नूंह का सराय- गंगानी गांव: अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की पंचायत भूमि हड़पने के आरोप

तावडू सिटी पुलिस थाना।
हरियाणा में नूंह के तावडू उपमंडल में ग्राम पंचायत सराय - गंगानी में करोड़ों रुपए कीमत वाली पंचायती भूमि की गलत रजिस्ट्री का मामला सामने आया है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तावडू ने जिला उपायुक्त नूंह को दो अलग - अलग पत्र भेजकर इस घोटाले की जांच की मांग की है। एक पत्र में राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अपील की गई है, जबकि दूसरे में फ्रॉड रजिस्ट्री को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। यह भूमि आईटीसी ग्रैंड भारत होटल के सामने स्थित है और इसका बाजार मूल्य प्रति एकड़ करीब 15 करोड़ रुपए आंका जा रहा है, जबकि जमीम रजिस्ट्री में कुल कीमत करीब 8 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है।
2016-17 तक रिकार्ड में पंचायत के नाम दर्ज
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत सराय की गांव गंगानी में खेवट नंबर 377, खतौनी नंबर 379 और खसरा नंबर 224 की कुल 37 कनाल 5 मरला भूमि पंचायत देह की संपत्ति है। जमाबंदी 2016 -17 के रिकॉर्ड में यह स्पष्ट रूप से पंचायत के नाम दर्ज है। हालांकि गांव कोटा खंडेवला के सूरजमल पुत्र दलीप सिंह के वारिसों - धर्मपाल, सुखबीर, सतबीर उर्फ सत्ते और ज्ञानचंद ने इस भूमि को गैर - कानूनी तरीके से अपने नाम रजिस्टर्ड करा लिया। सुरजमल मात्र गैर - मौरूसी (गैर-वारिसी किराएदार) थे और उनके पास भूमि बेचने या हस्तांतरित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था। बीडीपीओ तावडू ने डीसी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि यह गैर - कानूनी रजिस्ट्री राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत, आपराधिक साजिश और लापरवाही के बिना संभव नहीं थी। इसमें उप - पंजीयक कार्यालय के स्टाफ, पटवारी और कानूनगो की भूमिका संदिग्ध बताई गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धाराओं धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। साथ ही एक निष्पक्ष और कड़ी जांच सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।
पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ हाईकोर्ट में विचाराधीन मामला
यह मामला पहले से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ में एक केस विचाराधीन था। 21 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को पंजाब ग्राम साझा भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 की धारा 13 - ए के तहत नियमित मुकदमा दायर करने की अनुमति देकर याचिका वापस लेने की इजाजत दी थी। अदालत ने जमाबंदी 2016 -17 का हवाला देते हुए भूमि को ग्राम पंचायत की संपत्ति माना था। इसके बावजूद, तहसील प्रशासन ने कथित भूमाफियाओं और राजनीतिक दबाव में आकर बीते 3 अक्टूबर को रजिस्ट्री कर दी। दूसरे पत्र में बीडीपीओ ने इस फ्रॉड रजिस्ट्री को रद्द करने की मांग की है, ताकि पंचायती संपत्ति की रक्षा हो सके। पत्र की प्रतियां मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद नूंह, उपमंडल अधिकारी तावडू और जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी नूंह को भी भेजी गई हैं।
किरायेदारों के वारिसों ने मांगी बेचने की अनुमति
इससे पहले किरायेदार बताए जा रहे सूरजमल के वारिसों ने तहसीलदार तावडू से भूमि बेचने की अनुमति मांगी थी, जिसमें उन्होंने उक्त भूमि को अपनी बताते हुए बेचने की इच्छा जताई थी। तहसीलदार की रिपोर्ट में कहा गया कि इससे चकबंदी रिकॉर्ड पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मामले में एक अन्य मोड़ तब आया जब क्रेता ककरोला एजुकेशन एंड हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने सिविल कोर्ट नूंह में मुकदमा दायर किया। गत 3 जून को कोर्ट ने स्टे आदेश जारी किए, जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराए गए। बाद में पक्षकारों के बीच समझौता हुआ और 23 सितंबर को कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों पक्ष एक सप्ताह में तहसीलदार कार्यालय में जाकर बैनामा रजिस्टर्ड कराएं। कंपनी ने 25 सितंबर को तहसीलदार को पत्र लिखकर स्टे हटाने की मांग की, जिसके बाद 3 अक्टूबर को रजिस्ट्री हो गई। बीडीपीओ अरुण कुमार ने कहा कि यह पंचायती भूमि पर गलत कब्जा और रजिस्ट्री नियमों का खुला उल्लंघन है और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। वहीं, तावडू तहसीलदार रीता ग्रोवर ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि रजिस्ट्री कोर्ट आदेश और दस्तावेजों के मूल्यांकन पर की गई है। वे निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। यह घोटाला जिले में पंचायती संपत्तियों की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है। डीसी कार्यालय से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन मामले की जांच शुरू होने की पूरी संभावना है।
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