हरियाणा में कलेक्टर रेट पर यू-टर्न: नायब सैनी सरकार ने स्थगित किया फैसला, आम जनता को मिली राहत

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।
हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने 1 अगस्त से लागू होने वाले कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले लिया है। इस कदम से प्रदेश के लोगों को बड़ी राहत मिली है, जो पहले ही महंगाई और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। पहले सरकार ने एक अगस्त से नए कलेक्टर रेट लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद संपत्ति खरीदने और बेचने वाले लोगों में चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, अब एक नई चिट्ठी जारी कर इस फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। नई चिट्ठी में कहा गया है कि जल्द ही नए कलेक्टर रेट लागू किए जाएंगे, लेकिन उनकी तारीख अभी तय नहीं की गई है।
पिछले साल की बढ़ोतरी और इस बार की उम्मीद
पिछले साल भी जमीन के कलेक्टर रेट में भारी बढ़ोतरी की गई थी, जो 12 से 32 प्रतिशत तक थी। दिल्ली के करीब होने के कारण एनसीआर के जिलों में जमीन के दाम पहले से ही काफी ऊंचे हैं। इसलिए, वहां कलेक्टर रेट बाकी जिलों की तुलना में ज्यादा बढ़ाए गए थे। पिछले साल रोहतक, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत में 20 प्रतिशत, जबकि गुरुग्राम, सोहना, फरीदाबाद, पटौदी और बल्लभगढ़ में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई थी। इस बार भी ऐसी ही बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी, जिसने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। सरकार का यह यू-टर्न फिलहाल लोगों को राहत देता है और उन्हें तैयारी करने का और समय मिल गया है।
क्यों महत्वपूर्ण है कलेक्टर रेट
कलेक्टर रेट जिसे सर्किल रेट भी कहते हैं, किसी भी जिले में जमीन की वह न्यूनतम कीमत होती है, जिस पर किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री की रजिस्ट्री हो सकती है। तहसील कार्यालयों में किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री इसी रेट के आधार पर होती है। यह रेट समय-समय पर बदलता रहता है और यह किसी स्थान विशेष के बाजार मूल्यों और रुझानों पर निर्भर करता है। यह सरकार की आय का महत्वपूर्ण स्रोत होता है, क्योंकि इसी रेट के आधार पर रजिस्ट्री शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी की गणना की जाती है।
कलेक्टर रेट बढ़ने का सीधा मतलब यह है कि लोगों को जमीन खरीदने के लिए ज्यादा पैसे देने होंगे और रजिस्ट्री पर भी ज्यादा शुल्क लगेगा। इससे आम आदमी के लिए घर या जमीन खरीदना और भी महंगा हो जाता है। इसलिए, सरकार का यह फैसला फिलहाल स्थगित करने से लोगों को आर्थिक बोझ से थोड़ी राहत मिली है। सरकार के इस कदम से भविष्य में कलेक्टर रेट को लेकर क्या बदलाव होंगे, यह देखना अभी बाकी है।
