हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: बावल हलके में जेजेपी का मैदान साफ, इनेलो के पास वापसी का मौका

Abhay Chautala. Rameshwar Dayal. Dushyant Chautala.
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अभय चौटाला। रामेश्वर दयाल। दुष्यंत चौटाला। 
रेवाड़ी में बावल हलके से रामेश्वर दयाल के नामांकन वापस लेने के बाद इनेलो का पलड़ा भारी हो सकता है। हलके में इनेलो की अच्छी पकड़ है।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: जाट मतदाताओं की संख्या 40 हजार से अधिक होने कारण बावल हलके में इनेलो का मजबूत जनाधार रहा है। इनेलो को इस हलके में दो बार जीत हासिल हो चुकी है। 2019 के चुनावों में इनेलो से अलग जेजेपी बनने के बाद इनेलो का परंपरागत वोट बैंक जेजेपी की ओर टर्न कर गया था। सोमवार को नामांकन वापसी के अंतिम दिन पार्टी प्रत्याशी रामेश्वर दयाल का मैदान छोड़ना इस हलके में इनेलो के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने का अवसर बन गया है।

इनेलो की हलके में अच्छी पकड़

रामेश्वर दयाल के नाम वापस लिए जाने के बाद चौटाला परिवार में आस्था रखने वाले मतदाताओं का रुझान एक बार फिर से इनेलो की ओर हो सकता है। जेजेपी से पहले इनेलो इस हलके में अच्छी उपस्थिति दर्ज कराती रही है। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनावों में इनेलो प्रत्याशी डॉ. एमएल रंगा को विधायक बनने का मौका मिला, जबकि 2019 के विधानसभा चुनावों में रामेश्वर दयाल इनेलो की टिकट पर विधायक बने थे। इनेलो प्रत्याशी श्यामसुंदर सभरवाल ने मोदी लहर के चलते 2014 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी डॉ. बनवारीलाल को 25.71 फीसदी मत लेकर कड़ी टक्कर दी थी।

तीसरे स्थान पर रहे थे श्यामसुंदर

इनेलो का विभाजन होने के बाद सभरवाल ने जेजेपी का दामन थाम लिया। गत विधानसभा चुनावों में जेजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए सभरवाल 21.16 फीसदी मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। सभरवाल को मिलने वाले वोट पूर्व सीएम ओपी चौटाला के इस वोट बैंक का हिस्सा माना जा सकता है, जो लंबे समय से चौटाला परिवार में आस्था रखता है। गत विधानसभा चुनावों में इनेलो प्रत्याशी संपतराम को महज 2.4 फीसदी वोट मिले थे। इनेलो ने एक बार फिर संपतराम को प्रत्याशी बनाया है।

रामपुरा हाउस से रही नजदीकियां

रोडवेज विभाग में परिचालक की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए रामेश्वर दयाल का जुड़ाव रामपुरा हाउस के साथ रहा। वह राव इंद्रजीत सिंह के मंझले भाई राव अजीत सिंह के खास समर्थक रह चुके हैं। वर्ष 2009 में इनेलो के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे राव अजीत सिंह ने ही रामेश्वर दयाल को बावल हलके से पार्टी की टिकट दिलाकर विधायक बनवाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। गत दिनों उन्होंने राजनीति से एक तरह से सन्यास लेकर घर बैठने का निर्णय ले लिया था, परंतु दुष्यंत चौटाला ने उन्हें जेजेपी ज्वाइन करा दी थी।

सभरवाल की विदाई के बाद बंटाधार

जेजेपी के जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए श्यामसुंदर सभरवाल ने पार्टी की जिला इकाई को पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त रखा हुआ था। सभरवाल को जिलाध्यक्ष पद से हटाकर प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल करने के बाद से ही जेजेपी रसातल की ओर जाती रही। बाद में सभरवाल ने भी जेजेपी को अलविदा कर दिया। उन्हें इसी बात की आशंका थी कि पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल के पार्टी में आने के बाद उन्हें टिकट मिलने की संभावना नहीं रहेगी। जिले में फिलहाल जेजेपी की हालत खस्ता नजर आ रही है।

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