Gallantry Awards: पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक सहित हरियाणा के 3 वीर सम्मानित, मोहाली के शहीद कर्नल को कीर्ति चक्र

देश सेवा में अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया। गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पहले चरण के गैलेंट्री अवॉर्ड्स प्रदान किए। इन पुरस्कारों में हरियाणा के एक शहीद समेत 3 मेजर को शौर्य चक्र से नवाजा गया, जबकि पंजाब के एक शहीद कर्नल को कीर्ति चक्र मिला। यह सम्मान ड्यूटी के दौरान असाधारण बहादुरी, समर्पण और बलिदान देने वाले सैनिकों को दिया जाता है।
मेजर आशीष धौंचक की मां हुई भावुक, राष्ट्रपति ने गले लगाया
कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पानीपत के मेजर आशीष धौंचक (36) को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान लेते वक्त उनकी मां कमला देवी बेहद भावुक हो गईं। राष्ट्रपति ने उन्हें गले लगाकर सांत्वना दी, वहीं पत्नी ज्योति भी भावुक नजर आईं। मेजर आशीष 13 सितंबर 2023 को आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।
मेजर आशीष, 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। उन्हें इससे पहले 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था। मेजर आशीष की एक 4 साल की बेटी है और उनकी पत्नी ज्योति गृहिणी हैं। उनका परिवार पानीपत की टीडीआई सिटी में रहता था। यह और भी दुखद है कि मेजर आशीष ने अपने लिए टीडीआई सिटी में एक नया घर बनवाया था, जिसमें वह अपने जन्मदिन पर शिफ्ट होने वाले थे, लेकिन देश की सेवा करते हुए वे उससे पहले ही शहीद हो गए।
आशीष ने केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की और 12वीं के बाद बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया। इसके बाद वे एमटेक कर रहे थे, जिसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए। इसके बाद वे बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। शहीद होने से ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली थी। मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। उनकी एक बेटी वामिका है।
फरीदाबाद के मेजर सतेंद्र धनखड़ को शौर्य चक्र : 3 आतंकियों को किया ढेर
फरीदाबाद के मच्छगर गांव के मेजर सतेंद्र धनखड़ को उनकी बहादुरी के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया। मेजर सतेंद्र जून 2024 में जम्मू-कश्मीर के डोडा में कंपनी कमांडर के तौर पर आतंकवाद विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने अपनी दिलेरी दिखाते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ के दौरान मेजर के पैर में गोली भी लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
मेजर सतेंद्र 19 साल की उम्र में इंडियन आर्मी में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। साल 2014 में उन्होंने NDA का पेपर क्लियर किया और इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में लेफ्टिनेंट की ट्रेनिंग के लिए गए। 2018 में वहां से पासआउट होने के बाद उन्हें 4 राष्ट्रीय राइफल्स में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल किया गया। इसके बाद 2020 में वे कैप्टन और साल 2024 में मेजर बने। इस दौरान उनकी पोस्टिंग बीकानेर, बाड़मेर और जम्मू-कश्मीर में रही है। सतेंद्र विवाहित हैं और उनकी 3 साल की एक बेटी है।
सोनीपत के मेजर आशीष दहिया को शौर्य चक्र : 4 आतंकवादियों को किया ढेर
सोनीपत के गांव ककरोई के मेजर आशीष दहिया को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। 2 जून 2024 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन को मेजर आशीष दहिया ने ही लीड किया था। उन्होंने एक खतरनाक आतंकवादी को घायल किया और गोलीबारी के दौरान घायल हुए एक जवान को अपनी जान की परवाह किए बिना बचाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। इस ऑपरेशन में उन्होंने दक्षिण कश्मीर के लंबे समय से सक्रिय A++ श्रेणी के आतंकी को भी ढेर किया। मेजर दहिया ने जून 2022 से अब तक पांच जोखिम वाले सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया है। इन अभियानों में उन्होंने चार आतंकवादियों को ढेर किया और 3 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) को निष्क्रिय किया।
पंजाब के शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह को कीर्ति चक्र
पंजाब के अमृतसर के शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। वह 13 सितंबर 2023 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। उनका एक 6 साल का बेटा और 2 साल की बेटी है। कर्नल मनप्रीत सिंह 19 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे और वर्तमान में उनका परिवार न्यू चंडीगढ़ में रहता है। कर्नल मनप्रीत सिंह आतंकियों के दुश्मन थे। उन्हें जब भी आतंकियों के बारे में सूचना मिलती थी, वह खुद ही उनका सामना करने के लिए निकल पड़ते थे। उन्होंने 2021 में ऐसे ही एक ऑपरेशन में दो आतंकवादियों को मार गिराया था, जिसके लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इसी कारण वे आतंकियों के निशाने पर थे और मौका मिलते ही आतंकवादियों ने उन्हें निशाना बना लिया।
