बाल विवाह: कैथल की 9 पंचायतों का फैसला, कम उम्र में शादी पर होगा सामाजिक बहिष्कार

बाल विवाह को लेकर कैथल की 9 पंचायतों ने प्रस्ताव पास किया।
बाल विवाह : हरियाणा के कैथल जिला की नौ ग्राम पंचायतों ने स्वतंत्रता दिवस पर विशेष ग्राम सभा आयोजित कर एक बड़ी सामाजिक बुराई के खिलाफ बीड़ा उठाया है। ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर फैसला लिया कि इन गांवों में बाल विवाह नहीं होने दिया जाएगा। बाल विवाह करने करने वाले परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का प्रस्ताव पास किया गया। सभी ने कहा कि हम बाल विवाह का पुरजोर विरोध करते हैं।
इन गांवों ने प्रस्ताव पास किए
प्रस्ताव पास करने वाले गांवों में सिसला, जाखौली कमान, सेगा, शेरगढ़, क्योडक,नरवल, ढांड, कौल व काकल गांव शामिल रहे। ग्राम सभा में बाल विवाह से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया गया। इसके अलावा गांव के विकास के विकास और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
लड़की की उम्र 18 और लड़के की 21
डीडीपीओ रितु लाठर ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार बाल विवाह करना कानून अपराध होने के साथ-साथ एक सामाजिक बुराई भी है। 18 वर्ष से कम आयु की लड़की व 21 वर्ष से कम आयु के लड़के को नाबालिग माना जाता है। कम आयु में शादी करने से लड़का व लड़की का भविष्य खराब हो जाता है। इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की शादी निर्धारित उम्र से पहले न करके उनके अंदर हुनर पैदा करें।
दो साल की कैद और एक लाख जुर्माना
डीडीपीओ ने बताया कि बाल विवाह एक कानूनी अपराध है। बाल विवाह में शामिल हर जिम्मेदार व्यक्ति पर सख्त कार्रवाई होती है। कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या उसकी सहायता करता है तो दो साल तक की कड़ी कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
ब्यूटी पार्लर व टेंट वालों पर भी कार्रवाई
बाल विवाह निषेध अधिनियम में कानून इतने सख्त हैं कि बाल विवाह में शामिल हर रिश्तेदार व सेवा देने वाले पर कार्रवाई हो सकती है। अगर टेंट हाउस या ब्यूटी पार्लर संचालक को पता है कि नाबालिग की शादी हो रही है और वे इसके बावजूद उस विवाह समारोह में सेवाएं देते हैं, तो वे भी अपराध में भागीदार माने जाएंगे। इसके अलावा वेडिंग फोटोग्राफर व वीडियोग्राफर पर भी सूचना न देने पर केस दर्ज हो सकता है। पुलिस यदि सूचना मिलने पर भी इस मामले में कार्रवाई नहीं करती तो वह भी दोषी है।
300 जिले हैं सरकार की नजर में
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने 27 नवंबर 2024 को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत 2029 तक देश में बाल विवाह की दर 5 प्रतिशत से कम करने का लक्ष्य है। खास फोकस पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, त्रिपुरा, असम और आंध्र प्रदेश पर है। इसके साथ ही राष्ट्रीय औसत से अधिक दर वाले 300 जिले भी सरकार की नजर में है।
