हरियाणा में नई क्रांति: 252 ड्रोन पायलट और 136 टेक्नीशियन तैयार, CM सैनी ने बांटे प्रमाणपत्र

प्रमाणपत्र देकर उत्साह बढ़ाते मुख्यमंत्री नायब सैनी।
तकनीकी क्रांति के इस दौर में हरियाणा ने युवा शक्ति और आधुनिक टेक्नोलॉजी के मेल से एक नया इतिहास रचा है। चंडीगढ़ के हरियाणा निवास में भव्य समारोह में 252 से अधिक डीजीसीए-प्रमाणित ड्रोन पायलट और 136 ड्रोन टेक्नीशियन को प्रमाणपत्र दिए गए। यह कार्यक्रम हरियाणा सरकार के कृषि विभाग, हरियाणा स्किल डेवलपमेंट मिशन और एवीपीएल इंटरनेशनल के साझा प्रयास का नतीजा था। इस ऐतिहासिक क्षण के मुख्य अतिथि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी थे, जिन्होंने न केवल इन कुशल युवाओं का उत्साह बढ़ाया, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दीं। यह पहल हरियाणा को तकनीकी नवाचार और युवा सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करती है।
युवाओं की क्षमता पर मुख्यमंत्री का विश्वास
प्रमाणपत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने संबोधन में हरियाणा के युवाओं की जबरदस्त क्षमता पर गहरा विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता के कारण 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और इसके पीछे हमारे युवाओं का ही दम है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को आगे बढ़ाने में तकनीकी कौशल और युवा शक्ति का संयोजन कितना महत्वपूर्ण है। समारोह में मुख्यमंत्री ने एवीपीएल द्वारा स्थापित एग्रीकल्चर और डिफेंस ड्रोन पवेलियन का भी उद्घाटन किया, जहां ड्रोन के बहुआयामी उपयोगों को प्रदर्शित किया गया। यह दर्शाता है कि हरियाणा सरकार केवल ड्रोन पायलट तैयार नहीं कर रही है, बल्कि उन्हें कृषि और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से भी जोड़ रही है।
ग्रामीण युवाओं के लिए 'आत्मनिर्भर हरियाणा' का सपना
यह पहल सिर्फ एक प्रमाणपत्र वितरण समारोह नहीं, बल्कि 'आत्मनिर्भर हरियाणा' की दिशा में एक बड़ा कदम है। समारोह के दौरान, हिसार के सिसाई में बने देश के सबसे बड़े डीजीसीए-मान्यता प्राप्त ड्रोन प्रशिक्षण संस्थान और ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का ई-शुभारंभ किया गया। इसके अलावा, गांव-गांव में ड्रोन ट्रेनिंग को सुलभ बनाने के लिए राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 6 नए रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (RPTO) भी खोले गए हैं।
एवीपीएल इंटरनेशनल की सह-संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक डॉ. प्रीत संधू ने इस पहल के पीछे की सोच को साझा किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को 'डीप टेक' से जोड़ना और उन्हें इनोवेशन की तरफ ले जाना समय की मांग है। उनका मानना है कि हरियाणा के युवाओं में कौशल हासिल करने का जबरदस्त जज्बा है, और यही वजह है कि देश के कुल 10 ड्रोन फ्लाई जोन में से 10 अकेले हरियाणा में ही शुरू किए गए हैं। यह पहल ग्रामीण युवाओं को बिना गांव छोड़े ही उच्च वेतन वाले करियर और उद्यमिता के अवसर प्रदान करेगी। इससे युवा पलायन को भी रोकने में मदद मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
ड्रोन टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र में देखने को मिलेगा
प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले ये युवा भविष्य के प्रोफेशनल्स और समाज के नेता हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र में देखने को मिलेगा। ड्रोन की मदद से किसान अब प्रिसिजन फार्मिंग (सटीक खेती) कर पाएंगे। वे ड्रोन से खेतों की निगरानी कर फसल की सेहत का पता लगा सकते हैं, कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव अधिक कुशलता से कर सकते हैं, जिससे लागत कम होगी और फसल की पैदावार बढ़ेगी। इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचेगा, जैसा कि संदीप सावंत ने समारोह में कहा।
कृषि के अलावा, ड्रोन का उपयोग रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। ड्रोन से सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी, घुसपैठ का पता लगाना और संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करना आसान हो गया है। इस तरह, ड्रोन टेक्नोलॉजी न केवल कृषि को आधुनिक बना रही है, बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूत कर रही है। यह दिखाता है कि हरियाणा सरकार एक साथ दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सब्सिडी और लोन की सुविधा
यह सच है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसे आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान करना भी आवश्यक है। एवीपीएल के संदीप सावंत ने मुख्यमंत्री से ड्रोन पर 80% तक सब्सिडी और लोन सुविधा देने का आग्रह किया। उनका यह सुझाव बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक ड्रोन की कीमत काफी ज्यादा होती है और हर किसान या युवा इसे खरीदने में सक्षम नहीं होता। अगर सरकार आर्थिक मदद और आसान ऋण सुविधा प्रदान करती है, तो यह ड्रोन क्रांति को सही मायनों में ग्रामीण स्तर तक पहुंचा सकती है। इससे न केवल प्रशिक्षित युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह तकनीक छोटे और मझोले किसानों के लिए भी सुलभ हो पाएगी।
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