SYL विवाद: केंद्र ने हरियाणा-पंजाब को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया, 10 जुलाई को वार्ता, अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के दशकों पुराने जल बंटवारे विवाद को सुलझाने के प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने इस संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को पत्र लिखा है। दिल्ली में यह मध्यस्थता वार्ता 10 जुलाई के आसपास होने की संभावना है। शीर्ष सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने इस पहल की है। उनके पूर्ववर्ती गजेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में पिछले दौर की वार्ता विफल रहने के बाद यह नया प्रयास है। पाटिल ने पुष्टि की है कि विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही वे इस मुद्दे के समाधान की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मई में सुलह के लिए दिया था निर्देश
मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर पंजाब और हरियाणा को इस मामले को सुलझाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने जल शक्ति मंत्री को इस मामले में मुख्य मध्यस्थ नियुक्त किया था और उनसे 'मूक दर्शक' बने रहने के बजाय सक्रिय भूमिका निभाने को कहा था।
SYL नहर का विवाद 1982 से ठंडे बस्ते में
SYL नहर का विवाद 1982 से ही ठंडे बस्ते में पड़ा है। यह मामला 214 किलोमीटर लंबी SYL नहर के निर्माण से संबंधित है, जिसमें से 122 किलोमीटर पंजाब में और 92 किलोमीटर हरियाणा में बनाई जानी थी। हरियाणा ने अपने हिस्से का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि पंजाब ने 1982 में इस परियोजना को रोक दिया। यह विवाद 1981 के जल बंटवारे समझौते से जुड़ा है, जब दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे पर सहमति बनी थी और SYL नहर बनाने का निर्णय लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के कानून को किया था खारिज
जनवरी 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया और पंजाब को समझौते की शर्तों के अनुसार नहर बनाने का निर्देश दिया। हालांकि, पंजाब विधानसभा ने 2004 में 1981 के समझौते को समाप्त करने के लिए एक कानून पारित कर दिया। पंजाब के इस 2004 के कानून को 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। तब से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में अटका हुआ है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को तय है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को लगाई थी फटकार
6 मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि यह मनमानी नहीं तो क्या है? नहर बनाने का आदेश पारित होने के बाद, इसके निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन को गैर-अधिसूचित कर दिया गया? उन्होंने इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की कोशिश और "मनमानी का स्पष्ट मामला" बताया। जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि इस परियोजना से तीन राज्यों को मदद मिलनी चाहिए थी।
SYL के न बनने से हरियाणा को भारी नुकसान
सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के न बनने से हरियाणा को अब तक लगभग 19,500 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो चुका है। 46 साल से सिंचाई का पानी नहीं मिलने के कारण दक्षिण हरियाणा की लगभग 10 लाख एकड़ कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच गई है। सबसे अहम बात यह है कि पानी के अभाव में राज्य को हर साल 42 लाख टन खाद्यान्न का भी नुकसान हो रहा है। दो साल पहले, तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान ये आंकड़े पेश किए थे। पूर्व सीएम ने बताया था कि यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में SYL बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों और दूसरे अनाजों का उत्पादन कर सकता था।
