Haryana right to service commission: मृत्यु की जगह दे दिया जन्म प्रमाण पत्र, अब क्लर्क के वेतन से कटेंगे 6 हजार रुपये

Public grievance resolution
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हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने लापरवाह अधिकारियों को सुनाई सजा।

हरियाणा में सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बेवजह जनता के काम लटकाने के दो मामलों में Haryana right to service commission ने कड़े फैसले लिए हैं। जानें क्या हैं अधिकारियों से पीड़ित जनता के यह मामले।

Haryana right to service commission : हरियाणा के फरीदाबाद में सरकारी लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। नागरिक ने पिता की मृत्यु उपरांत उनका मृत्यु प्रमाणपत्र मांगा, लेकिन उसकी जगह उन्हें जन्म प्रमाणपत्र दे दिया गया। नागरिक की मानसिक परेशानी व समय की बर्बादी पर हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने कड़ा संज्ञान लिया है।

बुजुर्ग की जगह किसी बच्चे का दे दिया प्रमाणपत्र

हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने यह पाया कि अपीलकर्ता द्वारा अपने पिता की 19 मार्च 2025 को मृत्यु होने के बाद 22 मार्च 2025 को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया था। संबंधित कार्यालय की लापरवाही के कारण उन्हें किसी बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। प्रवक्ता ने बताया जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया का कार्य नगर निगम फरीदाबाद के एनआईटी ज़ोन-II कार्यालय में क्लर्क द्वारा किया जा रहा था। क्लर्क ने गलती से गलत प्रमाण पत्र अपलोड कर दिया और आवेदन को बंद कर दिया।

क्लर्क के वेतन से 3 हजार रुपये पीड़ित को मिलेंगे

आयोग ने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही मानते हुए हरियाणा राइट टू सर्विस अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह ) के तहत कर्मचारी पर 3 हजार रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना और अपीलकर्ता को 3 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने के निर्देश भी दिए हैं। कुल 6 हजार रुपये की राशि संबंधित कार्य क्लर्क के जुलाई 2025 के वेतन से काटकर अगस्त 2025 में नियमानुसार जमा एवं भुगतान की जाएगी। आयुक्त, नगर निगम फरीदाबाद को निर्देशित किया गया है कि वह इस आदेश की अनुपालना कर 11 अगस्त 2025 तक रिपोर्ट आयोग को भेजें। अपीलकर्ता से कहा गया है कि वह बैंक विवरण जल्द से जल्द आयोग व निगम कार्यालय को प्रेषित करें, ताकि क्षतिपूर्ति की राशि उनके खाते में स्थानांतरित की जा सके।

अधिकारियों ने भी बरती लापरवाही

आयोग ने इस मामले में यह भी पाया कि जिला स्तर पर एफ.जी.आर.ए अधिकारियों द्वारा शिकायत के निस्तारण में आवश्यक संवेदनशीलता नहीं बरती गई और प्रक्रिया संबंधी तकनीकी अड़चनों पर अधिक ध्यान दिया गया। आयोग ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसे अधिकारियों द्वारा जन शिकायतों के निवारण को प्राथमिकता दी जाएगी।

दूसरा केस : विवाह प्रमाण पत्र में देरी पर हांसी तहसीलदार का कटेगा वेतन

एक दूसरे मामले में हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने विवाह प्रमाण पत्र जारी करने में चार माह की अनावश्यक देरी के एक मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए हांसी के तहसीलदार एवं विवाह रजिस्ट्रार पर 1 हजार रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया है। तहसीलदार को शिकायतकर्ता को भी 5 हजार रुपये का मुआवज़ा देने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने यह कार्रवाई सेवा के अधिकार अधिनियम की धारा 17(1)(ह ) के अंतर्गत की है। आयोग प्रवक्ता ने बताया यह मामला हिसार निवासी द्वारा 10 मार्च 2025 को विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन देने के उपरांत शुरू हुआ था। विवाह 28 नवम्बर 2023 को संपन्न हुआ था और आवेदन माता-पिता की सहमति के साथ विलंबित विवाह पंजीकरण श्रेणी में किया गया था। दोनों वधू और वर हरियाणा के निवासी हैं और उनके पास वैध फैमिली आईडी मौजूद है, जिससे उनकी आयु व पते की पुष्टि होती है।

फैमिली आईडी लगाई थी, जन्म प्रमाणपत्र भी मांगा

पीड़ित ने बताया कि विवाह रजिस्ट्रार द्वारा जन्म प्रमाण पत्र संलग्न नहीं होने का हवाला देते हुए आपत्ति लगाई गई और प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, तहसील कार्यालय में भौतिक फाइल एवं अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए, जबकि हरियाणा सरकार द्वारा 19 जुलाई 2024 को जारी निर्देशों के अनुसार फैमिली आईडी से ही उम्र और पते का सत्यापन किया जाना था और पृथक से कोई दस्तावेज संलग्न करने की आवश्यकता नहीं थी। आयोग के समक्ष 15 जुलाई को हुई सुनवाई में विवाह रजिस्ट्रार ने स्वीकार किया कि उन्होंने विवाह क्लर्क के बयानों पर भरोसा किया और स्वयं निर्देशों की समीक्षा नहीं की। उन्होंने गलती स्वीकार करते हुए खेद जताया और आश्वस्त किया कि विवाह प्रमाण पत्र उसी दिन जारी कर दिया जाएगा।

जुलाई के वेतन में से कटेंगे 6 हजार रुपये

आयोग के प्रवक्ता ने बताया आयोग ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कहा कि विवाह पंजीकरण जैसी सेवा, जिसके लिए 5 से 7 दिन की समय-सीमा निर्धारित है, उसमें चार माह की देरी स्वीकार्य नहीं है। आयोग ने उपायुक्त हिसार को निर्देश दिए हैं कि हांसी के तहसीलदार एवं विवाह रजिस्ट्रार के जुलाई माह के वेतन से कुल 6 हजार रुपये की कटौती सुनिश्चित करें। इसके साथ ही आयोग ने सीआरआईडी को निर्देश दिया है कि विवाह रजिस्ट्रारों एवं संबंधित अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण-सह-संवेदनशीलता सत्र का आयोजन शीघ्र किया जाए, जिससे राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों की सही जानकारी फील्ड स्तर तक पहुंच सके।

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