हरियाणा में पराली जलाने पर सख्ती: 2 साल मंडी में फसल नहीं बेच सकेंगे दोषी किसान, 30 हजार तक का जुर्माना, जानिए और क्या असर पड़ेगा

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हरियाणा में पराली जलाने वालों की पहचान सेटेलाइट से की जाएगी। 

प्रशासन सेटेलाइट के जरिए निगरानी रखेगा और लोकेशन मिलते ही तुरंत FIR दर्ज की जाएगी। किसानों से सरकार की अपील है कि वे आग न लगाकर ₹1200 प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि लेकर फसल अवशेष का उचित प्रबंधन करें।

हरियाणा में धान कटाई का सीजन शुरू हो चुका है और इसके साथ ही किसान एक बार फिर से फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन की चुनौती का सामना कर रहे हैं। धान कटाई के बाद खेतों में आग लगाने की पुरानी समस्या को देखते हुए कुरुक्षेत्र जिला प्रशासन और कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो किसान फसल अवशेष का उचित प्रबंधन करेंगे, उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, लेकिन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाने के साथ-साथ उन्हें सरकारी अनुदानों से वंचित भी किया जाएगा।

सेटेलाइट से होगी निगरानी

कुरुक्षेत्र के जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. करमचंद ने जानकारी दी कि फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। इसके लिए सेटेलाइट का उपयोग किया जाएगा।

• निगरानी तंत्र: सेटेलाइट के माध्यम से आग लगाने की सटीक लोकेशन विभाग को मैसेज और ई-मेल के जरिए प्राप्त होगी।

• त्वरित कार्रवाई: लोकेशन मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाएगी और दोषी किसान पर मामला दर्ज किया जाएगा।

यह तकनीक प्रशासन को तुरंत और सटीक कार्रवाई करने में मदद करेगी, जिससे फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकेगी।

जुर्माने के साथ-साथ होंगे ये बड़े नुकसान

• प्राथमिकी दर्ज: आग लगाने वाले किसानों पर मामला दर्ज किया जाएगा।

• पंजीकरण पर रोक: दोषी किसान 2 साल तक अपनी फसल का सरकारी मंडी में पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) नहीं कर पाएगा। इसका सीधा नुकसान यह होगा कि किसान की फसल मंडी में नहीं खरीदी जाएगी।

• रेड लिस्ट: ऐसे किसानों को 'रेड लिस्ट' में डाल दिया जाएगा और वे सभी प्रकार की सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाएंगे। डॉ. कर्मचंद के अनुसार, जुर्माने की दरें भी काफी सख्त हैं:

• 2 एकड़ तक: ₹5,000 जुर्माना और मामला दर्ज।

• 2 से 5 एकड़ तक: ₹10,000 जुर्माना और मामला दर्ज।

• 5 एकड़ से अधिक: ₹30,000 तक का जुर्माना और मामला दर्ज।

पर्यावरण और मिट्टी का नुकसान

कृषि विभाग लगातार किसानों को इस बात के लिए जागरूक कर रहा है कि आग लगाना मिट्टी और पर्यावरण दोनों के लिए कितना हानिकारक है।

• मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट: आग लगने से मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होती है और पैदावार में नुकसान होता है।

• पर्यावरण प्रदूषण: पराली का धुआं न केवल स्थानीय बल्कि पूरे उत्तर भारत के पर्यावरण को दूषित करता है।

प्रबंधन के तरीके और प्रोत्साहन राशि

विभाग किसानों को आग न लगाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कई तरीके उपलब्ध हैं।

1. एसएमएस वाली मशीन: किसान ऐसी हार्वेस्टिंग मशीन से कटाई कराएं जिसमें स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) लगा हो। यह अवशेष को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर खेत में बिखेर देता है।

2. गट्ठे बनाने वाली मशीन: किसान गट्ठे (बंडल) बनाने वाली मशीन से संपर्क कर अवशेषों का प्रबंधन कर सकते हैं।

3. सुपर सीडर से बुवाई: जिन किसानों की कटाई में देरी होती है, वे सीधे सुपर सीडर मशीन का उपयोग करके बुवाई कर सकते हैं, जिससे अवशेष मिट्टी में मिल जाते हैं।

फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को दी जाती है प्रोत्साहन राशि

डॉ. कर्मचंद ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार की ओर से ₹1200 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पिछले वर्ष कुरुक्षेत्र जिले में किसानों को ₹25 करोड़ की राशि दी गई थी, और इस बार ₹30 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। प्रशासन की सक्रियता के कारण, जिले में पिछले वर्षों की तुलना में आग लगाने के मामलों में कमी आई है (2022 में 300 से घटकर 2024 में 132 मामले)। जिला प्रशासन किसानों से अपील कर रहा है कि वे पर्यावरण और अपनी मिट्टी की सेहत को ध्यान में रखते हुए आग न लगाएं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।

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