हरियाणा में DC के अधिकार बढ़े: पराली जलाने पर अब लापरवाह अफसरों पर सीधे होगी कार्रवाई

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आईएमडी ने पराली न जलाने की अपील की। 

हरियाणा सरकार ने सख्ती दिखाते हुए अब तक 22 किसानों के रिकॉर्ड में रेड एंट्री कर दी है। इसके अलावा, घटनाओं पर नियंत्रण के लिए धान बहुल जिलों में 'पराली प्रोटेक्शन फोर्स' का गठन भी किया गया है।

आगामी हफ्तों में पराली जलाने के कारण वायु गुणवत्ता (Air Quality) में अत्यधिक गिरावट की आशंका को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। आयोग ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान (NCR), उत्तर प्रदेश और दिल्ली के उपायुक्तों (DC) और जिला मजिस्ट्रेटों के अधिकारों में भारी बढ़ोतरी की है। इन जिला प्रमुखों को अब अपने अधिकार क्षेत्र में पराली जलाने पर अंकुश लगाने में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीधे दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है।

यह संशोधित निर्देश ऐसे समय में आया है जब पूरा उत्तर भारत प्रदूषण के चरम स्तर की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में धान के अवशेषों को जलाना, दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में छाने वाली जहरीली धुंध (Smog) का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, जिससे हर साल जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा होता है।

लापरवाह अधिकारियों पर सीधा शिकंजा

यह फैसला पराली जलाने पर नियंत्रण में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। संशोधित आदेश से पहले, जिला प्रमुखों को केवल लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराने की अनुमति थी। यह प्रक्रिया धीमी थी और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित नहीं करती थी। CAQM के 10 अक्टूबर, 2024 के संशोधित आदेश के तहत, अब उपायुक्तों, जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को अपने अधिकार क्षेत्र में निम्न अधिकारियों की निष्क्रियता की स्थिति में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीधे शिकायत दर्ज कराने का अधिकार मिल गया है। पराली जलाने पर प्रतिबंध लागू करने के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारी। विभिन्न स्तरों पर पर्यवेक्षीय अधिकारी (Supervisory Officers)। संबंधित थाना प्रभारी (SHO)। इस कदम का उद्देश्य निचले और मध्य स्तर के अधिकारियों को उनकी ड्यूटी के प्रति अधिक सतर्क और जवाबदेह बनाना है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और CAQM की चेतावनी

CAQM का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब सर्वोच्च न्यायालय पहले ही इस मामले पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुका है, 17 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर प्रतिबंधों के कमजोर क्रियान्वयन पर असंतोष जताया था और उल्लंघन करने वालों को रोकने के लिए गिरफ्तारी सहित कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होनी है। बार-बार जारी की गई सलाहों के बावजूद, पराली जलाना जारी है। CAQM ने जोर देकर कहा है कि राज्य के आदेशों के तहत पराली जलाना पहले से ही प्रतिबंधित है, और इसकी जवाबदेही प्रवर्तन अधिकारियों की होनी चाहिए। CAQM के सदस्य डॉ. वीरिंदर शर्मा ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जिला प्रशासन को "लगातार सतर्क" रहना चाहिए और फसल अवशेष जलाने का "पूर्ण उन्मूलन" सुनिश्चित करना चाहिए।

हरियाणा सरकार का कड़ा रुख

CAQM के आदेशों के अनुरूप, हरियाणा सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है।

• कार्रवाई: हरियाणा सरकार ने अब तक 22 किसानों के रिकॉर्ड में रेड एंट्री कर दी है।

• नुकसान: इस कार्रवाई का सीधा असर यह होगा कि ये किसान आगामी 2 सीज़न तक अनाज मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल की बिक्री नहीं कर सकेंगे।

• अन्य दंड: इन किसानों पर जुर्माना और FIR की कार्रवाई भी की जाएगी।

• जिलावार मामले: अब तक सबसे ज्यादा मामले चरखी दादरी (15 किसान) में सामने आए हैं। इसके अलावा, जींद के 4, करनाल के 2 और फतेहाबाद का 1 किसान कार्रवाई की जद में आया है। राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन अधिकारियों से भी जवाब तलब किया जाएगा, जिनकी लापरवाही के कारण पराली जलाने की घटनाएं हुईं।

पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन

पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए, धान बहुल जिलों में 'पराली प्रोटेक्शन फोर्स' का गठन किया गया है। इस फोर्स में पुलिसकर्मियों के साथ कृषि और प्रशासनिक अधिकारी भी तैनात रहेंगे, जो खेतों की निरंतर निगरानी करेंगे और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। यह मल्टी-डिसिप्लिनरी फोर्स जमीनी स्तर पर प्रवर्तन को मजबूत करने में सहायक होगी।

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