डॉक्टरों की हड़ताल निर्णायक मोड़ पर: हरियाणा सरकार ने बुलाई मीटिंग, हाईकोर्ट में सुनवाई, पुलिस धरना हटाने पहुंची

पंचकूला में डीजी ऑफिस के बाहर भूख हड़ताल करते डॉक्टर।
हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी रही, लेकिन गुरुवार का दिन इस पूरे मामले में निर्णायक साबित हो सकता है। एक तरफ जहां सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों को बातचीत के लिए मीटिंग का निमंत्रण भेजा है, वहीं दूसरी तरफ यह मामला अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जहां आज ही सुनवाई होनी है। इस बीच, पंचकूला में डीजी हेल्थ ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को हटाने के लिए पुलिस बल भी मौके पर पहुंचा।
सरकार ने डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया
हरियाणा सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों के साथ चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए उन्हें बातचीत का न्योता दिया है। यह महत्वपूर्ण बैठक आज गुरुवार को शाम 4 बजे चंडीगढ़ में निर्धारित है। सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब एक दिन पहले ही डॉक्टरों की चार में से तीन मुख्य मांगें मान ली गई थीं। यह उम्मीद की जा रही है कि आज की बैठक में बाकी बची मांगों पर भी सहमति बन सकती है और हड़ताल समाप्त हो सकती है।
पंचकूला में पुलिस और डॉक्टरों के बीच तीखी बहस
सरकार द्वारा तीन मांगें माने जाने के बाद पंचकूला में विरोध कर रहे डॉक्टरों को हटाने के लिए पुलिस बल मौके पर पहुंचा। पुलिस ने हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन (एचसीएमसीए) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया समेत अन्य डॉक्टरों से धरना खत्म कर काम पर लौटने को कहा।
हालांकि, डॉक्टरों ने साफ इनकार कर दिया। इस दौरान पंचकूला पुलिस और डॉ. राजेश ख्यालिया के बीच तीखी बहस भी हुई। डॉक्टरों का कहना था कि जब तक सरकार के साथ मीटिंग में कोई अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक वे धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद डॉक्टरों ने प्रतीकात्मक तौर पर सिर्फ 3 डॉक्टरों को भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला लिया।
एस्मा लागू, हड़ताली डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई
इससे पहले, हरियाणा सरकार हड़ताली डॉक्टरों पर एस्मा (ESMA) यानी आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम लागू कर चुकी है। इस अधिनियम के तहत, किसी भी सरकारी सेवा में हड़ताल को गैर-कानूनी घोषित कर दिया जाता है। एस्मा लागू होने के बाद भी डॉक्टरों के ड्यूटी पर न लौटने की स्थिति में उन्हें सैलरी रोकने की चेतावनी दी गई है। इसके साथ ही, सरकार हड़ताली डॉक्टरों की एक सूची भी तैयार कर रही है, जिन पर आगे अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
हाईकोर्ट में पहुंचा हड़ताल का मामला
सरकारी अस्पतालों में इलाज ठप होने से आम जनता को हो रही भारी परेशानी को देखते हुए डॉक्टरों की हड़ताल का मामला अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। याचिकाकर्ता अरविंदर सेठ ने कोर्ट में तर्क दिया है कि सरकारी अस्पताल स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं और उनमें इलाज बंद होने से लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में आज ही सुनवाई होनी है, जिससे यह उम्मीद लगाई जा रही है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही कोई हस्तक्षेप कर सकता है।
हड़ताल का स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा असर
पिछले कुछ दिनों से चली आ रही इस हड़ताल ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर डाला है, लेकिन सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी प्रयास किया है।
9 दिसंबर को करीब 70 हजार मरीजों ने ओपीडी सेवा ली वहीं 202 ऑपरेशन हुए जबकि 320 महिलाओं की डिलीवरी भी हुई। वहीं 10 दिसंबर को सरकार ने 2,531 वैकल्पिक डॉक्टरों का इंतजाम किया, 74 एसोसिएशन के डॉक्टर ड्यूटी पर लौटे।
हालांकि, कई जिलों जैसे कैथल, नारनौल और झज्जर के सिविल अस्पतालों में ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी कमी देखी गई। कई जगहों पर मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी, जबकि कुछ स्थानों पर डॉक्टर न होने की स्थिति में नर्सिंग स्टाफ को डिलीवरी जैसे आवश्यक कार्य भी करने पड़े। फतेहाबाद जैसे कुछ शहरों में चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रीत कौर जैसे कुछ डॉक्टर हड़ताल छोड़कर काम पर लौट आए हैं, जिससे कुछ ओपीडी सेवाएं शुरू हो पाई हैं। आज शाम 4 बजे होने वाली बैठक और हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं कब तक सामान्य हो पाएंगी।
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