हरियाणा का 'बेटी बचाओ' महाप्लान: 20,000 गर्भवतियों की होगी विशेष निगरानी, अवैध गर्भपात पर शिकंजा

हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने की कोशिश।
हरियाणा में लिंगानुपात में आई गिरावट को देखते हुए राज्य सरकार ने एक नई और सख्त रणनीति अपनाई है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) ने उन 20,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं की पहचान की है जिनके पास कोई लड़का संतान नहीं है। लिंगानुपात सुधारने और अवैध भ्रूण लिंग जांच रोकने के लिए अब इन सभी पर आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स की विशेष 'नजर' रहेगी।
इसलिए पड़ी विशेष निगरानी की जरूरत
हरियाणा में लिंगानुपात (Sex Ratio) पिछले साल के मुकाबले फिर से कम हुआ है। जहां साल 2023 में यह आंकड़ा 907 था, वहीं अब गिरकर 905 रह गया है। इसका मतलब है कि प्रति 1,000 लड़कों के जन्म पर केवल 905 लड़कियां ही पैदा हो रही हैं। लिंगानुपात को बेहतर बनाने और बेटियों की संख्या बढ़ाने के लिए ही सरकार ने गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण अनिवार्य किया था।
नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) ने यह पाया है कि जिन परिवारों में पहले से कोई लड़का संतान नहीं है, वहां लड़के की चाहत में अवैध रूप से भ्रूण लिंग जांच और गर्भपात (Illegal Abortion) करवाने की संभावना बहुत अधिक रहती है। इसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यह अभिनव और सख्त कदम उठाया है।
20,000 से अधिक 'लक्ष्य' गर्भवतियों की पहचान
स्वास्थ्य विभाग ने अपनी नई रणनीति के तहत, उन गर्भवती महिलाओं की एक विस्तृत सूची तैयार की है, जिनके पास अब तक कोई पुत्र संतान नहीं है।
• कुल पहचान: 6 महीने चले एक व्यापक अभियान में हरियाणा की कुल 54,868 गर्भवतियों की पहचान हुई।
• विशेष निगरानी समूह: इनमें से 20,722 ऐसी गर्भवती महिलाएं हैं, जिनके पास पहले कोई लड़का संतान नहीं है।
• क्षेत्रीय फोकस: बिना लड़के वाली इन महिलाओं की संख्या ग्रामीण और अर्बन नोटिफाइड स्लम एरिया में सबसे ज्यादा है।
• सर्वाधिक मामले: नेशनल हेल्थ मिशन के डेटा के अनुसार, बिना लड़के संतान वाली गर्भवतियों की संख्या जींद जिले में सबसे ज्यादा है। हिसार और रोहतक में भी इस पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।
फील्ड में उतरीं आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स
इस रणनीति को जमीन पर उतारने के लिए करीब 20,720 सहेलियां (आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स) की ड्यूटी लगाई गई है।
• व्यापक कवरेज: ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 18,000 आशा वर्कर्स ने 1.80 करोड़ आबादी को कवर किया। वहीं, अर्बन स्लम एरिया में 2905 आशा वर्कर्स ने 72.62 लाख आबादी को कवर किया।
• निगरानी का अनुपात: अब प्रत्येक एक गर्भवती महिला पर एक आशा या आंगनबाड़ी वर्कर नजर बनाए रखेगी।
• कार्य: इन वर्कर्स का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि ये गर्भवती महिलाएं और इनके परिजन किसी भी तरह से अवैध भ्रूण लिंग जांच या अवैध गर्भपात जैसी गतिविधियों में शामिल न हों। वे परिवार को समझाएंगी और समय-समय पर उनकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को देंगी।
अवैध गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल अवैध गर्भपात करने वाले अस्पतालों या एमटीपी (MTP) किट बेचने वाले मेडिकल स्टोर पर ही नहीं, बल्कि इसमें शामिल गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
कार्रवाई का दायरा
1. प्राइवेट अस्पताल और मेडिकल स्टोर: जो अवैध गर्भपात या एमटीपी किट के अवैध इस्तेमाल में लिप्त पाए जाएंगे, उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
2. परिवार की संलिप्तता: यदि जांच में यह पाया जाता है कि गर्भवती महिला या उनके परिवार की अवैध भ्रूण लिंग जांच या गर्भपात में किसी भी तरह की संलिप्तता या भूमिका रही है, तो उनके खिलाफ भी कानूनी पहलू की अनदेखी के लिए कार्रवाई तय है।
यह नई रणनीति हरियाणा सरकार की लिंगानुपात सुधारने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। बेटियों के जन्म को सुनिश्चित करने और अवैध गर्भपात की प्रथा को जड़ से खत्म करने की दिशा में यह एक कठोर, लेकिन बेहद आवश्यक कदम माना जा रहा है।
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