प्रतिशोध की आग: रेवाड़ी में सिपाही पिता का बदला लेने पीएचडी छात्र बना अपराधी, बैंक से लोन लेकर खरीदे हथियार

रेवाड़ी में सिपाही पिता का बदला लेने पीएचडी छात्र बना अपराधी, बैंक से लोन लेकर खरीदे हथियार
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रेवाड़ी में मामले का खुलासा करती पुलिस। 

सीआईए ने आरोपियों से 5 पिस्टल, 250 कारतूस, वॉकी-टॉकी, जीपीएस डिटेक्टर और वेव ब्लॉकर जैसे आधुनिक उपकरण बरामद किए हैं। पुलिस ने हथियार सप्लाई करने वाले मेरठ के बंटी को भी दबोच लिया है।

हरियाणा के रेवाड़ी में हाल में हुई टैक्सी लूट की वारदात ने पुलिस को उस वक्त हैरान कर दिया, जब इस अपराध के पीछे की मंशा सामने आई। यह मामला महज एक लूटपाट का नहीं, बल्कि 29 साल पुराने प्रतिशोध की एक ऐसी कहानी है, जिसने एक होनहार पीएचडी छात्र को जरायम की दुनिया का हिस्सा बना दिया। पुलिस की गिरफ्त में आए मुख्य आरोपी देवांशु ने जो खुलासे किए हैं, उन्होंने अपराध जगत और खाकी के बीच के पुराने संघर्ष को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।

ईमानदार पुलिसकर्मी पिता

इस पूरी कहानी की शुरुआत साल 1988 से होती है, जब देवांशु के पिता सूरजभान राजस्थान पुलिस में एक सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। सूरजभान की पहचान एक बेहद ईमानदार और जांबाज पुलिसकर्मी की थी। अपनी ड्यूटी के दौरान उन्होंने कई बड़े अपराधियों और नशा तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। उन्हीं में से एक बड़ा नाम था राजस्थान का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर और ड्रग माफिया विनोद फैडरिक।

सूरजभान ने विनोद फैडरिक के नशीले पदार्थों के काले कारोबार पर कड़ा प्रहार किया था और उसे जेल की हवा खिलाई थी। देवांशु का आरोप है कि इसी कानूनी कार्रवाई का बदला लेने के लिए विनोद फैडरिक ने एक गहरी साजिश रची। साल 1995 में सूरजभान एक 'प्लांड एक्सीडेंट' का शिकार हो गए। इस हादसे ने सूरजभान के करियर और उनके परिवार की खुशियों को तहस-नहस कर दिया। देवांशु और उसके परिवार को हमेशा से यह यकीन था कि यह कोई सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि फैडरिक द्वारा कराया गया हमला था।

बचपन से ही मन में प्रतिशोध की ज्वाला जल रही थी

अपने पिता के साथ हुए अन्याय को देख रहे देवांशु के मन में बचपन से ही प्रतिशोध की ज्वाला जल रही थी। एक तरफ वह अपनी पढ़ाई में अव्वल रहा और पीएचडी (PhD) की तैयारी करने लगा, वहीं दूसरी तरफ उसके दिमाग में विनोद फैडरिक के साम्राज्य को उखाड़ फेंकने का ब्लूप्रिंट तैयार हो रहा था। देवांशु ने तय किया कि वह कानून के रास्ते के बजाय खुद इंसाफ करेगा।

एक शिक्षित दिमाग ने अपराध की योजना भी बेहद शातिर तरीके से बनाई। उसने विनोद फैडरिक को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारी मात्रा में हथियार और आधुनिक तकनीकी उपकरण जुटाने की योजना बनाई। हैरानी की बात यह है कि इन हथियारों को खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, तो उसने बाकायदा बैंक से लाखों रुपये का लोन (ऋण) लिया। यह शायद अपराध के इतिहास में पहला ऐसा मामला होगा जहां किसी ने बदला लेने के लिए बैंक से कर्ज लिया हो।

नेटवर्क बनाकर मेरठ से खरीदे हथियार

अपनी योजना को अंजाम देने के लिए देवांशु ने देशभर में संपर्क साधने शुरू किए। पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात आजमगढ़ के रहने वाले शुभम से हुई। शुभम के जरिए देवांशु का संपर्क मेरठ के एक हथियार तस्कर 'बंटी' से हुआ। बंटी भले ही कम पढ़ा-लिखा था, लेकिन वह अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त का माहिर खिलाड़ी था। बंटी ने ही देवांशु को वे तमाम हथियार मुहैया कराए, जिनका इस्तेमाल वह राजस्थान के उस हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ करने वाला था।

16 दिसंबर की रात टैक्सी लूटी

देवांशु की यह गुप्त योजना तब उजागर हुई जब उसने 16 दिसंबर की रात एक वारदात को अंजाम दिया। देवांशु और शुभम ने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से अलीगढ़ निवासी संजय की टैक्सी को जयपुर जाने के लिए किराये पर लिया। जब वे रेवाड़ी के बावल स्थित बनीपुर चौक पर पहुंचे तो उन्होंने पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाई।

जैसे ही चालक संजय रुका, बदमाशों ने उस पर हमला कर दिया और उसकी जांघ में गोली मार दी। इसके बाद वे चालक को लहूलुहान हालत में सड़क किनारे फेंककर कार लूटकर फरार हो गए। हालांकि, रेवाड़ी पुलिस की मुस्तैदी के चलते आरोपियों को पीछा कर जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस रिमांड में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

गिरफ्तारी के बाद जब सीआईए (CIA) ने देवांशु और शुभम को पांच दिन के रिमांड पर लिया, तो पुलिस के पैरों तले जमीन खिसक गई। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हथियारों और तकनीकी उपकरणों का एक ऐसा जखीरा बरामद किया जो आमतौर पर बड़े गिरोहों के पास मिलता है। बरामद किए गए सामान में शामिल थे- 5 अत्याधुनिक देसी पिस्तौल और 250 जिंदा कारतूस, 8 मैगजीन और कई अतिरिक्त स्प्रिंग्स, 6 हाई-रेंज वॉकी-टॉकी सेट और उनके चार्जर, वेव ब्लॉकर और जीपीएस डिटेक्टर (दुश्मन की निगरानी से बचने के लिए), दूरबीन, हथकड़ी, दस्ताने और आईफोन।

ड्रग माफिया को जड़ से मिटाने की थी तैयारी

डीएसपी सुरेंद्र श्योराण ने मीडिया से बातचीत में पुष्टि की कि देवांशु का इरादा साधारण लूटपाट नहीं था। वह पूरी तैयारी के साथ विनोद फैडरिक के ड्रग नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना चाहता था। उसके पास मिले जीपीएस डिटेक्टर और वेव ब्लॉकर यह बताते हैं कि वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर हिस्ट्रीशीटर को मात देने वाला था। पुलिस ने मेरठ के हथियार सप्लायर बंटी को भी दबोच लिया है और उससे पूछताछ जारी है।

फिलहाल, पुलिस ने एक संभावित और खूनी गैंगवार को होने से रोक दिया है। देवांशु, शुभम और बंटी को अदालत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है। यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ गई है कि कैसे एक होनहार छात्र व्यवस्था और प्रतिशोध के जाल में फंसकर अपराध की दुनिया में उतर गया।

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