योजना का सबसे महत्वपूर्ण चरण शहद की बिक्री और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
- मधुमक्खी पालकों को लाभ के लिए न्यूनतम 500 किग्रा शहद एचटीसी प्लेटफॉर्म पर लाना अनिवार्य है।
- शहद का वजन और नमूना संग्रहण पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।
- शहद की गुणवत्ता परीक्षण एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में कराना अनिवार्य है।
- शहद की नीलामी 90 रुपये प्रति किग्रा के आरक्षित मूल्य के आधार पर होगी।
- यदि शहद की बिक्री 90 रुपये प्रति किग्रा से कम दाम पर होती है, तो भावांतर का प्रोत्साहन 90 रुपये प्रति किग्रा के आधार पर दिया जाएगा।
- बिक्री के लिए शहद को फूड ग्रेड बकेट में लाना होगा।
- नीलामी के बाद भुगतान सीधे एस्क्रो अकाउंट के माध्यम से किया जाएगा।
यह पहल आर्थिक सहारा देगी
यह पहल मधुमक्खी पालकों को बाजार की विपरीत परिस्थितियों में आर्थिक सहारा देगी और शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। इच्छुक मधुमक्खी पालकों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर 'मधु क्रांति पोर्टल' पर पंजीकरण करवाकर और सभी नियमों का पालन करते हुए इस योजना का लाभ उठाएं।
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