हरियाणा IPS का अंतिम नोट: 15 अफसरों पर उत्पीड़न का आरोप, DGP और रोहतक SP पर फंसाने की साजिश का जिक्र

IPS suicide case
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आईपीएस वाई पूरन कुमार (फाइल फोटो)

आईपीएस वाई पूरन कुमार ने अपनी मृत्यु से पहले एक विस्तृत 9 पन्नों का 'अंतिम नोट' छोड़ा है। इसमें उन्होंने 15 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों पर लंबे समय तक मानसिक उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है, जिनमें डीजीपी और मुख्य सचिव (CS) तक शामिल हैं।

हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की कथित आत्महत्या मामले में 9 पेज का 'आखिरी नोट' सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। इंग्लिश में टाइप किए गए इस नोट में पूरन कुमार ने अपने साथ हुए मानसिक उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और अपमान की दर्दनाक कहानी बयां की है। इस नोट में प्रदेश के 15 मौजूदा और पूर्व अफसरों के नाम शामिल हैं, जिनमें मुख्य सचिव (CS) अनुराग रस्तोगी और DGP शत्रुजीत कपूर का नाम प्रमुख है।

आखिरी नोट में 15 अधिकारियों के नाम

पूरन कुमार की ओर से 7 अक्टूबर की तारीख में लिखे गए इस नोट में जिन अधिकारियों पर उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोप लगाए गए हैं, उनमें ये नाम मुख्य हैं।

• IAS अधिकारी : मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा, और पूर्व आईएएस राजेश खुल्लर (मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव से शिकायत के दौरान)।

• IPS अधिकारी : DGP शत्रुजीत कपूर, पूर्व डीजीपी मनोज यादव और पीके अग्रवाल, और 9 अन्य आईपीएस अधिकारी जैसे अमिताभ ढिल्लो, संदीप खिरवार, संजय कुमार, कला रामचंद्रन, माटा रवि किरण, सिबास कविराज, पंकज नैन, कुलविंदर सिंह और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणिया।

डीजीपी और एसपी पर गंभीर आरोप

आखिरी नोट के अंतिम पैराग्राफ में पूरन कुमार ने सबसे गंभीर आरोप DGP शत्रुजीत कपूर और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणिया पर लगाए हैं। उन्होंने लिखा है "DGP की ओर से नरेंद्र बिजारणिया को ढाल बनाकर मुझे झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही है, ताकि मेरे सम्मान को ठेस पहुंचाई जा सके। मैं अब लगातार जातिवाद के कारण की जा रही प्रताड़ना, सामाजिक बहिष्कार, मानसिक पीड़ा और अत्याचार ज्यादा देर सहन नहीं कर सकता, इसलिए मैंने इस सबका अंत करने का यह निर्णय लिया है।"

उन्होंने आगे लिखा कि इन अधिकारियों ने उन पर अत्याचारों की सीमा लांघ दी है और वह गैर नामित पदों पर नियुक्ति, प्रतिक्रिया न देना, प्रताड़ना, सामाजिक बेइज्जती और झूठी कार्रवाई के प्रयास बर्दाश्त नहीं कर सकते।

पिता के निधन से पहले छुट्टी न मिलना और जाति-आधारित भेदभाव

पूरन कुमार ने अपने नोट में बताया कि जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न की शुरुआत 2020 में तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने की थी। उन्होंने एक अत्यंत दर्दनाक घटना का उल्लेख किया। जिसमें तत्कालीन एसीएस गृह राजीव अरोड़ा ने उनके पिता के निधन से ठीक पहले उनसे मिलने के लिए अर्जित अवकाश भी स्वीकृत नहीं किया। उन्होंने लिखा इससे मुझे बहुत दर्द और मानसिक उत्पीड़न हुआ और यह एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने आरोप लगाया कि मनोज यादव, टीवीएसएन प्रसाद और पीके अग्रवाल (सभी 1988 बैचमेट्स) ने साजिश करके उनका भेदभावपूर्ण मानसिक उत्पीड़न और अपमान किया।

शिकायतें और राजनीतिक हस्तक्षेप की कोशिशें

आईपीएस अधिकारी ने अपने उत्पीड़न के खिलाफ उच्च स्तर पर शिकायत करने के प्रयासों का भी जिक्र किया।

• उन्होंने नवंबर 2023 में तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में हुई एक बैठक का उल्लेख किया, जिसमें उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

• उन्होंने 15 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव (सेवानिवृत्त आईएएस) राजेश खुल्लर से मुलाकात कर जातिवादी हमले और अत्याचारों के बारे में विस्तार से बताया और दस्तावेजी साक्ष्य सौंपे।

• खुल्लर ने उन्हें आश्वासन दिया, लेकिन डीजीपी के निर्देश पर उनके खिलाफ चार्जशीट की खबर मीडिया में आई, जिससे उनका सम्मान और आहत हुआ।

जबरन फंसाने और अपमानित करने की साजिश

नोट में अन्य आईपीएस अधिकारियों पर भी उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और फंसाने की साजिश रचने के आरोप हैं।

• संदीप खिरवार और सिबास कविराज पर तबादले के बाद झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया।

• अमिताभ ढिल्लों पर आरटीआई के तहत जानकारी मांगकर कार्रवाई शुरू करने और दुर्भावनापूर्ण तरीके से वेतन बचत पर पूछताछ करने की साजिश रचने का आरोप है।

• संजय कुमार पर सूचनाओं में हेरफेर करने और विभागीय कार्रवाई की जानकारी लीक करने की साजिश में कपूर और ढिल्लों का साथ देने का आरोप है।

वसीयत और वायरल वीडियो

पूरन कुमार ने 6 अक्टूबर को अपनी आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार के नाम पर अपनी सारी संपत्ति की वसीयत भी लिखी, जिसमें चंडीगढ़ की कोठी, प्लॉट और बैंक अकाउंट शामिल हैं। इसी बीच, रोहतक के उस शराब कारोबारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसकी शिकायत पर पूरन कुमार के गनमैन को मंथली मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही पूरन कुमार पर दबाव बढ़ा था और उन्होंने आत्महत्या कर ली। आईपीएस अधिकारी का यह विस्तृत 'अंतिम नोट' अब हरियाणा के प्रशासनिक और पुलिस तंत्र में बड़े पैमाने पर जांच और जवाबदेही की मांग कर रहा है।

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