आलोचनाओं का शिकार राव का किरदार: खास समर्थकों की अनदेखी से असंतोष, नामों पर नहीं हुआ विचार 

Dr. Banwarilal. Laxman Singh Yadav. Ajay Patauda.
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डॉ. बनवारीलाल। लक्ष्मण सिंह यादव। अजय पटौदा। 
रेवाड़ी में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की अनदेखी होने के कारण उन्हें आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। राव के खास समर्थकों में असंतोष देखने को मिल रहा है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: अहीरवाल में अधिकांश सीटों पर व्यक्तिगत वोट बैंक का दबदबा होने का दबाव बनाकर भाजपा हाईकमान से कई टिकटों की कमान अपने हाथों में लेने वाले दिग्गज नेता राव इंद्रजीत सिंह के खास समर्थकों में ही असंतोष देखने को मिल रहा है। जिन समर्थकों को इस बार टिकट का आश्वासन दिया था, उनके नामों पर विचार तक नहीं करने से राव खेमे में ही बगावत की आशंका को बल मिलना शुरू हो गया है। भाजपा की पहली संभावित सूची में अहीरवाल की कई सीटों पर राव की ओर से किया गया फेरबदल उनके लिए मुसीबत का कारण बन गया है।

समर्थकों में दिखी निराशा

रेवाड़ी हलके से इस बार राव की ओर से अपने खास समर्थक और इंसाफ मंच के आजीवन सदस्य अनिल रायपुर को काफी समय पहले ही राव इंद्रजीत सिंह ने विधानसभा चुनाव की तैयारी करने का संकेत दे दिया था। इसके बाद अनिल रायपुर ने इस हलके में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष अजय पटौदा ने जिला परिषद के वार्ड नं. 11 से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया था। नाम वापसी के अंतिम दिन विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने का सपना दिखाते हुए राव ने अजय पटौदा का नामांकन वापस करा दिया था। अब दोनों में निराशा देखी जा रही है।

अनिल व अजय में भी असंतोष

गत विधानसभा चुनावों में मामूली मतों से हार का सामना कर चुके सुनील मुसेपुर शुरू से ही अपनी टिकट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रहे थे, परंतु अनिल और अजय की आश्वस्तता भी कम नहीं थी। जानकार सूत्रों के अनुसार इस सीट पर राव की ओर से भाजपा हाईकमान को अकेले सुनील मुसेपुर की पत्नी मंजू यादव के नाम की सिफारिश कर दी, जिससे अजय और अनिल के नाम पर विचार तक नहीं किया गया। दो दिन पूर्व जब दोनों राव समर्थकों को इस बात का पता चला, तो वह राव से मिलने के लिए उनके दिल्ली निवास पर पहुंचे, लेकिन निराश होकर वापस आ गए।

बनवारीलाल का बढ़ता प्रभाव नहीं आया रास

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल को बावल आरक्षित सीट पर भाजपा का सशक्त दावेदार माना जा रहा है। राव की ओर से दिए गए नामों की सूची में डॉ. बनवारीलाल की जगह डॉ. संजय मेहरा का नाम शामिल किया गया। डॉ. बनवारीलाल ने हर मोर्चे पर राव का खुलकर साथ दिया, परंतु इस सीट पर लगातार तीसरी जीत का रिकॉर्ड बनाने का मौका छीनने के लिए उन्हें भी टिकट के रास्ते से हटाने के प्रयास किए गए हैं। डॉ. बनवारीलाल की भाजपा संगठन में भी मजबूत पैठ बन चुकी है, जो शायद अहीरवाल के इस शेर को रास नहीं आ रही।

खुलकर बोलने की नहीं जुटा पा रहे हिम्मत

भाजपा की ओर से बवाल होने के साथ ही संभावित सूची पर रोक लगाई जा चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस सूची में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। शुक्रवार को राव के कई समर्थक भी कई सीटों पर की गई प्रत्याशियों के नाम की सिफारिश पर दबी जुबान में आलोचना करते हुए नजर आए, परंतु खुलकर बोलने की हिम्मत किसी ने नहीं जुटाई। चर्चा इस बात की है कि संभावित सूची में फेरबदल नहीं किया गया, तो इस बार राव के अपने ही भीतरघात का रास्ता अपनाते हुए उनके फैसले को गलत साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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