RTE: नियमों की अनदेखी करने वाले 1128 प्राइवेट स्कूलों का पोर्टल बंद, हरियाणा सरकार की बड़ी कार्रवाई

शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करते शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा।
हरियाणा के शिक्षा विभाग ने एक सख्त कदम उठाते हुए राज्य के 1128 निजी स्कूलों का मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) पोर्टल बंद कर दिया है। यह कार्रवाई उन स्कूलों के खिलाफ की गई है जिन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की। विभाग की इस सख्ती से निजी स्कूलों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि अब उनकी मान्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है।
25% आरक्षित सीटों की जानकारी समय पर न देने पर कार्रवाई
शिक्षा विभाग का कहना है कि इन स्कूलों को बार-बार मौका दिए जाने के बावजूद इन्होंने आरटीई के तहत 25% आरक्षित सीटों की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराई। मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने जांच के बाद इन स्कूलों को विभिन्न कारणों से 'रिजेक्ट' कर दिया। इसके बाद, विभाग ने सभी 1128 स्कूलों को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया है, जिसमें उनसे जवाब मांगा गया है कि क्यों न उनकी मान्यता रद्द कर दी जाए।
निजी स्कूल संघ ने कहा- हम जानकारी दे चुके
हरियाणा के निजी स्कूल संचालकों में शिक्षा विभाग के इस फैसले से भारी असंतोष और चिंता का माहौल है। ऑल हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को पत्र लिखकर तुरंत पोर्टल खोलने की मांग की है। संघ के अनुसार अधिकांश स्कूलों ने आरटीई के तहत खाली सीटों की जानकारी पहले ही सरकार को मुहैया करा दी थी, लेकिन वेरिफिकेशन के दौरान उन्हें अलग-अलग कारणों से बाहर कर दिया गया।
संघ का तर्क है कि इस कार्रवाई से न केवल स्कूल बल्कि उनमें पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य भी खतरे में है। पोर्टलों के बंद होने से विद्यार्थियों के दाखिले, रिकॉर्ड अपडेट और अन्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्य रुक गए हैं।
सीएम से मांगी सेवा सुरक्षा की गारंटी
ऑल हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के राज्य प्रधान रविंद्र नांदल ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखे पत्र में महत्वपूर्ण मांग उठाई है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह सरकार ने हरियाणा के 1.20 लाख कच्चे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति तक सेवा सुरक्षा की गारंटी दी है, उसी तरह इन निजी स्कूलों को भी सुरक्षा गारंटी दी जाए। उनका कहना है कि ये स्कूल हर साल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त करते हैं, लेकिन हर बार मान्यता रद्द होने का डर बना रहता है। यह डर खत्म होना चाहिए ताकि स्कूल सुचारू रूप से चल सकें।
सीएम से तीन महीने पहले की मुलाकात का क्या हुआ
यह मुद्दा नया नहीं है। संघ के प्रतिनिधियों ने बीती 28 अप्रैल को भी मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात की थी। उस समय उन्होंने वर्षों पुरानी इस मांग को लेकर एक पत्र भी सौंपा था। मुख्यमंत्री ने उस समय उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। हालांकि, तीन महीने बीत जाने के बाद भी निदेशालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। उलटा, अब एमआईएस पोर्टल बंद करके स्थिति को और भी गंभीर बना दिया गया है। संघ का कहना है कि इन स्कूलों ने आरटीई के तहत 25% खाली सीटों की जानकारी भी दी थी, फिर भी यह कार्रवाई की गई।
नोटिस का जवाब देने के बाद भी नहीं खुला पोर्टल
रविंद्र नांदल ने बताया कि इन स्कूलों ने विभाग की ओर से जारी 'कारण बताओ नोटिस' का जवाब भी दे दिया है, लेकिन फिर भी पोर्टल नहीं खुला। इसका सीधा असर उन लाखों विद्यार्थियों पर पड़ रहा है, जो इन स्कूलों में पढ़ते हैं। उनके दाखिले, परीक्षा फॉर्म और अन्य रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश प्रवक्ता अजय सैनी ने बताया कि इन स्कूलों में से कई को तो सीईटी परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र भी बनाया गया था जो दिखाता है कि ये स्कूल शिक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
निजी स्कूलों में अफरा-तफरी का माहौल
शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई आरटीई के नियमों को सख्ती से लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निजी स्कूल भी गरीब बच्चों को शिक्षा देने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। हालांकि इस कार्रवाई के बाद से निजी स्कूलों में अफरा-तफरी का माहौल है। यदि ये पोर्टल लंबे समय तक बंद रहते हैं तो इसका सीधा असर स्कूलों के अस्तित्व पर पड़ेगा। साथ ही हजारों बच्चों के भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव होगा।
शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के बीच इस खींचतान का समाधान जल्द से जल्द निकालना आवश्यक है ताकि शिक्षा के अधिकार का सही लाभ गरीब बच्चों तक पहुंच सके और साथ ही स्कूलों का कामकाज भी सुचारू रूप से चलता रहे। इस विषय पर सरकार और स्कूल संघ के बीच संवाद और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है। दोनों पक्षों को मिलकर ऐसा हल निकालना होगा, जो न केवल आरटीई के उद्देश्यों को पूरा करे बल्कि स्कूलों और छात्रों के हितों की भी रक्षा करे।
सरकार के फैसले का इंतजार
अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि शिक्षा विभाग और सरकार इस मामले में क्या अगला कदम उठाते हैं। क्या नोटिस का जवाब संतोषजनक माना जाएगा और पोर्टल फिर से खुलेंगे? या फिर विभाग अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए कुछ स्कूलों की मान्यता रद्द कर देगा? अब यह देखना दिलचस्प है कि सरकार इस मुद्दे को कैसे संभालती है।
