Rewari:  पेड़ों से जमीन पर उतरने को तैयार मौत, बिजली निगम के अफसरों को नहीं परवाह

Power line passing through trees in Sector-1
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सेक्टर-1 में पेड़ों के बीच से गुजर रही बिजली लाइन
बारिश या घने कोहरे में गीले पेड़ों से बिजली लाइनों के संपर्क में आने से करंट प्रवाहित होकर लोग हादसे का शिकार हो जाते है, लेकिन अधिकारी इस तरफ लापरवाह बने हुए हैं।

Rewari : अक्सर बारिश या घने कोहरे में गीले पेड़ों से बिजली लाइनों के संपर्क में आने से करंट प्रवाहित होकर हादसे होते रहते हैं। तीन दिन पूर्व कसोला क्षेत्र में पेड़ से करंट प्रवाहित होकर एक चरवाहे की मौत हो चुकी है, परंतु विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी का तर्क है कि गीले पेड़ में करंट प्रवाहित होने से मौत नहीं हो सकती। इस अधिकारी ने गीले पेड़ में करंट प्रवाहित होने की आशंका तक से इनकार किया, जबकि जूनियर अधिकारी स्वीकार करते हैं कि इससे बड़ा हादसा हो सकता है। इस समय शहर से लेकर अधिकांश गांवों में बिजली की लाइनें कई स्थानों पर पेड़ों के बीच से गुजर रही हैं, परंतु निगम अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है।

पेड़ों के बीच से गुजर रही बिजली की लाइन

निगम के कर्मचारी अक्सर सर्दी या बरसात से पहले बिजली लाइनों के संपर्क में आने वाले पेड़ों की छटाई का कार्य करते हैं। पेड़ काटने की उन्हें अनुमति नहीं होती। वह उन टहनियों को काटते हैं, जो बिजली की लाइनों के संपर्क में आ जाती हैं। इस समय सैकड़ों स्थानों पर बिजली की लाइनें पेड़ों की टहनियों से घिरी हुई हैं। पेड़ की टहनियां काटते समय एक बकरी चराने वाले की जान जा चुकी है। इसके बावजूद निगम के कर्मचारी लाइनों के संपर्क में आने वाले पेड़ों की टहनियां को नहीं काट रहे।

ब्रेक डाउन हो रहे बिजली के कई फीडर

जिन डिस्ट्रीब्यूशन लाइनों के तार पेड़ों के संपर्क में आ रहे हैं, उनमें अक्सर अर्थिंग के कारण शार्ट सर्किट की समस्या बनी रहती है। 11 केवीए क्षमता की लाइनों में आने वाले फॉल्ट के कारण फीडर बार-बार ब्रेक डाउन हो रहे हैं। निगम के कर्मचारी फॉल्ट ढूंढकर लाइनों को सुचारू करने और उनके संपर्क में आने वाले पेड़ों की टहनियां काटने में लगे रहते हैं। कई फीडरों में बार-बार फॉल्ट आते रहते हैं। रात के समय आने वाले फॉल्ट को दूर करना मुश्किल बना रहता है। कई पावर हाउसों के फीडर बरसात शुरू होने के साथ ही ब्रेकडाउन होने शुरू हो जाते हैं।

सड़कों के साथ गुजरती लाइनों से खतरा

सड़कों के किनारे लगभग सभी रोड के समानांतर बिजली की लाइनें गुजर रही हैं। इन लाइनों से पेड़ों की टहनियां सटी हुई हैं। ऐसे ही हालात गांवों के आम रास्तों से गुजरने वाली बिजली की लाइनों के बने हुए हैं। कई जगह पर तो लाइनों के सभी तार पेड़ों के बीच से गुजर रहे हैं, जो पेड़ गीला होने की सूरत में हादसों का कारण साबित हो सकते हैं। निगम के एक जेई ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वन विभाग के अधिकारियों की अनुमति के बिना पेड़ों को नहीं काटा जा सकता। मौका मिलते ही कर्मचारी टहनियों को काट देते हैं, जो कुछ समय बाद फिर बढ़ जाती हैं।

बिजली निगम के अधिकारी का बेतुका जवाब

निगम के अधीक्षण अभियंता मनोज कुमार ने गीले पेड़ों में करंट प्रवाहित होने की बात से स्पष्ट इनकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि गीले पेड़ों के एचटी लाइनों के संपर्क में आने से करंट प्रवाहित नहीं होता। उन्होंने यह भी दावा किया कि चरवाहे की मौत पेड़ के संपर्क में आने से नहीं हुई होगी। वह इसकी जांच कराने के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पेड़ों की टहनियों को समय-समय पर कटवा दिया जाता है।

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