National Lok Adalat: हरियाणा में 2025 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित, 3.25 लाख से ज्यादा मामलों को निपटाया

3.25 lakh cases settled in National Lok Adalat of Haryana
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
National Lok Adalat: पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट और हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की निगरानी में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के 22 जिलों और 34 उप-मंडलों में लोक अदालत लगाई गई।

National Lok Adalat: हरियाणा में बीते शनिवार यानी कि 8 मार्च को साल 2025 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के 22 जिलों और 34 उप-मंडलों में लोक अदालत लगाई गई। इसमें मौजूदा और लंबे समय से लंबित मामलों का भी निपटारा किया गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण यानी एचएएलएसए के तहत आयोजित किया गया। इसके जरिए जनता को अपने विवादों को जल्दी से निपटाने के लिए एक मंच प्रदान करना था।

3.25 लाख मामलों को हुआ निपटारा

हरियाणा में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 3 लाख 25 हजार से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया। इनमें अलग-अलग तरह के वाहन चालान, वैवाहिक, व्यवहारिक, बैंक उगाही, मोटर दुर्घटना दावे, चेक बाउंस, समझौता सहित कई आपराधिक मामले शामिल हैं। इन मामलों की सुनवाई के लिए पूरे प्रदेश में 174 पीठों का गठन किया गया। जानकारी के मुताबिक, वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्रों में कार्यरत स्थायी लोक अदालतों के मामलों साथ कुल 3 लाख 80 हजार मामले पीठ के समक्ष समाधान के लिए रखे गए।

वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कार्यवाही की निगरानी

राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन सभी अदालतों में सही तरीके से कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निगरानी रखी गई। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायाधीश एवं एचएएलएसए की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति लिसा गिल ने सभी जिलों और उपमंडलों में लोक अदालतों के कार्यवाही की निगरानी की। इस दौरान 3 लाख 25 हजार से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया।

राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य

बता दें कि राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य जनता को एक ऐसा मंच प्रदान करना होता है, जहां पर लोग अपने विवादों को बिना किसी देरी के शांतिपूर्ण तरीके से निपटा सकें। इससे अदालतों का बोझ कम हो जाता है। वहीं, लोक अदालत की ओर से पारित किया गया फैसला अंतिम होता है। साथ ही और जिन मामलों में समझौता हो जाता है, उनमें पक्षकार अपनी अदालती फीस की वापसी के भी हकदार होते हैं।

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