अमित शाह के निर्देश पर शीर्ष नेता एक्टिव: कापड़ीवास को मनाने में जुटे नेता, रेवाड़ी सीट पर भीतरघात की आशंका 

Randhir Kapriwas. Chiranjeev Rao. Satish Yadav. Laxman Yadav.
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रणधीर कापड़ीवास। चिरंजीव राव। सतीश यादव। लक्ष्मण यादव। 
रेवाड़ी विधानसभा में भाजपा के शीर्ष नेता पूर्व विधायक रणधीर कापड़ीवास को मनाने में लगे हुए है, लेकिन कापड़ीवास मानने को तैयार नहीं है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: 2019 के विधानसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह के कारण भाजपा की टिकट गंवाते ही पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने राव समर्थित सुनील मुसेपुर को हराने की शपथ के साथ चुनाव मैदान में डंडा गाड़ दिया था। राजनीतिक जीवन के अंतिम चुनाव में एक बार फिर राव टिकट की राह में रोड़ा बने, तो इस बार कापड़ीवास ने भी अपनी रणनीति बदलकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उलझन में डाल दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने रेवाड़ी आगमन पर संकेत दिए थे कि कापड़ीवास को मना लिया जाएगा। इसके बाद कापड़ीवास को मनाने के लिए नई दिल्ली से लगातार संपर्क साधा जा रहा है, परंतु कापड़ीवास टस से मस होने को तैयार नहीं हैं।

राव का टैग लक्ष्मण सिंह को पड़ सकता भारी

भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव के प्रति कापड़ीवास की कोई नाराजगी नहीं है। उन्हें भाजपा की टिकट दिलाने में भी राव का कोई रोल नहीं रहा, परंतु टिकट मिलने के बाद राव टैग उनके लिए कापड़ीवास से दूरी बनाने वाला साबित हो रहा है। इस हलके में रणधीर सिंह कापड़ीवास और उनके भतीजे मुकेश का अच्छा व्यक्तिगत जनाधार है। गत विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 36 हजार से अधिक वोट लेना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। निजी समर्थक सिर्फ कापड़ीवास के साथ चलते हैं। उनका पार्टी से कुछ लेना-देना नहीं है। ऐसे में राव का टैग लक्ष्मण सिंह के लिए भारी पड़ सकता है।

सोमवार को पत्ते खोल सकते हैं कापड़ीवास

कापड़ीवास के समर्थक उनके राजनीतिक वजूद को लगातार मजबूत बनाए हुए हैं। अगर टिकट मिलने के बाद लक्ष्मण राव को ही सर्वोपरि मानने से बचते, तो शायद उन्हें कापड़ीवास का समर्थन हासिल करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। परंतु इस समय कापड़ीवास के तेवरों को लक्ष्मण खुद नरम नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी की ओर से पिछली बार की तरह इस बार भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का उन्हें कोई डर नहीं है। अभी तक राव के कारण कापड़ीवास ने लक्ष्मण को समर्थन देने का कोई मन नहीं बनाया है। सूत्रों के अनुसार कापड़ीवास सोमवार तक समर्थन को लेकर पत्ते खोल सकते हैं, जिसके बाद प्रमुख प्रत्याशियों को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।

शाह के जाते ही आने शुरू हो गए फोन

कापड़ीवास के करीबी सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह के रैली से जाने के बाद रणधीर सिंह कापड़ीवास से भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से लेकर दूसरे नेताओं ने फोन पर संपर्क साधकर मनाने के प्रयास शुरू कर दिए। उन्हें दिल्ली भी बुलाने के प्रयास किए, परंतु कापड़ीवास ने तत्काल दिल्ली पहुंचने से मना कर दिया। भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव की ओर से भी कई बार कापड़ीवास को मनाने के प्रयास किए जा चुके हैं, परंतु इस हलके के दिग्गज नेता ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोलकर भाजपा प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ाई हुई हैं।

आशीर्वाद का हाथ पलट सकता है पासा

इस समय कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव की पॉजिशन को काफी मजबूत माना जा रहा है। लक्ष्मण और चिरंजीव को आप प्रत्याशी सतीश यादव से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। कापड़ीवास के पास चिरंजीव राव भी आशीर्वाद के लिए जा चुके हैं, जबकि सतीश यादव लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। लक्ष्मण को इस समय राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों का ही साथ मिल रहा है, जो टिकट को सीट में बदलने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा रहा। वर्तमान परिदृश्य में रणधीर और उनके भतीजे मुकेश कापड़ीवास के निर्णय पर तीनों प्रत्याशियों की निगाहें टिकी हुई हैं।

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