हरियाणा में ठंड की दस्तक: हल्की धुंध और तेज बारिश से गिरा तापमान, नारनौल में 11 डिग्री पारा लुढ़का

हरियाणा में ठंड ने दस्तक दे दी है।
हरियाणा के मौसम में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां एक तरफ पहाड़ों पर हुई ताजा बर्फबारी से मैदानी इलाकों में सुबह और शाम की ठंड शुरू हो गई है, वहीं दूसरी तरफ बीते दिनों हुई असामान्य बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। बुधवार की सुबह सोनीपत, पानीपत और करनाल सहित कई जिलों में हल्की धुंध (फोग) देखने को मिली, जो साफ संकेत है कि अब राज्य में शीत ऋतु का असर धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
मौसम विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ के अनुसार, पिछले दो दिनों से सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का असर आज से कम होना शुरू हो जाएगा। विक्षोभ के हटने के बाद हवा के रुख में बदलाव आएगा, जिससे मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चलेंगी। हालांकि दिन का तापमान पिछले दिनों की तुलना में 1.2 डिग्री बढ़ा है, लेकिन यह अब भी सामान्य से लगभग 8.3 डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है।
तापमान में बड़ी गिरावट और नमी का असर
राज्य के विभिन्न हिस्सों में तापमान में खासी गिरावट दर्ज की गई है। बीते 24 घंटों में नारनौल का तापमान सबसे अधिक लुढ़का है। नारनौल में दिन का पारा 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 11.6 डिग्री सेल्सियस कम रहा। इसी तरह, रात के न्यूनतम तापमान में भी गिरावट आई है, जिसमें नूंह में रात का तापमान सबसे कम 16.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डा मदन खीचड़ ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश के कारण वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ गई है, जिसके चलते ठंड का एहसास अधिक हो रहा है। मौसम खुलने के बाद भले ही हवा चलने से दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी हो, लेकिन यह सामान्य के आस-पास ही बना रहेगा। 8 अक्टूबर से उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलने लगेंगी, जिसका सीधा असर रात्रि तापमान पर पडेगा और इसमें और गिरावट दर्ज की जाएगी। फिलहाल सुबह और शाम हल्की ठंड महसूस होगी, जबकि दिवाली के बाद दिन के समय भी ठंडक का जोर बढ़ जाएगा।
पहाड़ों की बर्फबारी से बढ़ेगी ठिठुरन
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी का सीधा असर हरियाणा के मैदानी क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। पहाड़ों से आने वाली ये सर्द हवाएं दिन और रात के तापमान को नीचे ला रही हैं। अब तक केवल सुबह और शाम ही ठंड महसूस हो रही थी, लेकिन अगले कुछ दिनों में यह ठंडक दिन के शुरुआती घंटों तक भी फैल जाएगी। मौसम विभाग ने बताया है कि 8 और 9 अक्टूबर को राज्य में मौसम साफ या आंशिक रूप से बादल छाए रहने का अनुमान है। हालांकि, कुरुक्षेत्र जैसे कुछ क्षेत्रों में दोपहर के समय अचानक बारिश शुरू हो गई, जिससे सड़कों पर जलभराव हो गया और राहगीरों को आवाजाही में खासी परेशानी उठानी पड़ी।
यह मौसमी बदलाव किसानों के लिए एक चुनौती है, जिन्हें आगामी रबी फसलों की बुआई की तैयारी करनी है। नमी की अधिकता, हालांकि मिट्टी के लिए अच्छी है, लेकिन यह तैयार फसल की कटाई और मंडियों तक पहुंचाने में बाधा डाल रही है।
बारिश ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़े
अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई भारी बारिश ने मौसम के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में बीते 24 घंटों में औसतन 15.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है, 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक राज्य में 22.6 मिमी बारिश हो चुकी है, जो इस अवधि के सामान्य 3.5 मिमी के मुकाबले 546% ज्यादा है। बारिश की यह असामान्य मात्रा कृषि क्षेत्र के लिए एक गंभीर समस्या लेकर आई है।
इस बारिश का सबसे ज्यादा असर राज्य की अनाज मंडियों पर पड़ा है। पंचकूला, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, जींद, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, हिसार के हासी और सिरसा सहित 12 जिलों की मंडियों में पहुंचा धान (पैडी) भीग गया। धान की खरीद और कटाई पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। कैथल, गोहाना और यमुनानगर की मंडियों से भीगी धान को बाहर निकाला गया, जिसे सूखने में काफी समय लगेगा, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।
मंडी व्यवस्था पर उठे सवाल
भारी बारिश के बावजूद, मंडियों में किसानों की मेहनत से तैयार फसल को बचाने के इंतजाम अपर्याप्त साबित हुए हैं। भीगी धान को ढकने के लिए टिन शेड या त्रिपाल की व्यवस्था पूरी नहीं थी। इसके साथ ही, सरकारी खरीद के बावजूद, खरीदे गए धान का उठान भी बहुत धीमा हो रहा है।
धान के अलावा, अन्य फसलें भी प्रभावित हुई हैं। झज्जर की अनाज मंडी में तो बारिश के बाद टिन शेड पर पानी जमा हो गया और शेड का किनारा टूटने से कई क्विंटल बाजरा पानी में भीग गया। यह घटना सरकारी एजेंसियों और मंडी समितियों की लचर व्यवस्था को उजागर करती है। प्रदेश में अब तक 16.44 लाख टन धान की आवक हो चुकी है, जिसमें से 13.51 लाख टन धान की खरीद की गई है। भीगी हुई फसल से खरीद की प्रक्रिया और धीमी होगी, जिससे किसानों को भुगतान में भी देरी होने की संभावना है।
उत्तर-पश्चिमी हवाएं सक्रिय
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगले दो दिनों तक मौसम में बड़े बदलाव की संभावना कम है। लेकिन उत्तर-पश्चिमी हवाओं के सक्रिय होने से रात्रि तापमान में निश्चित रूप से गिरावट आएगी। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी तैयार फसलों को बारिश से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम करें और मंडियों में भीगी हुई फसल को सुखाने के बाद ही आगे की प्रक्रिया अपनाएं। कुल मिलाकर, हरियाणा में अब शीत ऋतु की आहट सुनाई दे रही है, और दिन-रात के तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज होने वाली है।
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