पहलगाम आतंकी हमला: मृतकों को 'शहीद' का दर्जा देने की मांग वाली याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- नीतियां बनाना...

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को 'शहीद' का दर्जा देने की याचिका खारिज।
Punjab and Haryana High Court: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आज यानी मंगलवार 20 मई को पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की बेंच ने यह कहकर याचिका को खारिज कर दिया कि कोर्ट नई नीतियां नहीं बना सकता। ये काम सरकार का है। बेंच की ओर से याचिकाकर्ता को सलाह दी गई कि वह अपनी मांग या शिकायत उचित अधिकारी या अथॉरिटी को लिखकर दें। इसके बाद 30 दिन के भीतर उनकी मांग पर फिर से विचार किया जाएगा।
यह सरकार का काम है- हाईकोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शील नागू ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या शहीद घोषित करना अनुच्छेद 226 के अंदर आता है ? चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को ऐसा लगता है, तो उन्हें उदाहरण देकर समझाना पड़ेगा। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया है कि क्या कोर्ट इस तरह के फैसले ले सकती है ? यह फैसला सरकार को लेना चाहिए, क्योंकि यह उनका काम है। इसके जवाब में याचिकाकर्ता एडवोकेट आयुष आहूजा ने कहा, निर्दोष पर्यटकों को धर्म के नाम पर आतंकवादियों ने सिर पर गोली मार दी, हमें एक सैनिक की तरह उनका सम्मान करना चाहिए।
2 मई को दायर हुई थी याचिका
हाईकोर्ट के एडवोकेट आयुष आहूजा ने 2 मई को याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने केंद्र और प्रधानमंत्री कार्यालय को यह निर्देश देने की मांग की थी, कि पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए। मरने वालों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएं और उनकी मूर्तियां लगाई जाएं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि जगह का नाम बदलकर नया नाम यादगार शहीद/शहीद हिंदू घाटी पर्यटन स्थल रख दिया जाए।
पहले भी हुई है सुनवाई
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) सत्यपाल जैन ने केंद्र की ओर याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता को पता नहीं है कि भारत सरकार क्या कर रही है? गृह मंत्री उसी शाम श्रीनगर पहुंच गए। हम दूसरे देश के साथ युद्ध के कगार पर हैं। यह ऐसे मुद्दों को उठाने का समय नहीं है, हम दूसरी चीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
पहले हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस शील नागू ने कहा था कि यदि कोई सैनिक भी मर जाता है, तो उन्हें विशेष सम्मान देने पर विचार किया जाता है, लेकिन ऐसा तुरंत नहीं किया जाता। इसमें भी आमतौर पर 1 साल का वक्त लग जाता है। पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने को लेकर जस्टिस शील नागू ने कहा था कि इस पर भी फैसला सुनाया जाएगा। इसके बाद 6 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। आज सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
