सूदखोरों का आतंक: न खाता, न बही, बिना लाइसेंस सूदखोरी करने वाले जो कहे वही सही

Jakhal police station in-charge Ranjeet Singh
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जाखल थाना प्रभारी रणजीत सिंह।
जाखल में खूदखोरी का धंधा फल फूल रहा है। बिना लाइसेंस सूदखोरी का धंधा करने वालों पर प्रशासन सख्त नहीं है, जिसके कारण लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है।

जाखल/फतेहाबाद: हमारी लाचारी है, इसका फायदा न उठाए, यही हमारी प्रार्थना है। कुछ ऐसे शब्द प्रत्येक उस व्यक्ति के होते हैं, जो किसी मजबूरीवश सूदखोरों से कर्ज पर पैसा उठाता है। सूदखोर हैं कि जिन्हें किसी गरीब की मजबूरी से कोई वास्ता नहीं होता। नगर में कई सूदखोर हैं, जो कर्जदार से मूल राशि से 10 से 15 फीसदी तक ब्याज वसूली कर रहे हैं। प्रश्न ये है कि क्या इन सूदखोरों के लिए कोई नियम कायदा लागू नहीं है या फिर ऐसे साहूकार नियम को पांवों तले कुचलकर अपना धंधा कर रहे हैं। कर्ज देने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थाओं के पास लाइसेंस होता है, लेकिन सूदखोरों के पास कोई लाइसेंस नहीं होता और वह मनमर्जी से लोगों को परेशान करते हैं।

नियमों के विपरीत कर रहें सूदखोरी का धंधा

गरीब व्यक्ति मजबूरी में सूदखोरों से कर्ज तो ले लेते हैं लेकिन भारी भरकम ब्याज सहित कर्ज चुकाना इन कर्जदारों के लिए चुनौती बन जाता हैं। इसके बाद इन लोगों को मानसिक परेशानी व सूदखोरों की प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। 15 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूली करने वाले सूदखोरों की कोई जांच ना होने से प्रशासन की उपेक्षा के नतीजन शहर में दर्जनभर से अधिक सूदखोर बिना किसी पंजीयन के सूदखोरी में पनप चुके हैं। जिनके पास पैसा लेन-देन करने का कोई लाइसेंस तक मौजूद नहीं है।

एक बार कर्ज उठा जाल में फंस जाता है कर्जदार

सूत्र बताते हैं कि नगर में सूदखोर बगैर कोई पंजीयन व लाइसेंस के धड़ल्ले से अपना कार्य कर रहे हैं। पैसा लेन-देन के वक्त ये लोग मौके की नजाकत को भांपते हुए जरूरतमंद लोगों को पैसा दे देते हैं और इसके बाद पेनल्टी व दस से भी ज्यादा गुना तक ब्याज लगाकर परिवादी को अपने जाल में फंसा लेते हैं। जिसको परिवादी चुका नहीं पाता और ये लोग कच्चे-पक्के समझौते के आधार पर परिवादी की संपत्ति पर नजर गढ़ा लेते हैं।

समय रहते इस पर नकेल कसे प्रशासन

नगर में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहें एक व्यक्ति ने बताया कि घर में बीमारी के कारण उसने सूदखोर से हजारों रुपए कर्ज लिया था। इस कर्ज को वो समय सिर न चुका पाया तो कुछ समय बीतने के बाद सूदखोर ने ब्याज लगाकर उसको दी गई मूल राशि का ढाई गुना पैसा बना दिया। इसके बाद सूदखोर उससे ये राशि वसूलने के लिए प्रताड़ित करने लगा। इससे वो मानसिक तनाव में आ गया। हर दिन सूदखोर की धमकियों के बाद अंत में उसने पुलिस का सहारा लिया। पुलिस थाना में मामला पहुंचने के बाद दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद आखिरकार सूदखोर के कार्य को नाजायज करार दिया गया, जिसके बाद सूदखोर ने ब्याज राशि न लेने की बात कही।

शातिर सूदखोरों से बचने के लिए बनवाएं एग्रीमेंट

ब्याज माफिया से किसी भी तरह का कर्ज लेने से बचाव करें। इसके बावजूद यदि किसी मजबूरी वश कर्ज लेना पड़े तो सूदखोर को कोरे स्टांप या खाली चेक पर हस्ताक्षर करके न दें। कर्ज लेने वाले को एक एग्रीमेंट करना चाहिए, जिसमें रकम और ब्याज की दर स्पष्ट रूप से अंकित हो। उसमें ये भी प्रेषित करें कि आप चेक एक सिक्योरिटी के लिए दे रहे हैं। यदि एग्रीमेंट के बावजूद कोई व्यक्ति मनमर्जी से ब्याज की वसूली करता है और इसके लिए प्रताडि़त करता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।

क्या कहते हैं थाना प्रभारी

थाना प्रभारी रणजीत सिंह ने बताया कि बगैर लाइसेंस और मनमाना ब्याज वसूली करना सरासर गलत है। अभी तक हमारे पास इसकी कोई शिकायत नहीं आई है। यदि कोई व्यक्ति लिखित में इसकी शिकायत देता है तो सूदखोरी का धंधा करने वाले व्यक्ति पर नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

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