पलवल: मेरठ के दो कारोबारियों के शव बदले, सरकारी अस्पताल की घोर लापरवाही, अंतिम दर्शन में खुला राज

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पलवल का नागरिक अस्पताल जिस पर शव बदलने का आरोप है। 

एक गंभीर चूक में सिविल अस्पताल ने शवों की अदला-बदली कर दी। इस चौंकाने वाली गलती का खुलासा 29 जुलाई की सुबह तब हुआ जब परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। अब पलवल के अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।

हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। पलवल के सिविल अस्पताल में दो मृत कारोबारियों के शवों की अदला-बदली कर दी गई, जिसका खुलासा तब हुआ जब परिजन अंतिम संस्कार से ठीक पहले शवों के अंतिम दर्शन कर रहे थे। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में जवाबदेही पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।

सड़क हादसे में हुई थी दो दोस्तों की मौत

यह घटना 28 जुलाई की है जब मेरठ के रहने वाले दो कारोबारी दोस्त, अभिनव अग्रवाल (स्वामीपाड़ा, बुढ़ाना गेट) और अमित अग्रवाल (शास्त्रीनगर सेक्टर-6) एक पूजा सामग्री खरीदने के लिए मथुरा जा रहे थे। दोनों अपनी कार में सवार थे। कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (KGP) एक्सप्रेसवे पर छज्जूनगर टोल प्लाजा के पास उनकी कार भीषण दुर्घटना का शिकार हो गई।

पुलिस के अनुसार उनकी कार के आगे चल रहे एक ट्राले ने अचानक ब्रेक लगा दी। पलवल के चांदहट थाना पुलिस के मुताबिक अभिनव और अमित की कार की गति काफी तेज थी जिससे ड्राइवर को संभलने का मौका नहीं मिला। तेज रफ्तार के कारण कार सीधे ट्राले में घुस गई। यह टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी।

पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंपे गए थे शव

दुर्घटना के बाद दोनों शवों को पलवल के सिविल अस्पताल लाया गया। रात करीब 10 बजे मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम किया गया और उसके बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। परिवार के लोग उसी रात करीब 11 बजे दो अलग-अलग एम्बुलेंस में शव लेकर मेरठ के लिए रवाना हो गए, ताकि अगले दिन अंतिम संस्कार किया जा सके।

परिजनों के लिए यह पहले ही एक हृदयविदारक क्षण था, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि अस्पताल की लापरवाही के कारण उन्हें एक और मानसिक आघात से गुजरना पड़ेगा।

अंतिम दर्शन में खुला लापरवाही का राज

यह पूरा मामला तब सामने आया जब अगले दिन यानी 29 जुलाई (मंगलवार) की सुबह, मृतक कारोबारी अभिनव के एक दोस्त ने अंतिम संस्कार से पहले अंतिम दर्शन करने की इच्छा जताई। जब अभिनव के शव के मुंह से कपड़ा हटाया गया, तो वहां मौजूद सभी लोग हक्के-बक्के रह गए। वह शव अभिनव का नहीं, बल्कि दूसरे कारोबारी अमित का था।

इस गलती का पता चलते ही, अभिनव के परिजनों ने तुरंत दूसरे मृतक कारोबारी अमित के घर फोन किया। उन्होंने अमित के परिवार को पूरी जानकारी दी। जब अमित के परिजनों ने भी अपने रिश्तेदार के शव के चेहरे से कपड़ा हटाया, तो यह देखकर वे भी हैरान रह गए कि वह शव अभिनव का था।

गनीमत यह रही कि दोनों परिवार एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। इसी जान-पहचान के कारण उन्होंने बिना समय गंवाए उसी दिन एम्बुलेंस की मदद से शवों की अदला-बदली की। इसके बाद ही दोनों का अंतिम संस्कार संपन्न हो पाया।

पोस्टमॉर्टम के बाद टैग में गलती का अंदेशा

मृतक कारोबारियों के परिजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाया है कि यह गड़बड़ी पोस्टमॉर्टम के बाद शवों पर लगाए गए पहचान टैग में हुई। परिजनों का कहना है कि पोस्टमॉर्टम के बाद शवों पर जो टैग लगाए गए थे, उनमें ही गलती की गई। जिस टैग को अभिनव का बताया गया था, वह वास्तव में अमित का था, और अमित वाला टैग अभिनव का था। टैग के हिसाब से ही परिवार वाले अपने-अपने रिश्तेदार के शव को घर ले गए थे।

मामले की जांच के लिए टीम बनी

इस गंभीर मामले की जानकारी जब पलवल प्रशासन तक पहुंची, तो शुरुआती तौर पर अधिकारियों ने दावा किया कि शव परिजनों को दिखाकर ही सौंपे गए थे। हालांकि, परिजनों के ठोस आरोपों और मीडिया में मामला उछलने के बाद, जिला सिविल अस्पताल के RMO डॉ. रवि सहरावत ने बयान जारी किया है।

डॉ. सहरावत ने कहा कि इस बारे में कर्मचारियों से पूछताछ की गई थी और उनका कहना है कि परिजनों को दिखाकर ही शव दिए गए थे। बावजूद इसके, परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, अब पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम बना दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जांच रिपोर्ट में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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