प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर कसेगा शिकंजा: मानकों पर खरा नहीं उतरने पर सीलिंग के लिए चेयरमैन को लिखा पत्र

Dust flying from the broken road near Banipur Chowk. Smoke coming out of the factory chimney.
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बनीपुर चौक के पास टूटी सड़क से उड़ रही धूल। फैक्टरी की चिमनी से निकलता धुआं। 
रेवाड़ी में राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर शिकंजा कसने के लिए चेयरमैन को पत्र लिखकर सीलिंग की अनुमति मांगी।

नरेन्द्र वत्स, रेवाड़ी: बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने ऐसी औद्योगिक इकाइयों को बंद कराने का निर्णय लिया, जो प्रदूषण को लेकर मानकों की पालना नहीं कर रही। बोर्ड ने प्रदूषण (Pollution) फैलाने वाली छह फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए एचएसपीसीबी के चेयरमैन से अनुमति के लिए पत्र भेजा है। चेयरमैन की अनुमति के बाद इन फैक्ट्रियों को सील कर दिया जाएगा। पर्यावरण प्रदूषण को लेकर उद्योगों के लिए मनाक तय किए हुए हैं। कई उद्योगों में इन मानकों की परवाह नहीं की जाती, जिस कारण उनसे निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाने का काम करता है।

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कसेगा शिकंजा

एनजीटी की ओर से एनसीआर के उद्योगों में डीजल आधारित जनरेटरों के इस्तेमाल पर बैन लगाया हुआ है। इसके बावजूद कई उद्योगों में मौका मिलते ही जनरेटरों का इस्तेमाल किया जाता है। बीते सप्ताह एक्यूआई 450 के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (Pollution Control Board) ने ऐसे उद्योगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसके तहत बीते सप्ताह लगभग दो दर्जन डीजल आधारित जनरेटर सेट सील किए गए। शहर में भी चार डीजी सेट सील किए गए, जिसके बाद डीजल आधारित जनरेटरों का इस्तेमाल काफी हद तक कम हो गया।

बोर्ड की तीन टीमें कर रही निगरानी

बोर्ड की ओर से प्रदूषण फैलाने वाली यूनिटों पर शिकंजा कसने के लिए तीन टीमों का गठन किया हुआ है। इन टीमों में जांच के बाद रेवाड़ी, धारूहेड़ा और बावल में 6 ऐसे उद्योगों की पहचान की है, जिनमें प्रदूषण के मानकों की पालना नहीं की जा रही। इन उद्योगों से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, जिस कारण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से चेयरमैन को इन उद्योगों को बंद कराने के लिए अनुमति देने के लिए पत्र लिखा है। अनुमति मिलते ही इन उद्योगों को सील कर दिया जाएगा।

सड़कों से उड़ती धूल बढ़ा रही समस्या

तीन दिन से प्रदूषण का स्तर कुछ हद तक कम हुआ है। तापमान में गिरावट के बाद कड़ाके की सर्दी में यह समस्या गंभीर होने वाली है। वाहनों के धुआं के साथ-साथ टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल पर्यावरण को प्रदूषित का काम कर रही है। बावल औद्योगिक एरिया में एचएसआईआईडीसी (HSIIDC) के अधीन आने वाले कई सड़कों की हालत जर्जर हो चुकी हैं। वाहनों का दबाव अधिक होने के कारण इन सड़कों से दिन भर धूल उड़ती रहती है। यही धूल हवा में मिलकर फैल जाती है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।

बैन के बाद रुका सड़क का निर्माण

प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद एनसीआर में ग्रेप-स्टेज 4 लागू किया जा चुका है। इससे निर्माणकार्यों पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। एचएसआईआईडीसी की ओर से कई सड़कों का निर्माण भी कराया गया है, परंतु बची हुई सड़कों का निर्माण ग्रेप-4 की पाबंदी के चलते अधर में लटका हुआ है। अब ठंड का प्रकोप नियमित रूप से बढ़ेगा। तापमान में गिरावट आने के बाद सड़कों पर उड़ने वाली धूल एक्यूआई बढ़ाने का काम करेगी। आने वाले दिनों में एक्यूआई तेजी से बढ़ने के पूरे आसार हैं। पानी की छिड़काव ही विकल्प बचा है।

चेयरमैन से मांगी अनुमति

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी हरीश कुमार शर्मा ने बताया कि आद्योगिक क्षेत्रों में 6 ऐसी यूनिटों को चिन्हित किया गया है, जिनमें प्रदूषण के मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा। इन यूनिटों को बंद कराने के लिए बोर्ड के चेयरमैन को पत्र लिखा गया है। सड़कों से उड़ने वाली धूल को लेकर संबंधित विभागों को नोटिस दिए जा रहे हैं।

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