डॉक्टरों की हड़ताल पर सरकार और एसोसिएशन आमने-सामने: 11 जिलों में असर नहीं, जानें 22 जिलों का पूरा फीडबैक

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हरियाणा में डॉक्टरों की हड़ताल। 

सरकार ने आपातकालीन सेवाओं को चालू रखने के लिए कॉन्ट्रैक्ट डॉक्टरों और RBSK स्टाफ को ड्यूटी पर लगाया था। एसोसिएशन SMO की सीधी भर्ती का विरोध कर रहा है क्योंकि इससे मौजूदा डॉक्टरों के पदोन्नति के अवसर कम होंगे।

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में आज डॉक्टरों की दो घंटे की पेन-डाउन हड़ताल को लेकर दिन भर असमंजस की स्थिति बनी रही। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) ने सुबह 9 बजे से 11 बजे तक OPD सेवाएं बंद रखते हुए विरोध दर्ज कराया। जहां एसोसिएशन ने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताया, वहीं हरियाणा सरकार ने दावा किया कि इसका स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई खास असर नहीं पड़ा। यह हड़ताल मुख्य रूप से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMO) की सीधी भर्ती पर रोक लगाने और लंबित संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति (ACP) ढांचे को तत्काल लागू करने की मांग को लेकर की गई थी।

30% से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर नहीं गए

हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डॉ. कुलदीप सिंह ने हड़ताल के असर को नकारते हुए एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने सभी 22 जिलों से फीडबैक लेने के बाद बताया कि 30% से ज़्यादा डॉक्टर हड़ताल में शामिल नहीं हुए। इसके अलावा, लगभग 50% जिलों में हड़ताल का कोई असर देखने को नहीं मिला, जिसका अर्थ है कि 11 जिलों में सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहीं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से दावा किया गया है कि सरकार ने पहले से ही सही इंतजाम कर रखे थे, जिसके चलते मरीजों की सेवाओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। सभी सिविल सर्जन और पीएमओ ने पहले ही सही इंतजाम करने के निर्देश दिए थे, ताकि HCMS एसोसिएशन की इस दो घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक से मरीजों की सर्विस पर कोई असर न पड़े।

स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रखने के लिए सरकारी इंतजाम

सरकार इस हड़ताल को लेकर पूरी तरह से अलर्ट थी और मरीजों की सुविधा के लिए व्यापक गाइडलाइन जारी की गई थी। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सुधीर राजपाल ने सभी सिविल सर्जन और पीएमओ को ओपीडी सेवाओं को सुचारू बनाए रखने के निर्देश दिए थे। राज्यभर में सभी इमरजेंसी सेवाएं संचालित रहेंगी, यह भी सुनिश्चित किया गया।

मरीजों को असुविधा न हो, इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। 58 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद लगाए गए सभी कंसल्टेंट्स की सेवाओं को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। इस स्ट्राइक के चलते सभी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले मेडिकल ऑफिसर की भी सेवाएं ली गईं। इसके साथ ही, सभी डिप्टी सिविल सर्जन एवं एसएमओ को ओपीडी सेवाओं में ड्यूटी देने के निर्देश दिए गए थे। आरबीएसके (RBSK) के लगभग 400 डॉक्टरों को भी ओपीडी सेवाओं में ड्यूटी पर लगाया गया। सभी सीएमओ और पीएमओ जिला अस्पतालों में मौजूद रहे, ताकि मरीजों को बिल्कुल भी परेशानी न हो।

SMO की सीधी भर्ती पर तत्काल रोक

एसोसिएशन वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (SMO) के पदों पर सीधी भर्ती की सरकार की योजना का कड़ा विरोध कर रही है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने बताया कि 3 जून 2021 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने आदेश दिया था कि SMO की सीधी भर्ती नहीं की जाएगी और मौजूदा डॉक्टरों को पदोन्नति के अवसर दिए जाएंगे। अब सरकार एसएमओ की सीधी भर्ती करने की योजना बना रही है, जिसका विरोध करते हुए एसोसिएशन ने कहा कि 2012 के बाद से ऐसी कोई भर्ती नहीं हुई है।

संशोधित ACP ढांचे की अधिसूचना में देरी

डॉक्टरों की दूसरी बड़ी मांग संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति (ACP) संरचना को अधिसूचित करने में हो रही देरी है। एसोसिएशन के राज्य कोषाध्यक्ष डॉ. दीपक गोयल ने बताया कि वर्तमान में एक सिविल सर्जन भी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर से कम वेतन पाता है। मुख्यमंत्री ने संशोधित ढांचे को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत उनका वेतनमान मौजूदा 8,700 से बढ़कर 9,500 रुपये हो जाएगा, जिससे वे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के बराबर हो जाएंगे। हालांकि, यह फाइल अभी भी वित्त विभाग के पास लंबित है, जिससे अधिसूचना जारी नहीं हो पा रही है।

उन्होंने बताया कि वे स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक से मिले थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एसोसिएशन ने अपनी समस्याओं को उठाने के लिए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से समय मांगा है। आपातकालीन, प्रसव कक्ष और ऑपरेशन को छोड़कर सभी ओपीडी सेवाएं स्थगित रखने का दावा एसोसिएशन ने किया है।

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