रोहतक की बेटी बनीं हरियाणा की प्रेरणा: महिला वर्ल्ड कप विनर शैफाली को बनाया महिला आयोग का ब्रांड एंबेसडर

शैफाली वर्मा।
हरियाणा के लिए यह बेहद गर्व का क्षण है। हाल ही में महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता टीम में अपनी धमाकेदार परफॉर्मेंस से योगदान देने वाली हरियाणा की क्रिकेटर शैफाली वर्मा को राज्य महिला आयोग ने साल 2026 के लिए अपना ब्रांड एंबेसडर घोषित किया है। हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने यह घोषणा करते हुए कहा कि शैफाली जैसी बेटियां न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं।
आयोग का यह निर्णय उन लोगों को प्रेरणा देने के उद्देश्य से लिया गया है, जो आज भी बेटियों को बोझ मानते हैं। आयोग ने शैफाली को यह सम्मान देकर यह संदेश दिया है कि बेटियों को अवसर मिले तो वे किसी भी क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर सकती हैं।
आयोग की अध्यक्ष ने शैफाली के पिता को बधाई दी
महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने इस अवसर पर शैफाली के पिता संजीव वर्मा से फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी और उनकी खुशी साझा की। रेनू भाटिया ने एक वीडियो संदेश भी जारी किया, जो न सिर्फ हरियाणा की, बल्कि दुनिया भर की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है।
रेनू भाटिया ने कहा- मैं हरियाणा ही नहीं पूरे देश की दुनिया बेटियों को कहना चाहूंगी कि तुम्हें नशा करना ही है तो शैफाली वर्मा जैसा करो, आगे बढ़ो और मजबूत रहो। ताकि कुछ बनके, पाकर के दिखाओ। दूसरा नशा तो तुम्हें खड्डे में गिराएगा और दलदल में फंसाएगा, तुम्हारा जीवन बर्बाद कर देगा। रेनू भाटिया ने आगे बताया कि जब शैफाली वर्मा रोहतक लौटेंगी, तब महिला आयोग का एक दल उनके घर जाकर उन्हें औपचारिक रूप से सम्मानित करेगा और उनके परिवार को प्रेरित करेगा।
मनु भाकर की राह पर शैफाली
शैफाली वर्मा से पहले साल 2024 में शूटर मनु भाकर को भी महिला आयोग अपना ब्रांड एंबेसडर बना चुका है। मनु भाकर और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने आयोग के 'नशे के खिलाफ मुहिम' में युवाओं के रोल मॉडल के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। अब शैफाली वर्मा भी अपनी उपलब्धि से लाखों लड़कियों को सही दिशा में प्रेरित करने का काम करेंगी। यह सम्मान बेटियों की शिक्षा, खेल और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के हरियाणा सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
शैफाली वर्मा का संघर्ष से सफलता तक का सफर
रोहतक की रहने वाली शैफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 को हुआ था। उनकी सफलता की कहानी प्रेरणा और संघर्ष से भरी है। शैफाली ने अपनी शुरुआती शिक्षा सेंट पॉल स्कूल से की थी। वह 10वीं कक्षा में फेल हो गई थीं, लेकिन मनदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने 10वीं (52%) और 12वीं (80%) कक्षा पास की। फिलहाल वह रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से ग्रेजुएशन कर रही हैं। शैफाली ने 2013 में रोहतक के लाहली ग्राउंड पर रणजी ट्रॉफी का मैच देखने के दौरान महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को बैटिंग करते देखा। भीड़ की 'सचिन-सचिन' की गूंज ने उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए प्रेरित किया।
एडमिशन न मिलने पर 'बॉय कटिंग' का फैसला
जब शैफाली के पिता संजीव वर्मा ने उन्हें क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलाने की कोशिश की, तो लड़की होने की वजह से उन्हें एडमिशन नहीं मिला। हार न मानते हुए पिता ने एक साहसिक फैसला लिया—उन्होंने शैफाली की बॉय कटिंग करा दी, ताकि वह लड़कों के बीच प्रैक्टिस कर सके। बाद में शैफाली के स्कूल ने लड़कियों के लिए क्रिकेट टीम बनाने का फैसला किया और 12 साल की उम्र मंफ उन्होंने एकेडमी में प्रोफेशनली खेलना शुरू कर दिया।
कम उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड बनाए
15 वर्ष की आयु में 2019 के टी-20 वर्ल्ड कप से पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंटरनेशनल मैच में डेब्यू किया। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला शतक जड़कर, वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शतक लगाने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला क्रिकेटर बनीं। उन्होंने सचिन तेंदुलकर का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। जून 2021 में वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी20) में खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी बन गईं। 2023 में, शैफाली की कप्तानी में ही भारत की अंडर 19 टीम विश्व कप जीती थी। शैफाली वर्मा को ब्रांड एंबेसडर बनाना, महिला आयोग का एक दूरदर्शी कदम है, जो हरियाणा की बेटियों को खेल के माध्यम से सशक्तिकरण की राह दिखाएगा।
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