रजिस्ट्री को लेकर बड़ा अपडेट: हरियाणा में 1 अगस्त से नए कलेक्टर रेट होंगे लागू, 5 से 25 % की बढ़ोतरी संभव

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हरियाणा में सीएम के निर्देश के बाद अब एक अगस्त से लागू होंगे नए कलेक्टर रेट।
हरियाणा में अप्रैल से लंबित कलेक्टर रेट बढ़ाने की प्रक्रिया अब शुरू हो गई है। एक अगस्त से कलेक्टर रेट बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

रजिस्ट्री को लेकर बड़ा अपडेट : हरियाणा सरकार ने राज्यभर में जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए नए कलेक्टर रेट 1 अगस्त 2025 से लागू करने का निर्णय लिया है। राजस्व विभाग द्वारा सभी मंडलायुक्तों और उपायुक्तों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे पहले मार्च 2025 तक पुराने संशोधित रेट लागू थे, जिनकी वैधता खत्म होने के बाद भी रजिस्ट्रियां उन्हीं दरों पर जारी थीं। इससे सरकार के राजस्व में गिरावट देखी जा रही थी।

राजस्व में बढ़ोतरी के लिए उठाया कदम

राज्य सरकार का मानना है कि कलेक्टर रेट बढ़ाकर न केवल राजस्व में बढ़ोतरी होगी, बल्कि जमीनों की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता भी आएगी। नए रेट लागू होने से रजिस्ट्री प्रक्रिया में मिलने वाले स्टांप शुल्क में वृद्धि होगी, जिससे आम आदमी को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस बार जमीन के कलेक्टर रेट में 5 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित है, जो क्षेत्र विशेष के आधार पर अलग-अलग होगी।

एनसीआर क्षेत्रों में महंगी होगी प्रॉपर्टी

गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और रोहतक जैसे जिलों में जहां पहले ही जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं, वहां कलेक्टर रेट की बढ़ोतरी का सीधा असर प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर पड़ेगा। बीते वर्षों में इन क्षेत्रों में 20 से 30 प्रतिशत तक की दरों में बदलाव हो चुका है। अब एक बार फिर बढ़ोतरी से इन इलाकों में संपत्ति खरीदना और अधिक महंगा हो जाएगा।

अप्रैल से होना था बदलाव

पिछले साल चुनाव आचार संहिता के चलते सरकार एक जनवरी और एक दिसंबर को ही नए कलेक्टर रेट लागू कर पाई थी। इस साल भी अप्रैल से दरों में बदलाव की योजना थी, मगर मार्च में हुए संशोधन प्रस्ताव को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने फिलहाल स्थगित कर दिया था। अब राजस्व में संभावित नुकसान को देखते हुए सरकार ने दोबारा प्रक्रिया शुरू कर दी है।

स्थानीय स्तर पर होती है दरों की समीक्षा

कलेक्टर रेट तय करने की प्रक्रिया पूरी तरह स्थानीय प्रशासन के अधीन होती है। हर जिले में शहर और गांव के हिसाब से बाजार भाव को ध्यान में रखते हुए इन दरों का निर्धारण होता है। यही न्यूनतम रेट सरकारी रजिस्ट्रेशन के लिए मान्य माने जाते हैं।

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