पिंजौर गार्डन: हरियाणा के इस 700 साल पुराने रहस्यमयी उद्यान और पर्यटक स्थल में करें प्रकृति के दर्शन

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पंचकूला का पिंजौर गार्डन। 

पिंजौर गार्डन, जिसे यादवेंद्र गार्डन भी कहा जाता है, हरियाणा के पंचकुला में स्थित एक शानदार उद्यान है। सात सीढ़ियों पर बना यह उद्यान बहते फव्वारों, शीश महल और रंग महल जैसी भव्य संरचनाओं का घर है। यह इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है।

हरियाणा के पंचकुला जिले में स्थित पिंजौर गार्डन जिसे यादवेंद्र गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के सबसे खूबसूरत मुगल उद्यानों में से एक है। यह उद्यान मुगलकालीन बागवानी और वास्तुकला की भव्यता का एक जीता-जागता उदाहरण है। इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के इस संगम पर यह ब्लॉग पोस्ट आपको पिंजौर गार्डन के इतिहास, प्रमुख आकर्षणों और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी देगा।

समृद्ध और ऐतिहासिक शहर है पिंजौर

शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में बसा पिंजौर एक समृद्ध ऐतिहासिक शहर है, जिसका इतिहास मुगल काल से भी पुराना है। पुरातात्विक खोजों से पता चलता है कि यह क्षेत्र वैदिक काल से ही महत्वपूर्ण रहा है। प्राचीन व्यापार मार्गों पर इसकी रणनीतिक स्थिति ने इसे वाणिज्य और संस्कृति का एक जीवंत केंद्र बनाया था।

मुगल साम्राज्य का योगदान

पिंजौर के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय 17वीं शताब्दी में शुरू होता है। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान उनके पालक भाई और गवर्नर नवाब फिदाई खान ने इस क्षेत्र में एक शानदार उद्यान बनाने का निर्णय लिया। फिदाई खान वास्तुकला और बागवानी के गहरे जानकार थे और उनकी कलात्मक रुचि इस उद्यान के डिजाइन में साफ झलकती है। इस उद्यान का निर्माण 1669 में शुरू हुआ और 1671 में पूरा हुआ।

वास्तुकला और डिजाइन की भव्यता

पिंजौर गार्डन पारंपरिक चारबाग (चार-भाग) शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो इस्लामी स्वर्ग की अवधारणा से प्रेरित है। इस शैली में उद्यान को सममित रूप से चार भागों में बांटा जाता है, जिसके बीच में पैदल मार्ग और जलधाराएं एक-दूसरे को काटती हैं। यह समरूपता और संतुलन पूरे उद्यान में एक शांत और सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाता है।

सात सीढ़ियां और भव्य संरचनाएं

यह उद्यान सात अवरोही छतों पर फैला हुआ है, जिनमें से प्रत्येक एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। ये छतें हरे-भरे लॉन, फूलों की क्यारियों और राजसी पेड़ों से सजी हैं।

• शीश महल (दर्पणों का महल) : यह उद्यान की सबसे आकर्षक संरचनाओं में से एक है। इसकी दीवारों पर जटिल दर्पणों का काम किया गया है, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके एक अद्भुत दृश्य बनाते हैं।

• रंग महल (चित्रित महल) : शीश महल के बगल में स्थित रंग महल अपनी सुंदर चित्रित आंतरिक सज्जा के लिए जाना जाता है, जिसमें मुगल और राजस्थानी कला के दृश्य दर्शाए गए हैं।

• जल-प्रणालियां और फव्वारे : पिंजौर गार्डन के डिजाइन में पानी का बहुत महत्व है। यहां कई फव्वारे और जल-धाराएं हैं जो प्राकृतिक झरनों से जुड़ी हैं। पानी की कल-कल ध्वनि और फव्वारों की छटा पूरे उद्यान को एक शांत और मनमोहक रूप देती है।

पटियाला रियासत के शासकों ने भी इसका पुनरुद्धार किया

मुगल काल के बाद 18वीं शताब्दी में यह क्षेत्र सिख साम्राज्य के अधीन आ गया, जिससे यह उद्यान कुछ समय तक उपेक्षित रहा। हालांकि, बाद में पटियाला रियासत के शासकों ने इसके महत्व को पहचानते हुए इसका पुनरुद्धार किया। 20वीं सदी में पटियाला के महाराजा यादवेंद्र सिंह ने इसके जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके सम्मान में इसका नाम यादवेंद्र गार्डन भी रखा गया। 1947 में स्वतंत्रता के बाद हरियाणा सरकार ने इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए व्यापक नवीनीकरण परियोजनाएं शुरू कीं।

समय, प्रवेश शुल्क और घूमने का सबसे अच्छा समय

• समय: पिंजौर गार्डन पर्यटकों के लिए सुबह 7:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है।

• प्रवेश शुल्क: प्रवेश शुल्क बहुत ही मामूली है, जिससे यह सभी के लिए एक किफायती गंतव्य है। वयस्कों के लिए यह लगभग 20 रुपये है और बच्चों के लिए 10 रुपये।

• सबसे अच्छा समय: इस उद्यान में घूमने का सबसे अच्छा समय बसंत (फरवरी-मार्च) और पतझड़ (सितंबर-नवंबर) के महीने हैं, जब मौसम सुहावना होता है और बगीचा पूरी तरह खिल जाता है। दिसंबर में आयोजित होने वाला पिंजौर हेरिटेज फेस्टिवल भी घूमने का एक बेहतरीन समय है।


ऐसे पहुंचें पिंजौर गार्डन

• सड़क मार्ग: पिंजौर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़ से लगभग 20 किलोमीटर दूर होने के कारण यहां से बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।

• रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन कालका है, जो पिंजौर से लगभग 5 किलोमीटर दूर है।

• हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 30 किलोमीटर दूर है।

पिंजौर गार्डन के प्रमुख आकर्षण

• मुख्य प्रवेश द्वार: यहां का भव्य प्रवेश द्वार और पहली छत पर बने मुगल मंडप इसकी सुंदरता का परिचय देते हैं।

• चिड़ियाघर और लघु रेलवे: बच्चों के लिए एक छोटा चिड़ियाघर और एक लघु रेलगाड़ी भी है, जो एक मजेदार अनुभव प्रदान करती है।

• हर्बल गार्डन: इस उद्यान में एक विशेष हर्बल गार्डन भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियां हैं।

• जापानी गार्डन: हाल ही में जोड़ा गया यह खंड अपनी शांत और पारंपरिक जापानी डिजाइन से पर्यटकों को आकर्षित करता है।

यहां दिखती है भारत की समृद्ध विरासत

पिंजौर गार्डन सिर्फ एक मुगल उद्यान नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीक है जो भारत की समृद्ध विरासत की कहानी कहता है। इसका संरक्षण और रखरखाव न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इतिहास की एक महत्वपूर्ण झलक पेश करता है। यह उन सभी के लिए एक अवश्य-देखने योग्य स्थान है जो इतिहास, प्रकृति और वास्तुकला का संगम देखना चाहते हैं।

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