हरियाणा प्रमोशन पॉलिसी: CM ऑफिस में हलचल, मुख्य सचिव भी सख्त, जानें दो साल से क्यों लंबित है मामला

Haryana New Promotion Policy.
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हरियाणा न्यू प्रमोशन पॉलिसी। 

Haryana New Promotion Policy:यह पॉलिसी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में तैयार हुई थी, जिसमें प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल एग्जाम और मेरिट को अनिवार्य किया गया था। मौजूदा प्रमोशन व्यवस्था में ACR और वरिष्ठता को महत्व दिया जाता है, जिस पर अक्सर भाई भतीजावाद के आरोप लगते रहे हैं।

हरियाणा सरकार में नई प्रमोशन पॉलिसी का मामला पिछले दो सालों से लटका हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में इसका फ्रेमवर्क तैयार हो चुका था, लेकिन वर्तमान नायब सैनी सरकार ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी है। इस पॉलिसी को कानूनी रूप से मजबूत बनाने के लिए राज्य के एडवोकेट जनरल और कानूनी विशेषज्ञों की राय भी ली जा चुकी है। हालांकि, अक्टूबर 2024 में इसकी मंजूरी के लिए एक मीटिंग भी बुलाई गई थी पर कुछ खास वजहों से मामला आगे नहीं बढ़ पाया। अब एक बार फिर मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में इसे लेकर हलचल शुरू हुई है, जिसके बाद मुख्य सचिव ने मामले का अपडेट मांगा है।

पूर्व सीएम खट्टर की प्रमोशन पॉलिसी में ये था खास

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने जो ड्राफ्ट तैयार किया था, उसमें प्रमोशन के लिए कुछ अहम बदलाव किए गए थे।

1. डिपार्टमेंटल एग्जाम जरूरी: नई पॉलिसी के तहत कर्मचारियों को प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल एग्जाम पास करना अनिवार्य रखा गया था। यह नियम हरियाणा सिविल सेवा नियमावली-2016 और विभागीय सेवा नियमावली की शर्तों को जोड़कर बनाया गया था।

2. वर्गानुसार नंबर लाना जरूरी: इस पॉलिसी के अनुसार प्रमोशन के लिए 100-100 नंबरों के दो एग्जाम पास करने होंगे। पहला एग्जाम जनरल एडमिनिस्ट्रेशन और दूसरा एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट द्वारा तय सब्जेक्ट पर लिया जाएगा। इन एग्जाम्स में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को 50% और SC, दिव्यांग, खिलाड़ी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 45% नंबर लाना जरूरी था।

वर्तमान प्रमोशन पॉलिसी की खामियां

अभी हरियाणा में प्रमोशन के लिए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR), वरिष्ठता (सिनियोरिटी) और सर्विस रिकॉर्ड को मुख्य आधार बनाया जाता है। इस व्यवस्था पर अक्सर भाई-भतीजावाद के आरोप लगते रहे हैं, जिसकी वजह से कई कर्मचारी अदालतों का रुख करते हैं। इस तरह के कानूनी पचड़ों से बचने के लिए ही खट्टर सरकार ने नई पॉलिसी लाने की पहल की थी, जिसमें मौजूदा खामियों को दूर करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, नई पॉलिसी में भी वरिष्ठता और ACR की भूमिका बनी रहेगी, लेकिन मेरिट को ज्यादा प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया था।

प्रमोशन पर DPC का फैसला

हरियाणा में उच्च अधिकारियों के प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (DPC) की अहम भूमिका होती है। हर विभाग में अलग से DPC बनाई गई है, जिसमें विभाग के HOD और HCS स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं। ये कमेटियां क्लास B के अफसरों को A में प्रमोट करने का फैसला लेती हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सरकार ने DPC की मीटिंग बुलाने पर रोक लगा दी थी, जो अभी तक जारी है। इस वजह से कई विभागों में प्रमोशन अटकी हुई हैं।

नई पॉलिसी को मंजूरी न मिलने की 3 मुख्य वजहें

1. कर्मचारियों का संभावित विरोध: सरकार इस पॉलिसी को लागू करने के बाद कर्मचारियों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सतर्क है। सरकार नहीं चाहती कि इस फैसले के बाद कर्मचारी सड़कों पर उतर आएं।

2. ब्यूरोक्रेसी की अनिच्छा: सूत्रों के अनुसार, हरियाणा के कुछ उच्च अधिकारी नहीं चाहते कि पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की ये प्रमोशन पॉलिसी लागू हो। इसी कारण से पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार होने के बाद भी इस पर सिर्फ एक ही मीटिंग हुई है।

3. विभागों की उदासीनता: मुख्य सचिव ने 21 दिसंबर 2024 को सभी विभागों से पॉलिसी पर 15 दिन के अंदर सुझाव मांगे थे, लेकिन अभी तक सिर्फ 4 विभागों (वास्तुकला, राज्य चुनाव आयोग, आपूर्ति एवं निपटान और स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग) ने ही अपनी टिप्पणी दी है। बाकी विभागों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

कर्मचारियों का विरोध और उनकी आपत्तियां

योग्यता और वरिष्ठता की अनदेखी: ऑल इंडिया कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा का कहना है कि नई पॉलिसी में योग्यता और वरिष्ठता के क्रम को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे योग्य कर्मचारियों को नुकसान होगा।

टेस्ट की शर्त: प्रमोशन के लिए रिटेन टेस्ट की शर्त लगाए जाने का भी विरोध हो रहा है। कर्मचारियों का मानना है कि यह अनावश्यक है और इससे पुराने और योग्य कर्मचारियों को नुकसान हो सकता है।

आरक्षण नीति में विवाद: प्रमोशन में आरक्षण नीति को लेकर भी विवाद है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार को क्रीमी लेयर से संबंधित कर्मचारियों को बाहर रखने का निर्देश दिया है, जिससे कुछ कर्मचारियों में असंतोष है।

इन सब कारणों से नई प्रमोशन पॉलिसी अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। हालांकि, सीएमओ में फिर से हलचल शुरू होने से उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस मामले में कोई नया अपडेट आ सकता है।

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