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हरियाणा में पिछले तीन दिन से धरने पर बैठे पटवारियों के कारण सरकार को करीब 40 करोड़ का झटका लग चुका है। वहीं, दूसरी तरफ लोगों की रजिस्ट्रियों के काम भी अटक गए हैं।

Rohtak : मांगों को लेकर पिछले तीन दिन से धरने पर बैठे दी पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के सदस्यों के कारण सरकार को अब तक करीब 40 करोड़ का झटका लग चुका है। वहीं, दूसरी तरफ लोगों की रजिस्ट्रियों के काम भी अटक गए हैं। पटवारियों की हड़ताल के कारण रजिस्ट्रियों के अलावा अन्य कार्य भी प्रभावित हुए हैं। हड़ताल के कारण एक दिन का सरकार को करीब 10 से 15 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस नुकसान की भरपाई कैसे कर पाएगी।

वेतन विसंगतियों को लेकर धरने पर है पटवारी 

पटवारियों की हड़ताल का मुख्य कारण उनकी वेतन विसंगति है, जिसको लेकर वह कई बार अपना विरोध प्रकट कर चुके है। उन्होंने सरकार से पटवारियों के खाली पदों को भरने व ग्रेड पे 32 हजार 100 रुपए करने की मांग की। इन मांगों को लेकर पहले भी धरना दिया गया था, जिसे सरकार ने मानते हुए धरने को समाप्त करवा दिया था। लेकिन मानी गई मांग को लागू न करने पर पटवारियों ने दोबारा आंदोलन का रास्ता अपनाया है।

सीएम के साथ बैठक होने के बाद भी नहीं हल हो रही समस्या

बैठे दी पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष जयवीर चहल का कहना है कि मांगों को लेकर गत वर्ष सीएम के साथ बातचीत हुई थी। सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी दिया था और अधिसूचना तक जारी कर दी थी। लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद भी पटवारियों को इसका लाभ आज तक नहीं मिला। ऐसे में पटवारियों के अंदर रोष बढ़ रहा है।

तीन दिवसीय धरने को अनिश्चितकालीन करने की चेतावनी

बैठे दी पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन ने तीन दिवसीय धरने को अनिश्चितकालीन धरने में बदलने की सरकार को चेतावनी दी है। अगर सरकार ने जल्द ही पटवारियों की वेतन विसंगति की मांग को पूरा नहीं किया तो सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, लोगों को जो परेशानी होगी, वह अलग से है। सरकार के राजस्व पर इसका विपरित असर पड़ेगा।

तहसील में कामकाज रहा ठप्प, लोग रहे परेशान

दी पटवार एवम् कानूनगो एसोसिएशन की हड़ताल के कारण तहसील में सारे कामकाज ठप्प हो गए। भूमि से जुड़े कार्य व डॉमिशियल इनकम सर्टिफिकेट के कार्य नहीं हुए। ऐसे में तहसील कार्यालय में आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रजिस्ट्री कार्य बहुत धीमा होने से राजस्व कोष को काफी नुकसान हुआ। लोगों के चेहरे पर भी निराशा साफ देखने को मिली।

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