चंडीगढ़ विवाद: पंजाब CM भगवंत मान ने हरियाणा को घेरा; PU एफिलिएशन और SYL पर तीखे सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान।
दिल्ली में आयोजित नॉर्थ जोन काउंसिल (NZC) की मीटिंग के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पड़ोसी राज्यों और केंद्र सरकार पर तीखे हमले किए हैं। सीएम मान ने पंजाब से जुड़े प्रमुख मुद्दों पानी के बंटवारे, चंडीगढ़ पर अधिकार और बाढ़ राहत राशि की बकाया राशि को पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ पंजाब देश के खाद्यान्न भंडार में सबसे बड़ा योगदान देता है तो वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य लगातार उसके प्राकृतिक संसाधनों और अधिकारों पर नए-नए दावे पेश कर रहे हैं।
28 प्रस्तावों में से 11 मुद्दे सीधे पानी से जुड़े थे
सीएम मान ने स्पष्ट कहा कि काउंसिल की मीटिंग में रखे गए कुल 28 प्रस्तावों में से 11 मुद्दे सीधे पानी से जुड़े थे और ये सभी 11 प्रस्ताव पंजाब के हितों के खिलाफ थे। उन्होंने केंद्र सरकार पर बाढ़ में हुए भारी नुकसान के बावजूद 1600 करोड़ रुपये की बकाया राहत राशि जारी न करने का भी गंभीर आरोप लगाया, जबकि संकट के समय खाद्यान्न और गेहूं देने का दिखावा किया जाता है। मान ने सवाल किया कि खाद्य भंडार में सबसे ज्यादा योगदान पंजाब का है, लेकिन अगर पानी ही पंजाब के पास नहीं रहेगा तो क्या किसान खेती गमलों में करेंगे?
पंजाब के पानी पर पड़ोसी राज्यों के लगातार बढ़ते दावे
पंजाब के मुख्यमंत्री ने जल विवादों पर सबसे तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पंजाब का सबसे बड़ा मुद्दा पानी है, लेकिन हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश लगातार नए दावे पेश कर रहे हैं। इस विवाद में कहीं सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर की मांग है, तो कहीं हिमाचल प्रदेश द्वारा शानन प्रोजेक्ट पर अधिकार जताया जा रहा है।
सीएम मान ने कहा कि सभी राज्य 1952 और 1966 के समझौतों का हवाला देते हैं, लेकिन जब पंजाब अपनी 1600 करोड़ रुपये की बकाया राशि मांगता है, तो उसे वापस नहीं किया जाता। उन्होंने सवाल उठाया कि 25 साल बाद जल समझौतों की समीक्षा (रिव्यू) क्यों नहीं की गई, जबकि रावी-ब्यास का हिस्सा अन्य राज्य लगातार मांगते रहते हैं। उन्होंने एक गंभीर सवाल उठाया कि हरियाणा यमुना से पानी लेता है, लेकिन जब पंजाब मांगता है तो उसे इनकार कर दिया जाता है, ऐसे में "समझ नहीं आता असली दुश्मन कौन सी तरफ है।" उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि शुक्र है जम्मू-कश्मीर यहां नहीं है, नहीं तो वह भी हिस्सा मांग लेता। उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ के दौरान जब पंजाब ने हरियाणा और राजस्थान से पानी लेने की अपील की थी, तब दोनों राज्यों ने पानी लेने से मना कर दिया था।
पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) पर हरियाणा कर रहा कब्जे का प्रयास
सीएम भगवंत मान ने हरियाणा द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से अपने कॉलेजों को फिर से एफिलिएट करने की मांग पर भी कड़ा रुख अपनाया और इसे पीयू की सीनेट और सिंडिकेट पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि हरियाणा पहले ही पंजाब यूनिवर्सिटी से अलग हो चुका था। उन्होंने याद दिलाया कि उस समय बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और तब भी पीयू को लेकर राजनीतिक विवाद होता था। अब हरियाणा चाहता है कि उसके अंबाला, कुरुक्षेत्र और सहारनपुर के कॉलेज दोबारा पीयू से संबद्ध (Affiliate) हो जाएं।सीएम मान ने तार्किक सवाल उठाया कि जब हरियाणा में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की रैंकिंग A+ है, तो वहां के छात्र पंजाब के कॉलेजों में पढ़ना क्यों चाहते हैं? उनका स्पष्ट आरोप है कि यह कोशिश केवल पीयू की प्रशासनिक इकाइयों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसी विवाद के चलते पीयू की सीनेट भंग कर दी गई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सीएम के अनुसार, नॉर्थ जोन काउंसिल में गृह मंत्री अमित शाह ने पीयू की सीनेट का चुनाव कराने की भी बात कही, जिसमें 91 सदस्य होते हैं।
चंडीगढ़: पंजाब का ऐतिहासिक और कानूनी अधिकार
सीएम मान ने चंडीगढ़ के मुद्दे पर पंजाब के अधिकार को स्पष्ट कर इसे पुनर्गठन एक्ट 1966 पर आधारित बताया। उन्होंने कहा कि मीटिंग में जब चंडीगढ़ का मुद्दा आया तो वे स्पष्ट तौर पर चंडीगढ़ को पंजाब को देने की मांग लेकर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह पुनर्गठन एक्ट 1966 (एक्ट नंबर 31, धारा 4) में स्पष्ट रूप से दर्ज है। इसके अलावा, 1970 में इंदिरा गांधी के फैसले और बाद में राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी चंडीगढ़ को पंजाब का हिस्सा माना गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में 60:40 के हिसाब से अधिकारियों की तैनाती भी सही तरीके से नहीं हो रही।
सीएम मान ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि अब हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ में हिस्सेदारी मांग रहा है, जबकि ऐतिहासिक और कानूनी आधार पर यह विषय पंजाब से ही जुड़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि मीटिंग में एक राज्य पौंग डैम का जलस्तर बढ़ाने की मांग कर रहा था। नॉर्थ जोन काउंसिल की मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब से जुड़े इन संवेदनशील मुद्दों पर राज्य को फैसला लेने की बात कही है। सीएम मान ने साफ कर दिया है कि पंजाब अपने प्राकृतिक और कानूनी अधिकारों के लिए किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।
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