अहीरवाल की राजनीति: संन्यास लेंगे राव इंद्रजीत सिंह, जानिए नारनौल में क्या बोले मोदी के मंत्री

भुंगारका गांव में ग्रामीणों को संबोधित करते केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह।
हरियाणा की राजनीति में सितंबर माह के दौरान दो बड़े अपडेट देखने को मिले हैं। अहीरवाल में राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को नारनौल के भुंगारका गांव में अपनी उम्र का हवाला देकर राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिए। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि मैं 74 साल का हो गया हूं। ज्यादा घूमता फिरता भी नहीं हूं। मेरी बेटी आरती राव अब सक्रिय हो गई है। वो लोगों के बीच जाती है, उनसे मिलती है।
मैं भी चाहता हूं की अधिक से अधिक युवा राजनीति में आएं। मैं युवाओं को ज्यादा टिकट दिलाने की सोचता हूं। इससे पूर्व 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए भिवानी- महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह भी 2029 का चुनाव नहीं लड़ने की बात कह चुके हैं।
रामपुरा हाउस की विरासत संभाल रहे राव इंद्रजीत सिंह
राव तुलाराम की राजनीतिक विरासत को आजादी के बाद राव बीरेंद्र सिंह ने रामपुरा हाउस से आगे बढ़ाया। संयुक्त पंजाब में मंत्री रहने के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। 1987 से 2003 तक भारतीय शूटिंग टीम के सदस्य रहे राव इंद्रजीत सिंह अपने पिता राव बीरेंद्र सिंह की उंगली पकड़कर राजनीति में आए व 1977 में पहली बार जाटूसाना विधानसभा से चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र के विधायक बने। फिर 1982, 1991 व 2000 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य रहे। 1998 में पहली बार सांसद चुने गए। 2024 में लगातार छठी बार सांसद बने राव इंद्रजीत सिंह 1999 में कारगिल युद्ध के बाद सुधा यादव से लोकसभा तथा विधानसभा में 1987 में राव नरबीर सिंह और 1996 में जगदीश यादव से चुनाव हारे। राव इंद्रजीत सिंह 2014 के चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। भाजपा में आने से पहले तीन बार कांग्रेस व भाजपा में आने के बाद तीन बार भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गए। 2024 में राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा की टिकट पर अपनी बेटी आरती राव को नांगल चौधरी से चुनाव में मैदान में उतारा। आरती राव अभी नायब सिंह सैनी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। जबकि राव इंद्रजीत सिंह मोदी सरकार में लगातार तीसरी बार राज्यमंत्री हैं। राव बीरेंद्र के छोटे बेटे राव अजीत सिंह और राव यादुवेंद्र सिंह अभी भी कांग्रेस में हैं, परंतु रामपुरा हाउस की राजनीति राव इंद्रजीत सिंह के इर्दगिर्द ही घूमती रही है।
अपनी बेटी को भी दी है यही सीख
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पब्लिक ने मुझे 45 साल तक सराहा है, मैंने भी यह प्रण लिया है, कि जो भी ताकत पब्लिक से मिली है, उसको मैं निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं करुंगा। अपनी बेटी को भी मैने यही सीख दी है। अभी तक आरती राव भी मेरी दिखाई राह पर चल रही है। जिस प्रकार से अब वह भागदौड़ कर रही है, उससे उम्मीद करता हूं कि उसे भी आप लोगों का साथ मिलता रहेगा। 74 साल की उम्र की उतनी ज्यादा भागदौड़ करना मेरे लिए संभव नहीं है।
चमचागिरी करता तो कैबिनेट मंत्री बनता
राव इंद्रजीत सिंह ने पूर्व प्रधान दयाराम की बातों पर कहा कि अहीरवाल में अधिकतर सीटों मेरे साथ होने से नहीं जीती, बल्कि इसलिए जीती है कि लोग मेरे साथ हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। यह सभी जानते हैं, मगर मैंने आज तक किसी की भी चमचागिरी नहीं की है। अगर मैं चमचागिरी करता तो मेरी साख बहुत बड़ी होती और आज कैबिनेट मंत्री होता। जब भी खुद के स्वार्थ की बात आती है और इलाके की बात आती है, तो खुद के स्वार्थ की बजाय मैं इलाके की बात करता हूं। जब भी विधायक बनाने या बनने की बात आती है तो मेरी सोच होती है कि युवाओं को अधिक मौका मिले। युवाओं को अधिक टिकट दी जानी चाहिए।
धर्मबीर ने कहा था, अब संन्यास समय आ गया
राव इंद्रजीत सिंह के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद ने कहा कि था कि 25 नवंबर को वह 70 साल के हो जाएंगे। 2029 के चुनाव तक उनकी उम्र काम करने के हिसाब से सही नहीं होगी। ऐसे में सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने का वही सही मौका होगा। धर्मबीर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की 3 पीढ़ी को 4 बार हरा चुके हैं। जिनमें चौ. बंशीलाल के साथ उनके पुत्र सुरेंद्र व पौत्री श्रुति चौधरी शामिल हैं। भाजपा में आने के बाद से चौ. धर्मबीर सिंह 2024 में लगातार तीन बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।
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