CET Exam: हरियाणा पुलिस के 876 जवानों ने दी पटवारी-क्लर्क परीक्षा, वजह जानकर चौंक जाएंगे

CET परीक्षा देते पुलिसकर्मी। - AI जेनरेटेड फोटो
हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) ने एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण ट्रेंड को उजागर किया है, जहां एक तरफ लाखों बेरोजगार युवाओं ने सरकारी नौकरी पाने के लिए यह परीक्षा दी, वहीं दूसरी तरफ पहले से ही सरकारी सेवाओं में कार्यरत हजारों कर्मचारियों ने भी इस परीक्षा में हिस्सा लिया। इसमें सबसे आगे हैं पुलिस विभाग के कर्मचारी, जो अपनी 'टफ' ड्यूटी छोड़कर क्लर्क या पटवारी बनने का सपना देख रहे हैं। आखिर ऐसा क्या है जो उन्हें खाकी छोड़कर दूसरी सरकारी नौकरियों की ओर खींच रहा है?
अकेले सिरसा में ही 279 पुलिसकर्मियों ने पेपर दिया
हरियाणा में 26 और 27 जुलाई को आयोजित CET परीक्षा में कुल 13.48 लाख युवाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। इस आंकड़े में केवल बेरोजगार ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी शामिल थे जो पहले से ही सरकारी नौकरी में हैं। सूत्रों के अनुसार अकेले सिरसा जिले में ही 279 पुलिसकर्मियों ने CET का पेपर दिया। यह आंकड़ा सिर्फ सिरसा तक सीमित नहीं है।
हिसार में 247, महेंद्रगढ़ में 350 और फतेहाबाद में 292 सरकारी कर्मचारियों ने इस परीक्षा में भाग लिया। यह बताता है कि यह एक व्यापक प्रवृत्ति है, जहां कई सरकारी कर्मचारी अपनी मौजूदा भूमिकाओं से इतर अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। हालांकि, कुछ पुलिसकर्मी अपनी परीक्षा ड्यूटी के कारण CET का पेपर देने से चूक भी गए।
पुलिसकर्मी चाहते हैं बदलाव
यह परीक्षा ग्रुप C पदों पर भर्ती के लिए हुई थी। इन पदों में क्लर्क, पटवारी, असिस्टेंट, स्टेनोग्राफर, टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट, नहर पटवारी, ग्राम सचिव व अन्य विभागों में सहायक पद शामिल हैं। पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबल के साथ ही सब-इंस्पेक्टर जैसे पद भी ग्रुप C के अंतर्गत ही आते हैं, लेकिन फिर भी मौजूदा पुलिसकर्मी इन नए पदों में रुचि दिखा रहे हैं।
सिरसा में CET का पेपर देने वालों में प्रोबेशनर सब-इंस्पेक्टर, ASI और कॉन्स्टेबल जैसे पद वाले पुलिसकर्मी शामिल थे। साइबर थाना, रानियां और ओढ़ा थानों में तैनात 5 से 7 कर्मी परीक्षा में बैठे। साइबर थाना प्रभारी सुभाष चंद्र ने बताया कि उनके थाने से 7 पुलिसकर्मियों ने CET की परीक्षा दी है, हालांकि वे खुद रजिस्ट्रेशन के बाद भी पेपर नहीं दे पाए। रानियां थाना प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि उनके थाने से भी 7 कर्मचारियों ने पेपर दिया है।
पुलिस की 'टफ ड्यूटी' और अन्य नौकरियों का आकर्षण
कई पुलिसकर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस की नौकरी में रहते हुए खुद को और परिवार को समय दे पाना बेहद मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि अन्य सरकारी नौकरियों में छुट्टियां ज्यादा मिलती हैं और ड्यूटी के घंटे भी निर्धारित रहते हैं, जो पुलिस की नौकरी में एक बड़ा अभाव है।
पुलिस की नौकरी सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी है। चाहे दिन हो या रात, सुरक्षा और कानूनी व्यवस्था संभालना ही बहुत बड़ी बात हो जाती है। जरा सी भी चूक पर लोग पुलिस को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। साप्ताहिक अवकाश मिलना मुश्किल होता है और तीज-त्योहारों पर भी ड्यूटी लगती है। ये सभी कारक पुलिसकर्मियों को अन्य सरकारी नौकरियों की ओर आकर्षित कर रहे हैं, जो उन्हें बेहतर कार्य-जीवन संतुलन प्रदान कर सकें।
ग्रुप-D से ग्रुप-C में तरक्की की चाह
इस बार CET पेपर देने वालों में ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल थे जो पहले ही सरकारी विभाग में ग्रुप डी के तहत चपरासी, माली, हेल्पर या चौकीदार के रूप में कार्यरत हैं। झज्जर के सरकारी स्कूल में तैनात चपरासी (नाम न छापने की शर्त पर) ने बताया कि चपरासी बनने से पहले वे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे। इस बार इस उम्मीद में CET दिया है कि इससे उन्हें ग्रुप C में भर्ती की पात्रता मिल जाएगी।
हरियाणा में कई एमए-बीएड और यहां तक कि एमफिल किए लोग भी ग्रुप डी में चयनित हुए हैं, जो हालांकि चपरासीगिरी करने की बजाय स्कूलों में कक्षाएं लेते हैं। यह दर्शाता है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी बेहतर अवसरों की तलाश में हैं।
2017 में 500 कंडक्टर प्राइमरी टीचर बने थे
वर्ष 2017 में भी कुछ ऐसा ही एक दिलचस्प वाकया हुआ था, जब रोडवेज के लगभग 500 कंडक्टर इस्तीफा देकर प्राइमरी टीचर (PRT) बन गए थे। ये वो अभ्यर्थी थे जिन्होंने पहले ही हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (HTET) पास कर रखी थी और JBT के रूप में चयनित थे। लेकिन उनका मामला कोर्ट में चला गया था, जिसके चलते उन्होंने तब तक रोडवेज या अन्य विभागों में निकली भर्तियों में जॉइन कर लिया था।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से क्लियरेंस के बाद शिक्षा विभाग ने रातों-रात आदेश जारी किया कि चयनित अभ्यर्थी नौकरी जॉइन करें, जिस पर अप्रैल 2017 में 500 कंडक्टरों ने टीचर के रूप में जॉइन कर लिया, जिससे रोडवेज की बसें कई रूट पर बंद हो गईं। यह दिखाता है कि बेहतर अवसर मिलने पर कर्मचारी अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ने में संकोच नहीं करते।
'जुड़वां' अभ्यर्थियों का मामला और पहचान की चुनौती
CET एग्जाम-2025 में इस बार कई हमशक्ल अभ्यर्थी भी पेपर देने आए थे, जिनमें ज्यादातर जुड़वां थे। यह न केवल HSSC के लिए, बल्कि पुलिस के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया, क्योंकि किसी की सही पहचान कर पाना मुश्किल था। पुलिस भी इतने जुड़वां देखकर हैरान रह गई थी। पुलिस को भी उनकी पहचान के लिए पेपर देने वालों के हाथों की उंगली पर स्याही लगानी पड़ी।
उनकी शक्ल एक जैसी, नाम और एड्रेस भी एक जैसे थे। इसमें हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन (HSSC) उलझ गया कि दो-दो रोल नंबर पर दो-दो सेम फोटो लगी हैं। इसलिए पेपर होते ही पुलिस उनको पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई। अभी भी जांच जारी है, और इसकी रिपोर्ट आयोग को भेजी जाएगी। कुछ का रिकॉर्ड आयोग से मांगा गया है।
अभिभावकों ने इस पर चिंता जताई और कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने सरकार से अपील की कि जुड़वां बच्चों के लिए पहले से ऐसे सर्टिफिकेट जारी किए जाएं, ताकि बाद में पहचान संबंधी दिक्कतें न हों।
